कुपोषण वाले देश में पोषक खबर


शिशु के लिए माँ का दूध अमृत होता है।
माँ का दूध जन्म से ही बच्चे के लिए रक्षा कवच की तरह काम करता है
क्रास मदर मिल्क बैंक में एक माँ का शुद्ध दूध दूसरी माँ के बच्चे को दिया जाता है।
नवजात शिशु में रोग-प्रतिरोधक शक्ति जन्म से नहीं होती, यह ताकत शिशु को माँ के दूध से प्राप्त होती है।
विश्व में सबसे अधिक शिशु मृत्यु का कारण निमोनिया है, प्रतिवर्ष 16 करोड़ बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है।


 विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार जहाँ शिशु मृत्यु दर वैश्विक औसत प्रति 1 हजार पर 32 है वहीं भारत में इसका औसत 38 है। माना जाता है कि शिशु के जन्म से लेकर छह माह तक स्तनपान कराने से शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। हाल ही में खबर आई है कि इंदौर और भोपाल में शीघ्र मदर मिल्क बैंक खुलने जा रहे हैं। निश्चित ही यदि ऐसा होता है तो यह उस राज्य के लिए बहुत सुखद होगा, जहाँ शिशुओं की मृत्युदर का आँकड़ा हमेशा शर्मिंदा करता है। इस क्रास मदर मिल्क बैंक में एक माँ का शुद्ध दूध दूसरी माँ के बच्चे को दिया जाता है। कई माताओं को दूध नहीं आता या किसी अन्य कारणों से वह दूध पिलाने की स्थिति में नहीं होतीं, ऐसे में उनके बच्चों को मिल्क बैंक से दूध दिया जा सकेगा।


 साल 2018 में जारी आँकड़ों के मुताबिक  राजस्थान में सबसे ज्यादा तेरह, महाराष्ट्र में बारह, तमिलनाडु में दस मदर मिल्क बैंक हैं। इन राज्यों के बाद अब चैन्नई तथा दिल्ली एनसीआर में यह बैंक खुले हैं। सर्वज्ञात है कि नवजात शिशु के लिए माँ का दूध अमृत होता है। सरकार और विभिन्न संगठन बार-बार महिलाओं से अपील करते रहते हैं कि वे अपने नवजात शिशु को एक तय सीमा तक स्तनपान ही कराएँ और उसे बाहर के दूध से बचाएँं। इससे शिशु का शारीरिक, मानसिक विकास अच्छा होता है। माँ के दूध में कम से कम 100 तत्व ऐसे होते हैं जो गाय के दूध में भी नहीं होते और न ही किसी प्रयोगशाला में विकसित किए जा सकते हैं।


 गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व भर में नवजात शिशु से लेकर छह माह तक की आयु के मात्र 40 फीसदी बच्चों को ही बेहतर स्तनपान मिल पाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2016 में विश्वभर में इस रिपोर्ट में कम आयु वाले 15 करोड़ 50 लाख बच्चे कद में छोटे थे वहीं 5 करोड़ 20 लाख बच्चों का वजन कम था जबकि 4 करोड़ 10 लाख बच्चों का वजन सामान्य से अधिक था ।



 वस्तुतः इस बैंक की यह खासियत होती है कि वहाँ डीप फ्रीजर में मानइस 20 डिग्री तापमान पर भी दूध को तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। इस मशीन में लेमिनर एयरफ्लो के माध्यम से दूध की बाॅटल को कीटाणुरहित रखा जाएगा, फिर दूध को बैक्टिरिया मुक्त किया जाएगा। यहाँ दूध दान करने वाली महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाएगी या अन्य किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी से ग्रस्त तो नहीं हैं। दूध को फ्रीजर में रखने से पहले एक बार अंतिम रूप से दूध का कल्चर टेस्ट कराया जाएगा कि क्या वह पूर्णरूप से बैक्टिरिया मुक्त हो चुका है या नहीं।


 दरअसल, माँ के दूध को इसलिए अमृत कहा जाता है क्योंकि शिशु के लिए दूध जन्म से  ही एक रक्षा कवच की तरह काम करता है। नवजात शिशु में रोग-प्रतिरोधक शक्ति जन्म से नहीं होती। शिशु को यह ताकत माँ के दूध से प्राप्त होती है। विश्व में सबसे अधिक मृत्यु का कारण निमोनिया है। प्रतिवर्ष 16 करोड़ बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है। यदि पर्याप्त स्तनपान हो सके तो बच्चे ऐसे अनेक रोगों से स्वतः लड़ सकते हैं। माँ के प्रथम दूध (कोलोस्ट्रम) को एक तरह का टीका भी कह सकते हैं। शिशु इसे सेवन करें तो उसे विभिन्न विटामिन्स, एंटीबाॅडी तथा अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते हैं, जिससे कई रोगों के होने का  खतरा टल जाता है। (लेखक के अपने विचार हैं)



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