लगभग तीन वर्ष पूर्व अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो तथा तमिलनाडु की एक से अधिक बार मुख्यमत्री रही जयललिता को आय से अधिक सम्पति के मामले में ना केवल अपने पद से हटना पड़ा बल्कि कुछ समय जेल में भी रहना पड़ा. बाद मेंसर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहत दिए जाने के बाद वे फिर एक बार राज्य की मुख्यमत्री बनी। अब उनके सबसे से अधिक करीब समझी जाने वाली शशिकला, जो आय से अधिक समाप्ति के मामले में बंगलुरु की जेल में चार साल के सजा कट रही है, एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। यदयपि उन्हें चार साल की सजा 66 करोड़ रूपये की अवैध समाप्ति के मामले में जेल हुई लेकिन आयकर विभाग पिछले दो साल से उनकी सम्पत्तियों की खोजबीन कर रहा था। अब उसने उसकी 16,00 करोड़ रूपये की बेनामी सम्पतियों का पता लगा कर उन्हें जब्त किये जाने की करवाई शुरू की है। इन सम्पतियों में चेन्नई का एक बड़ा माल, एक रिसोर्ट तथा तमिलनाडु से बाहर कई सम्पतियाँ है जो सब बेनामी है। इन सबको देखते हुए यह माना जा रहा है कि वे देश की सबसे अधिक धनवान राजनीतिज्ञ है।
आयकर विभाग ने पिछले दिनों शशिकला तथा उनके भतीजे सहित दिनकरण उनके कई रिश्तेदारों के यहाँ छापे मारकर बड़ी संख्या में ऐसे दस्तवेज़ बरामद किये जिनसे यह पता लगता है कि ये बेनामी सम्पत्तियाँ कब और कैसे खरीदी गयी। आयकर विभाग ने जयललिता के निवास पायस गार्डन के उस कमरे की भी तलाशी जिसमें शशिकला स्थाई रूप से रहती थी। इन सब सम्पतियों को खरीदने के लिए भुगतान नकद रूपयों में किया गया था। ये सब सम्पत्तियाँ 8 नवम्बर और 31 दिसम्बर 2016 के बीच खरीदी गयी जब नोटबंदी की घोषणा के बाद 500 और 1000 रूपये के प्रचलन से हटाये गए नोटों को बैंक में जमा करवा कर नए नोट लेने का समय दिया गया था। यह वह समय भी था जब अपनी मृत्यु पहले जयललिता लम्बे समय तक अस्पताल में भर्ती थीं। शशिकला, अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता से इतना अधिक नज़दीक थी कि यह माना जाता था कि उनकी सभी तरह की कमाई और सम्पत्तियों का हिसाब-किताब और लेन-देन वही करती थी। आयकर विभाग का कहना है कि जिस नगद पैसों से संपत्तियां खरीदी गई वह वास्तव में जयललिता की काली कमाई थी। बीच में एक छोटे से काल को छोड़कर शशिकला लगभग तीन दशक से अधिक समय जयललिता के साथ छाया की तरह रहीं। पार्टी में उन्हें जयललिता का राजनितिक उत्तराधिकारी भी माना जाता था। जयललिता के निधन के बाद जब अन्नाद्रमुक में सत्ता संघर्ष चला तो वे सबसे आगे उभर कर सामने आईं। पार्टी ने उन्हें पहले जयललिता की जगह पार्टी का महासचिव चुना, फिर एक दिन उन्हें विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया। 5 फ़रवरी2017 को जब उन्हें अन्नाद्रमुक के विधायक दल का नेता चुन लिया गया तो यह लगभग निश्चित हो गया कि वे ही तमिलनाडु की अगली मुख्यमत्री होगी। जिस प्रकार जयललिता को आम तौर पर सम्मान से अम्मा (माँ ) कह कर संबोधित किया जाता था उसी प्रकार पार्टी में शशिकला को चिन्ना अम्मा (छोटी माँ) कह कर संबोधित किया जाने लगा।
अंग्रेजी में एक एक कहावत है जिसका हिन्दी अनुवाद चाय की कप को पीने के लिए होंठ तक जाने में अंतर होता है। शशिकला के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनकी किस्मत में राज्य के मुख्यमत्री बनना नहीं लिखा था बल्कि जेल जाना लिखा था, चूँकि आय से अधिक सम्पति मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला 14 फरवरी को सुनाना था इसलिए राज्य के तत्कालीन राज्यपाल ने शशिकला को मुख्यमत्री पद की शपथ दिलाने के लिए तब तक इंतजार करने का फैसला किया और वही हुआ जिसके होने की आशंका थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उनके विरुद्ध आय से अधिक सम्पति के मामले में चार साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही न केवल उन्हें जेल जाना पड़ा बल्कि कानून के अनुसार वे मुख्यमत्री बनने के अयोग्य भी हो गईं। फ़िलहाल उनकी सजा पूरी होने में लगभग दो साल बाकी है लेकिन अब उन पर बेनामी सम्पतित्यों का मामला चलेगा। आयकर विभाग ने बंगलुरु की केंद्रीय जेल में उनको इन सम्पत्तियों के बारे में कारण बताओ नोटिस भेजा है। जिसका उन्हें अगले 90 दिन में जवाब देना होगा।
शशिकला, जिनका पूरा नाम विवेकानंदन कृष्नावेनी शशिकला है, एक सामान्य परिवार से आती है. उनके पति नटराजन राज्य सरकार के जनसंपर्क निदेशालय में जनसंपर्क अधिकारी थे। वे काफी समय तक आर्कोट जिले में जनसम्पर्क अधिकारी रहे। उस दौरान उनके पहले द्रमुक और बाद में अन्नाद्रमुक के नेताओं से अच्छे संबध थे। जब एम.जी. रामचंद्रन के नेतृव में द्रमुक में विभाजन हुआ और उनके नेतृत्व में अन्नाद्रमुक बनी तो जयललिता, जो उनके बहुत करीबी मानी जाती थी, को पार्टी का प्रचार मंत्री बनाया गया। अपने पति की सलाह पर शशिकला ने जयललिता के चुनाव प्रचार की वीडियो टेप्स बनाना शुरू किया। इसी के चलते वे जयललिता के बहुत करीब हो गई। यह 1980 के आसपास हुआ। तब से शशिकला उनके करीब हो गई। धीरे-धीरे वह समय भी आया जब वे जयललिता के पायस निवास में उनके साथ ही रहने लगी। इन सबके चलते शशिकला के अपने पति से संबंध भी ख़राब हो गए।
शशिकला ने इसी समय अपने भतीजे दिनाकरण को भी पार्टी में शामिल कर लिया उन्हें लोकसभा और राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। शशिकला के जेल में जाने के बाद जब अन्नाद्रमुक में नया सत्ता संघर्ष शुरू हुआ तो उसका नेतृत्व दिनाकरण ही कर रहे थे। जेल में जाने के बाद शशिकला की पार्टी पर पकड़ कमजोर पड़ गई और एक दिन उन्हें पार्टी के महासचिव पद से भी हटा दिया गया। इसको लेकर पार्टी में विभाजन हो हुआ और शशिकला गुट ने अन्ना मक्कल मुनेत्र कड़गम नाम की नई पार्टी बनाई। जिसके महासचिव दिनकरण को बनाया गया। बेनामी सम्पत्तियाँ उजागर होने के बाद शशिकला के साथ साथ दिनाकरण का भी राजनीतिक भविष्य संकट में आ गया है। शशिकला और दिनाकरण की अकूत सम्पति उनके राजनीतिक भविष्य को बचाने के कोई काम नहीं आयेगी। (लेख में लेखक के अपने विचार हैं)
लेखक : लोकपाल सेठी