सोनी सब के कलाकारों का मदर्स डे पर किया अपनी मांओं का आभार


(डे लाइफ डेस्क)
 
मुंबई।  स्मिता बंसल (सोनी सब के ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ की अम्‍मी) हर किसी की जिंदगी में मांओं का एक खास स्‍थान होता है और मुझे ऐसा लगता है कि हमारी व्‍यस्‍त जीवनशैली, में एक ऐसा दिन है जहां सारा परिवार एक साथ मिलकर मांओं को शुक्रिया कहता है। इस दिन को मनाने का मेरी दोनों ही बेटियों का एक अलग ही तरीका है। मेरी छोटी बेटी को कुछ खास तोहफा देना जैसा कोई कार्ड और केक देना पसंद है। वहीं दूसरी तरफ मेरी बड़ी बेटी बोलकर अभिव्‍यक्‍त करती है और अपनी बातों से मुझे स्‍पेशल महसूस कराती है। ये छोटी-छोटी बातें मेरे जीवन की सच्‍ची खुशियां हैं। परदे पर मेरे बेटे की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ भी अपने व्‍यवहार से मुझे खास महसूस कराते हैं। मैं सचमुच उनकी बहुत चिंता करती हूं और सेट पर भी स्‍वाभाविक रूप से उन पर ध्‍यान चला जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं उन्‍हें अच्‍छी तरह समझती हूं, क्‍योंकि वह मेरी बेटी के उम्र के ही हैं।


जब मैं बड़ी हो रही थी, मैं हमेशा ही कहती थी कि मैं अपनी मां जैसा नहीं होना चाहती हूं, लेकिन अब जबकि मैं खुद एक मां हूं, अब मुझे यह बात समझ में आ गयी है कि क्‍यों वह हमारे खाने-पीने को लेकर इतनी सख्‍त थीं और क्‍यों हमेशा मुझे कुछ अलग तरह की स्किल सीखने के लिये प्रेरित करती रहती थीं। इससे पहले मैं इस बात को नहीं समझ पायी थी लेकिन अब मैं खुद भी अपने बच्‍चों के साथ वही कर रही हूं। मेरी मां अनुशासनप्रिय हैं और जब मैंने सोचा था कि मैं एक एक्‍ट्रेस बनना चाहती हूं तो मैंने उम्‍मीद नहीं की थी कि वह मेरा साथ देंगी। मेरी मां की उस ‘हां’ की वजह से ही मैं इस इंडस्‍ट्री में हूं और मैं अपने जुनून को आगे बढ़ा पायी।


इस लॉकडाउन ने मेरे परिवार को बेहद करीब ला दिया है और मैं सभी लोगों से आग्रह करना चाहूंगी कि इन कीमती पलों को जी भर कर जियें। साथ ही एक परिवार के रूप इस समय को संजोयें। बाहर काम करने वाली मांओं से मैं यह कहना चाहूंगी कि अपने बच्‍चों के साथ ज्‍यादा वक्‍त ना बिता पाने का अपराध बोध महसूस ना करें, क्‍योंकि आपका काम है बच्‍चों के साथ ज्‍यादा से ज्‍यादा क्‍वालिटी टाइम बिताना। सभी मांओं को ‘हैप्‍पी मदर्स डे’।


कृष्‍णा भारद्वाज (सोनी सब के ‘तेनाली रामा’ के पंडित रामा कृष्‍णा)


मांओं का तो हर दिन ही शुक्रिया करना चाहिये लेकिन इस दिन वह कुछ खास पाने की हकदार हैं। मेरे थियेटर के दिनों से ही मेरे कॅरियर में मेरी मां का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मुझे याद है जब मैं अपने कॅरियर में संघर्ष कर रहा था तो उन्‍होंने पैसों की मदद देकर मुझे सपोर्ट किया था।


मां से जुड़ी दिल छू लेने वाली सबसे अच्‍छी यादें बचपन के दिनों की हैं। मुझे आज भी याद है, बिस्‍तर के पास लीकेज था और मैं अच्‍छी तरह और सुरक्षित रूप से सो सकूं, उन्‍होंने मुझे वहां कभी सोने नहीं दिया। यह एक मां के नि:स्‍वार्थ प्रेम को दर्शाता है।


अब जबकि हम सब अपने-अपने घरों में बंद हैं, मुझे उनकी बहुत याद आ रही है कि मैं उनसे मिल नहीं पा रहा हूं और उनके हाथों के बने स्‍वादिष्‍ट खाने का स्‍वाद नहीं ले पा रहा हूं, जो वह मेरे लिये पकाती हैं। खासकर गट्टे की सब्‍जी, दाल बाटी चूरमा, सत्‍तू के पराठे और काफी सारी चीजें हैं। मुझे उनसे मिलने का बेसब्री से इंतजार है जब यह लॉकडाउन खत्‍म हो जायेगा। और मैं उन्‍हें कोई ज्‍वैलरी देना चाहता हूं क्‍योंकि यह उन्‍हें बहुत पसंद है। इस मुश्किल घड़ी में मांओं की जिम्‍मेदारी और ज्‍यादा बढ़ गयी है और मुझे यह देखकर बहुत खुशी महसूस होती है कि आजकल के बच्‍चे घर के कामों में अपनी मांओं का हाथ बंटा रहे हैं। ये बच्‍चे इस बात को भी अच्‍छी तरह समझते हैं कि उनकी मांएं कितनी मेहनत कर रही हैं। मैं अपने सभी फैन्‍स तथा दर्शकों से कहना चाहूंगा कि भले ही कोई छोटी सी चीज करके लेकिन अपनी मांओं के लिये इस दिन को खास बनायें और अपनी जन्‍मदात्री का आभार व्‍यक्‍त करें। सबको ‘मदर्स डे’ की शुभकामनाएं।‘’


सोनाली नाईक (सोनी सब के ‘मैडम सर’ की पुष्‍पा)


मां के प्‍यार से बड़ा कोई प्‍यार नहीं होता। मांएं सही मायने में नि:स्‍वार्थ प्रेम और ताकत का प्रतिबिंब होती हैं। बचपन में मैंने अपनी मां को उन सारी मुश्किल परिस्थितियों में मदद करते हुए देखा है ताकि उनके बच्‍चों को किसी तरह की परेशानी ना उठानी पड़े। उस समय उन बातों को समझने के लिये मैं बहुत छोटी थी, लेकिन मैंने सच्‍चे प्‍यार की ताकत देखी है और किस तरह वह अपने बच्‍चों के लिये ढाल बनकर खड़ी रही हैं, मैंने देखा है।


उन पलों के बारे में सोचते हुए मुझे वह समय याद आ गया जब मेरी बेटी ने मेरे लिये एक चिट्टी लिखी थी, यह 16 साल पुरानी बात है, जब उसने मुझे रोते हुए देखा। उसने लिखा था,’मां आप रोओ मत। आप रोयेंगी तो मैं रोऊंगी’, उस बात ने मुझे बहुत ही भावुक कर दिया था और साथ ही एक मां होने की बेहद खुशी भी महसूस हुई थी। इस समय हम सभी अपने घरों में हैं, जिससे हमें एक साथ बिताने के लिये जरूरी समय मिल गया है।


इस ‘मदर्स डे’ पर हम एक साथ मिलकर लूडो या कार्ड खेलने के रोजाना वाले रूटीन का पालन करना ही पसंद करेंगे और लजीज खाना खायेंगे। मैं वाकई बेहद खुशकिस्‍मत हूं कि अपनी बेटी के साथ मैं यह क्‍वालिटी टाइम बिता रही हूं। यह वक्‍त हमें और करीब ले आया है। सभी मांओं को ‘हैप्‍पी मदर्स डे’।