लेखक : नवीन जैन
सियासत हो या असली जिंदगी, कोई कब निर्णायक रोल अदा कर जाए इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ज्ञातव्य है कि सिंधिया राजघराने (पूर्व) अपनी जीवन संगिनियों और सास-श्वसुर को परदे पर लाने के खिलाफ कड़ा अनुशासन है। शायद ही कभी देखा गया होगा कि 18 साल के पोलिटिकल कॅरियर में हाल में भाजपा ज्वाइन करके पूरी कांग्रेस की एक तरह से बिजली गुल करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी अपनी श्रीमती जी या अन्य किसी ससुराल पक्ष के व्यक्ति को सामने लाए हों, मगर विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि सिंधिया को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलवाने में उनके श्वसुर वडोदरा राजघराने के सदस्य संग्राम सिंह गायकवाड़ की काफी कुछ निर्णायक भूमिका रही है। जान लें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की जीवन संगिनी प्रियदर्शिनी राजे संग्राम सिंह की पुत्री हैं। संग्राम सिंह के वरिष्ठ भ्राता का नाम समरजी सिंह गायकवाड़ है।
वैसे तो सिंधिया को रेश (तेज) ड्राइविंग (कार चलाने) की आदत है, मगर उन्होंने शायद मध्यप्रदेश की सड़कों पर सालों से टंगी इन तख्तियों पर अक्सर गौर किया होगा दुर्घटना से देर भली। इसीलिए सिंधिया ने अपनी 18 वर्षीय सालीया राजनीति में तो धीमी गति से गाड़ी चलाई और वहाँ पहुँच कर बताया जहाँ उनकी पहुँचने की चाहत थी और संयोग देखिए कि फिराख गोरखपुरी का मशहूर शेर लागू हुआ- "मैं तो चला था अकेला, जानिब ए मंजिल मगर लोग आते गए और कारवाँ बढ़ता गया"। मीडिया का कहना है कि अभी तक तो 22 के आसपास मध्यप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री तथा विधायकों ने विधानसभा से कथित रूप से इस्तीफा दे दिया है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को साधने की निर्णायक कोशिश के चलते सूत्रों के अनुसार पहले एक तरह का आॅपरेशन चलाया गया, जिसके तहत गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा एवं भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गुणा-भाग लगाया। उसी के बाद गायकवाड़ राज परिवार ने ग्रीन सिग्नल दिया और तय पाया गया कि सिंधिया को फलाँ तारीख को फलाँ समय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलना है। मुलाकात ठीक-ठाक हुई और सिंधिया ने कांग्रेस को आखिरी सलाम कर दिया।
सूत्र बताते हैं कि सिंधिया के श्वसुर संग्राम सिंह के पिता प्रताप सिंह गायकवाड़ आजादी के पहले तक गायकवाड़ स्टेट के अंतिम राजा थे। कहा जाता है कि समरजीत सिंह और संग्राम सिंह के बीच जायदाद को लेकर विवाद था लेकिन मामला कोर्ट की मध्यस्थता के कारण सुलझ गया। कहा जाता है कि इस बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रियदर्शिनी एक-दूसरे से मिलते रहते थे और फिर दोनों सन् 1994 में विवाह के बंधन में बँध गए। प्रियदर्शिनी का बचपन मुंबई अपने पिता के साथ बीता, जहाँ उनके निवास हाऊस का नाम है वडोदरा हाऊस। वडोदरा का इंदुमति और नजर बाग पैलेस भी उन्हीं के हक में आता है। (लेखक के अपने विचार हैं)
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