कोविड-19 के बारे में मनोचिकित्सक डॉ. मंशारमानी से नवीन जैन की खास बातचीत 

मिली हवाओं में उडने की वो सजा यारों।।
मैं जमीन के रिश्तों से कट गया था यारों।


(डे लाइफ डेस्क)
कोरोना वायरस हमारी तथाकथित आधुनिक जीवन पद्धति को तोडने वाली सिद्ध होगी। यह बहुत बडी जीत हो सकती है। क्योंकि यह तलाश एक प्रकार से मृगतृष्णा के समान थी जो खासकर आधुनिक खानपान और व्यसनवृत्ति से जुडी थी। ह्य समझ बैठे थे कि जीवन का असली सुख इसी में है। हम भूल गये थे कि जीवन का असली सुख   मृग की तरह हमारी नाभि मे ही छुपा है। जो प्राचीन भारतीय पद्धति है। इसीलिये जमानो पहले हम निरोग होकर लंबी आयु जीते थे। इसका प्रमुख कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता थी। जो संयमित आचरण, संयमित जीवन शैली, शाकाहारी भोजन और योग व्यायाम से उत्पन्न होती थी।
कोरोना के एक दुर्दांत प्रहार ने एक ही झटके में इशारा कर बता दिया है कि हमारी असली जीवन शैली क्या है। हमारे धर्म शास्त्रों में पूजा पद्धति को स्नान से जोडा गया। हम रोज स्नान करके पूजा करें। इसके पश्चात ताजा शुद्ध शाकाहारी भोजन करें। क्योंकि यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुडा है। लेकिन पता नहीं किस हडबडी के चलते हम जीवन की ये दैनिक नियमावली भूल गये।
यह कथन है डाॅक्टर दीपक मंशारमानी के। डाक्टर मंशारमानी इंदौर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं और कई बडे अस्पतालों से जुडे हैं। एमडी सायकायट्रिस्ट और डीपीएम व एफ आई पी एस डिग्री प्राप्त डॉ मंशारमानी का कहना है कि हमें जंक फूड खाने की जरूरत ही नहीं है। हमें तो केवल दाल रोटी खाना है। हमें वह भोजन पद्धति अपनानी है जो भारतीय है। हमें स्वस्थ और लंबा जीवन जीना है।कोरोना वायरस ने हठात हमें उस रास्ते पर चलने से मना कर दिया जो हमारे जीवन और स्वास्थ्य के अनुकूल नही है। यह एक प्रकार का शुभ संकेत है।


डाक्टर मंशारमानी कहते हैं कि कोरोना की आग का एक दिन ठंडी पडना तय है। मगर इस आग  की रोशनी हमें हमारी जडों की तरफ ले जाने मददगार होगी। हमारा जमानी सच्चाइयों से जुडना जरूरी है। अभी तक हम वृक्ष के शीर्ष पर बैठकर मुगालता पाले थे। कोरोना के एक झटके ने सभी को जमीन पर ला दिया है। 


डाक्टर मंशारमानी का कहना है कि मीडिया ने डर फैला कर अच्छा किया है। डर का इलाज पैनिक है। हमारी बुद्धि इतनी गतिमान नही होती है कि हर बात का इलाज खोज ले। मनोविज्ञान कहताहै कि डर का इलाज डर फैला कर ही किया जा सकता है। (लेखक के अपने विचार हैं ) 



नवीन जैन 
इंदौर