प्यार का गुलाबी अहसास (वेलेन्टाइन डे)


लेखिका : रेणु जैन


                 जब हवा ने फूल को पहली बार चूमा तो खुशबू ने जन्म लिया और जब रोते हुए बच्चे को माँ ने सहलाया पुचकारा तो प्यार पहली बार आसमान से जमीन पर उतरा। एक कविता की पंक्ति है कि इस दुनिया में भले ही सब कुछ समाप्त हो जाए, मगर प्यार फिर भी जिंदा रहेगा। चाँदनी में भीगकर क्या किसी का मन कभी पूरी तरह भरा है ? क्या हवा की गुनगुनाहट किसी को हर दम के लिए तृप्त कर सकी है ? क्या सूरज की रोशनी से कोई पूरी जिंदगी के लिए कुछ ही दिनों में शक्ति पा सका है ? और क्या किसी हँसते हुए बच्चे को देखकर मन अंतिम रूप से भर सकता है ? ठीक वैसे ही वेलेन्टाइन-डे प्यार को जिंदा रखने का प्रण लेने का दिन है।


                कहते हैं संत वेलेन्टाइन को 14 फरवरी के दिन फाँसी पर चढ़ाया गया था। संत वेलेन्टाइन ने अपनी मौत के समय जेलर की अंधी बेटी जैकोबस को अपनी आँखें दान की तथा जैकोबस को एक खत भी लिखा जिसके आखिर में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेन्टाइन’ कहते हैं यहीं से वेलेन्टाइन-डे के मनाने की परम्परा शुरू हुई। एक अन्य किवंदती के अनुसार डेढ़ हजार वर्ष पूर्व रोम से वेलेन्टाइन-डे का सफर शुरू हुआ था। दुनिया में इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाने का प्रचलन है। भारत में भी कई विरोधों के बावजूद पूरी धूमधाम से इसे मनाया जाता है।


                फूल, ग्रीटिंग्स, टाॅफियाँ, केक आदि से सभी अपने को सजा-सँवार कर इस दिन की अगवानी में जुट जाते हैं। सारे होटल, रेस्टाॅरेंट ‘दिल’ के आकार के लाल रंग के गुब्बारों से सजने लगते हैं। हर जगह बस एक ही लाल रंग नजर आने लगता है। लाल रंग ऊर्जा, उत्साह, साहस, महत्वाकांक्षा, क्रोध, उत्तेजना और पराक्रम यानी जीत का प्रतीक है। प्रेम का प्रतीक लाल रंग धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। देवी माँ  की साधना करने के लिए मंदिर में रामायण पाठ करने में लाल रंग की जरूरत पड़ती है। इस चमकीले लाल रंग जिसे उगते सूरज का रंग भी कहा जाता है तथा मंगल ग्रह भी लाल रंग का ही माना गया है । आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक लाल रंग रक्त एवं हृदय संबंधी समस्याओं तथा मानसिक क्षीणता को दूर करने में सहायक होता है।


                ऋतुओं का राजा वसंत भी पूरे उत्साह के साथ इसमें शामिल हो जाता है। इस महीने खेतों में हरे-पीले फूलों के कालीन बिछने लगते हैं। फूलों की खूशबू और जीवन के रंग के बीच अद्भूत रिश्ते हैं जो कभी पुराने नहीं होते । सालों पहले किसी का दिया फूल किताब में सूख जाता है पर न जाने कौन-कौन से एहसास अपने में दबाए रहता है। लाल गुलाब प्रेम के इजहार के लिए तथा पीला गुलाब सिर्फ दोस्ती के लिए होता है। वहीं सफेद गुलाब का मतलब  होता है हमारा प्यार पवित्र है। गुलाबी गुलाब जब दिल में कोई धड़कना शुरू कर दे तब इसका एहसास दिलाने के लिए दिया जाता है। वैसे प्यार नापने का कोई पैमाना तो नहीं होता, हाँ प्यार के रूप अनेक होते हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था कि जिसने प्यार सच्चे दिल से किया उसकी पहुँच खुदा तक होती है। वहीं वी. यूगो कहते हैं कि जिंदगी का खूबसूरत सत्य यह हे कि हाँ, मैंने प्यार किया खुद से, खुद के लिए ।


                 गौतम बुद्ध ने कहा था कि ‘‘तुम्हें स्वयं को भी उतना ही प्रेम और स्नेह करने का हक है जितना कि इस ब्रम्हांड में किसी और को।’’ असलियत यह है कि अपने से मोहब्बत करने की व्यक्ति के पास फुर्सत ही नहीं होती जबकि कई शोधकर्ताओं और मनोवैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि एक दृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण तभी हो सकता है जब सबसे पहले व्यक्ति अपने से प्यार करना सीखे अर्थात् व्यक्ति अपनी खूबियों, अपने हुनर, अपनी अकल अपने दिलों दिमाग वगैरह की ऐसी सजावट करे कि उसमें हर एक से बात के लिए जगह हो फिर चाहे अच्छी हो या बुरी।


                 तो जिसने प्यार किया वही सही मायने में जिंदा है। प्यार हवा में भी है। उसे समझिए और सूँघकर देखें फिर अपने में बसा लें। सच्ची मोहब्बत का गुलाल जितना उड़ता है उससे ज्यादा फैलता है। याद रखिए, इस गोल दुनिया में कहीं न कहीं कोई न कोई  किसी न किसी जगह पर आपका बेसब्री से इंतजार कर रहा है। तो बस, खुद से प्यार करें फिर जग की छोटी से छोटी चीज से आपको प्यार हो ही जाएगा। गुलजार ने भी कभी लिखा था -


हमने देखी है,


उन आँखों की महकती


खुशबू,


हाथ से छू के


इसे रिश्तों का इल्जाम न दो


सिर्फ एहसास है ये


रूह से महसूस करो


प्यार को प्यार ही रहने दो


कोई नाम न दो।।


(लेख में लेखिका के अपने विचार हैं)


Renu Jain 


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