आत्महत्या Suicide


Writer : Dr. Shivali Mittal


आत्महत्या का नाम आते ही इंसान के दिल-दिमाग में कई प्रकार के ख्याल आने लगते हैं। आत्महत्या करना पाप है, अपनी जीवन लीला को जानबूझकर समाप्त करना कायरता है, यह गैर इंसानी कृत्य है, यह गैर कानूनी है जैसे अनेक प्रश्न सामने आते हैं। आर्टिकल के माध्यम से हम आत्महत्या को रोकने के लिए मनोवैज्ञानिक सलाहकारों के विचार पाठकों तक पंहुचा रहे हैं। ज़िन्दगी ईश्वर, खुदा की दी गई नेअमत है इसको जमकर, हर हाल में बेफिक्र होकर जिए, क्योंकि ईश्वर, खुदा, गॉड खुद अपने बन्दों का ख्याल रखता है, ज़िन्दगी में आने वाली छोटी मोटी परेशानी, तनाव, क्रोध या मौत के विचार क्षणिक होते है। ऐसे में रिलैक्स रहे और बेहतर ज़िन्दगी जिए। 


लेकिन कई बार व्यक्ति अपना दिमागी नियत्रंण खोकर एवं अत्यधिक गुस्सा, अत्यधिक सांसारिक परेशानी में होकर वह अपना आपा खो देता है और वह आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेता है। यह हम अपनी भाषा में कहते है। लेकिन मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक आत्म-प्रेरित मृत्यु हैं, जिसमें व्यक्ति अपनी जिंदगी समाप्त करने का एक जानबूझकर एवं चेतन प्रयास करता हैं। मनोवैज्ञानिक ने आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों की पहचान चार तरह से की है, जो जान बूझकर अपनी जिंदगी को समाप्त करते हैं। 


 



  1. मृत्यु चाहने वाले व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति होते है, जो आत्महत्या करते समय अपने मन में अपनी जिंदगी को समाप्त कर देने की स्पष्ट इच्छा रखते हैं। इसके बारे में उनके मन में कोई दवंद्व नही होती हैं। अतः जिन्दगी समाप्त करने की मात्र एक इच्छाही उसके मन मे होती है। परन्तु एकाकी इच्छा की अवधि काफी लघु होती है। कुछ घंटा बीत जाने पर या अगले दिन यह एकाकी इच्छा बदलकर अन्य इच्छाओं के साथ मिल जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार अपनी जीवन लीला को समाप्त करने में घातक औजारों का उपयोग कर लेते हैं। उनमें ऐसे ही इच्छा की प्रबलता होती है।


 



  1. मृत्यु की पहल करने वाले व्यक्ति : मृत्यु की पहल करने वाले व्यक्ति में भी अपनी जीवन लीला को समाप्त कर देने की स्पष्ट इच्छा होती हैं, परन्तु साथ ही साथ इनमें यह भी विश्वास होता है कि मृत्यु की प्रक्रिया तो होती है, परन्तु वे उसे सिर्फ तीव्र कर देना चाहते है ताकि वे जल्दी ही अपने आपको मृत्यु को समर्पित कर दें। अधिकतर वृद्ध लोगों को इस श्रेणी में रखा जाता है।


 



  1. मृत्यु की उपेक्षा करने वाले व्यक्ति : मृत्यु की उपेक्षा करने वाले व्यक्ति में ऐसे व्यक्ति को रखा जाता है जिनमें यह विश्वास होता है कि आत्महत्या से उनका अस्तित्व खत्म नहीं होता बल्कि उसे एक नई जिन्दगी की प्राप्ति होती है। जिससे उन्हे खुशी मिलती है। अधिकतर इसमें बाल्यावस्था व धार्मिक प्रवृति से ओत-प्रोत व्यक्ति इस श्रेणी में आते हैं।


 



  1. मृत्यु का सामना करने वाले व्यक्ति : मृत्यु का सामना करने वाले व्यक्ति को ऐसी श्रेणी में रखा जाता है, जो आत्महत्या का प्रयास करते समय अपने इरादो में द्धैधवृति दिखलातें हैं, अर्थात् वह ऐसे कार्य करते है जिससे दूसरों को लगे की वह आत्महत्या करना चाहते है। परन्तु वह मन से ऐसा करना नहीं चाहते हैं।


 


आत्महत्या के बारे में कुछ तथ्य


 


<.             आत्महत्या की दर बच्चों एवं किशोरों में दिनों दिन बढती जा रही है।


<.             पुरूषों की तुलना में महिलाओं में आत्महत्या की दर सामान्यतः तीन गुना अधिक है।


<.             विधवा होने पर या विवाह विच्छेद होने पर महिलाओं में आत्महत्या की जोखिम बढ जाती है।


<.             आत्महत्या की दर अवसाद में अधिक तथा समृद्धि के सालो में स्थिर होता है।


 


आत्महत्या के बारे में कुछ गलत धारणा


>.             जो लोग आत्महत्या की बात करते है, आत्महत्या नहीं करेंगे।


>.             जो आत्महत्या करते है, पिषादी होते है।


>.             एक व्यक्ति जो मृत्यु योग्य शारीरिक बीमारी से ग्रस्त है, आत्महत्या नही करेगा।


>.             आत्महत्या करता एक पागलपन है।


>.             आत्महत्या करने की प्रवृति जन्मजात भी हो सकती है।


>.             आत्महत्या के बारे में चिन्तन दुर्लभ ही होते है।


>.             आत्महत्या करने वाले व्यक्ति स्पषटतः मरना चाहते हैं।


>.             जो व्यक्ति आत्महत्या साधारण प्राणघातक औजार से करते है, वे सचमुच में अपने आपको खत्म करने के लिए काफी गम्भीर नहीं होते हैं।


 


आत्महत्या के प्रेरित कारक 


तनावयुक्त घटनाएं एवं परिस्थिति, गम्भीर बीमारी, अपमानजनक वातावरण, पेशेवर या व्यावसायिक तनाव, भूमिका द्धन्द्ध, मनोदशा एवं चिन्तन में परिवर्तन, अल्कोहल उपयोग, मानसिक विकृति, माॅडलिंग, प्रसिद्धि, अत्यधिक चर्चित आत्महत्या,  सहकर्मिंयो द्धारा की गई आत्महत्या आदि।


 


आत्महत्या की रोकथाम


आज पूरी दुनिया के विभिन्न देशों में 800 से अधिक आत्महत्या रोकथाम केन्द्र खोले जा चुके हैं, और नये-नये केन्द्र खोले जा रहे है। इनमें जो व्यक्ति तनावग्रस्त, डरने का भाव, परिस्थिातियों को समझने में असमर्थ, आदि को ऐसे केन्द्रों में सलाहकार आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्तियों को परिस्थितियों का सही-सही ढंग से समझाने में मदद करते हैं तथा उन्हें उत्तम उचित निर्णय लेने में मदद करते हैं और उनके संकट से निपटने में मदद करते हैं। ऐसे केन्द्रो में सलाहकार निम्नाकिंत कार्य करते हैं।


* धनात्मक संबंध स्थापित करना : वे उनके साथ एक धनात्मक एवं सुखद भाव उत्पन्न करने वाले शब्दों में बातचीत करते हैं, ताकि आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति का सलाहकार में पूर्ण विश्वास उत्पन्न हो सके।


** समस्या को समझना एवं स्पष्ट करना : इसमें सलाहकार पहले आत्महत्या का प्रयास करने वाले या आत्महत्या की बात सोचने वाले व्यक्ति के संकट को ठीक ढंग एवं रचनात्मक ढंग से समझने में मदद करता है।


*** मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इन केन्द्रो में सलाहकार की आवश्यकता उन व्यक्तियों को पडती है जिन्हे अपनी जिंदगी की समस्याओं से निपटने में काफी समस्याओ का सामना करना पडता है।


डॉ. शिवाली मित्तल@9414543057


(मनोवैज्ञानिक सलाहकार)