भीड़ से अलग चलने का... एक सपना...

बचपन से कुछ अलग करने वाली बाला एक दिन अपना नाम रोशन करेगी शायद ये हर किसी बालक पर लागू नहीं होता। ऐसी ही एक बाला जब धीरे-धीरे वक़्त के साथ बड़ी होती रही तब तक भी वह अपने अंदाज़ हर किसी से जुदा रखते हुए पढ़ाई, एक्टिंग, नृत्य और माँ द्वारा दी जाने वाली ज्ञान की बातों को ध्यान से सुनने साथ ही अपनी फ्रेंड्स के साथ मिलजुल कर रहने वाली मेघा अपने नेचर को रिज़र्व रखते हुए, अपने टारगेट पर ध्यान केंद्रित रखते हुए आगे बढ़ने के सपनों को साकार करने में लगी मेघा श्याम से की गई बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत :  


मेघा श्याम ....बचपन से कुछ अलग करने का... था.. घर में कोई भी आता उसे अपनी एक्टिंग करके दिखाती। स्कूल में किताबो के आगे वो रुची कहीं खो सी गयी। कॉलेज शुरु हुआ नये लोग जुड़े सब बदल गया। फ़िर बहुत सारे फैशन शो किये। सब में finalist बनी titles मिले। पर मंज़िल ना मिली वो एक ताज़ जो बहुत दूर सा लगने लगा.. पर लोग कहते है ना जिसके साथ माँ-बाप का आशीर्वाद हो उसे कोई नही हरा सकता...! फ़िर क्या था माँ ने हिम्मत दी बहुत स्पोर्ट भी किया। आज भी जब मुश्किले आती है तब माँ ही मुझे उन मुश्किलों का सामना करने का हौसला देती है। फ़िर वो पल आया जब वो ताज़ मेरे सर पर था। Itwa Indian trailblazer द्वारा मुझे मिस pacific राजस्थान का ताज़ मिला। मानो सारे सपने साकार होने लग गये हो। आज मैं जो कुछ भी हूँ या बनना चाहती हूँ। अपनी माँ, पापा की वजह से हूँ। बस अब आगे बढ़ते ही जाना है और अपने मां-पापा को और सम्मान दिलाना मेरा सपना है। उनकी बेटी बनकर बताना है ना कि (बेटा) 
लोग सोचते हैं मेरी लाइफ बहुत इजी है पर ऐसा नहीं। राही को मंज़िलें बहुत मुश्किलों से मिलती है। जहाँ स्कूल में मुझे कोई पहचानता तक नहीं था। वही आज वही सब मुझे शुभकामनाए देते है...जर्नलिस्म  की स्टूडेंट हूँ। कॉलेज में टॉप किया,  कई कॉम्पीटिशन में भाग लिया जीती भी.... पर मेरी मंज़िल अभी दूर है..? बस सही रास्ते की तलाश है। 


लेखक : सद्दीक अहमद 
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