कोरोना की आपदा में रेडक्रॉस का योगदान

(डे लाइफ डेस्क)


मानव सेवा के काम के कई संगठन है। ये संगठन करीब करीब पूरी दुनिया मे फैले हुए हैं। इनमे सबसे ऊपर आता है रेडक्रॉस। कोरोना की आपदा में समर्पित रेडक्रॉस योद्धाओं को केंद्रीय मंत्री डॉ, हर्षवर्धन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बधाई दी तथा कहा कि कोविड-19 से स्वस्थ हुए रोगियों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उनके रक्त से स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी प्लाज्मा का उपयोग कोरोना प्रभावित रोगियों को शीघ्र स्वस्थ करने में किया जा सकें। ऐसे में इस संगठन को मोबाइल रक्त संग्रह वैन ओर लाने छोड़ने जैसी विभिन्न सुविधाओं के माध्यम से स्वेच्छिक रक्तदाताओं की व्यवस्था बताते हुए ट्रांसफ्यूजन के लिए पर्याप्त रक्त का स्टॉक रखने के लिए भी कहा गया है।रेड क्रॉस सोसाइटी के महासचिव श्र्री आर.के. जैन ने कहा कि दुनिया भर में फैल रहे कोविड-19 संक्रमण को समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।वर्तमान समय मे तकरीबन 186 देशों में रेडक्रॉस संस्था अपना कार्य कर रही हैं।


दुनियाभर में इसके 9.7 करोड़ वालेंटियर कर्मचारी एवं सहायक है।भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की 1100 से अधिक शाखायें हैं जो विभिन्न राज्यों में फैली है।यह संगठन यूं तो स्वास्थ्य सेवाओं में ज्यादा सक्रिय लेकिन इसके अलावा युद्द कर दौरान ओर प्राकृतिक आपदा के समय भी रेडक्रॉस सक्रिय रहता है।इसका मुख्यालय जेनेवा में है।खास बात यह भी है कि इस संस्था को तीन बार 1917,1944 तथा 1963 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। रेडक्रॉस की स्थापना 1863 ई.में हेनरी दिउनेन्ट ने जेनेवा में की थीं ।प्रतिवर्ष विश्व रेडक्रॉस डे 8 मई को मनाया जाता है जो कि इसके संस्थापक हेनरी दिउनेन्ट का जन्मदिन है।हेनरी दिउनेन्ट को उनकी मानव सेवा के लिए वर्ष 1901 में पहला नोबल पुरस्कार दिया गया था।


भारत मे द ई इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी की स्थापना 1920 में हुई और पूरी दुनिया की तरह भारत मे भी रेडक्रॉस का चिन्ह मानवीय सेवा के एक प्रतीक के तौर पर स्थापित हुआ।भारत मे अनेक प्रकार की समस्याओं में लगातार निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं देने वाले सेवको के लिए अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस ने एक नारा भी दिया था " अपने अंदर के स्वयंसेवक को पहचानों।"


इस संस्था की पहचान के लिए सफेद पट्टी पर लाल रंग का चिन्ह है जो आज पूरे विश्व मे पीड़ित मानवता की सेवा का प्रतीक बन गया है।यह चिन्ह हमेशा अस्पतालों ,नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरियों ,एम्बुलेंस आदि पर अंकित रहता है। डॉक्टर या चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी व्यक्ति इस संकेत का उपयोग इसलिए करते है ताकि आपातकाल के समय उन्हें आसानी से पहचाना जा सके।


गौरतलब है कि वर्तमान समय मे परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या, युध्द की बढ़ती आशंका समय समय पर भूकम्प तथा तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओ के समय आने वाली दिक्कतों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस जैसी संस्था का महत्व बढ़ गया है। बंगाल की भुखमरी से लेकर कई प्राकृतिक आपदाओं के समय इस संस्था ने सहायता पहुँचाई है। रेडक्रॉस द्वारा चलाए गए रक्तदान जागरूकता अभियान के कारण ही आज थेलेसिमिया, कैंसर, एनीमिया जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों से हजारों लोगों की जान बच रही है। रेडक्रॉस संस्था जंग के दौरान मानवीयता से जुड़े कदम उठाने के लिए पहचानी जाती है।रेड क्रॉस संस्था पूर्ण रूप से स्वेच्छिक शान्ति अभियान है जो किसी भी तरह  की अपेक्षा को प्रोत्साहित नही करता। यह एक स्वतंत्र संस्था है। रेडक्रॉस संस्था का मुख्य उद्देश्य जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा के साथ सभी देशों के लोगो के बीच आपसी समझ, मित्रता ओर सहयोग को बढ़ावा देना भी होता है। एक समय था जब मानवता को प्रताड़ित किया जाता था तो रेडक्रॉस को भी उस देश मे जाने की अनुमति नही होती थी अगर कोई देश अनुमति दे भी देता था तो वहाँ की सरकार के सहयोग के बिना लोगो की समस्याओं को दूर नहीं किया जा सकता था किंतु आज स्थिति में काफी बदलाव आ चुका है।


आज रेडक्रॉस की बहुत सम्मानजनक स्थिति है। यह संस्था विभिन्न प्रकार की आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं देती है। साथ ही यह संस्था जाति, धर्म, वर्ग या राजनीति के आधार पर कोई भेदभाव नही करती।युद्ध काल मे बंदियों की सहायता तथा अन्य पीड़ितो की सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी का निर्माण करने के साथ ही यह संस्था बंदी शिविर की देखरेख, युध्द बंदियों को संतोष तथा आराम भी पहुंचाती है। शांति तथा युद्ध के समय मे सरकारों ,राष्ट्रों तथा उपराष्ट्रो के बीच शुभचिंतक मध्यस्थ के रूप में भी अपनी भूमिका निबाहती है। रेडक्रॉस चिन्ह सैन्य चिकित्सा सेवाओ, उनके कर्मियों, इकाइयों, प्रतिष्ठानों ओर परिवहन के साधनों में उपयोग में लाया जा सकता है।चिकित्सा, दंतचिकित्सा तथा नर्सिंग असोसिएशन के सदस्य भी इस चिन्ह का इस्तेमाल कर सकते है। निजी दवा कंपनी, निजी क्लिनिक अस्पताल, नर्सिंग होम, पारम्परिक चिकित्सक वैद्य के अलावा एम्बुलेंस सेवाओं के संचालन संगठन इस चिन्ह का इस्तेमाल कर सकते है। रेड क्रॉस चिन्ह का दुरुपयोग करने पर जुर्माना तथा जिस सम्पति या वाहन पर इस चिन्ह का इस्तेमाल किया हो उसे ज़ब्त भी किया जा सकता है। (लेखक के अपने विचार है)



नवीन जैन, इंदौर