बच्चे कितने भी आज्ञाकारी हों, विश्वास खुद के निवेश पर करें

जीवन संध्या और समृद्धि?



छोटी बचत लम्बी अवधि में बड़ी रकम बन जाती है ! 
निवेश की प्रक्रिया को बुद्धिमानी से पूर्ण करते चलें...!


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जो लिखा वो भोगना है, अटल सत्य पर इस सत्य को जीने के लिए स्वयं की युवावस्था से आर्थिक नीतियों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक क्योंकि यदि आप अपने जीवन में स्वस्थ व समृद्ध हैं ठीक वरना जीवन कष्टकारी हो जाता व जीने की चाह मध्यिम हो जाती है। इसलिए आर्थिक रूप से समृद्ध बने रहने के लिए अपनी युवावस्था से बचत, निवेश, बैकों की सही कार्य प्रणाली के तरीकों का ज्ञान होना अनिवार्य है। प्रारम्भ से बचत का प्रावधान रखना चाहिए पर कभी-कभी आकस्मिक खर्चों के कारण बचत संभव नहीं हो पाती, फिर बाल्यावस्था की गुल्लक को स्मरण करते हुए छोटी-छोटी बचत अवश्य करें।



आज की जीवनशैली में अधिक वृद्ध होने तक कोई कार्य करना नहीं चाहता व सरकारी नौकरियाँ पचास व साठ वर्ष तक रिटायर कर देते, ऐसे में शेष जीवन कैसे आराम व आनन्द से व्यतीत हो इसका प्रावधान आज की जीवनशैली में परम आवश्यक है। इसके लिए धन बचत योजनाएं जितनी जल्दी प्रारम्भ करेंगे उतना धन संग्रह हो जायेगा। जैसे ‘बूदं-बूंद से सागर भरता’ ये कहावत उचित क्योंकि समझदारी से की गई छोटी बचत लम्बी अवधि में बड़ी रकम बन जाती और कोई योजना तरीके से क्रियान्वत की जाए सफल होती है।



आर्थिक बचत योजना बनाते समय वृद्धावस्था का विचार करते समय आकस्मिक दुर्घटना, बीमारी का ध्यान अवश्य रखें व इन सबसे निपटने के लिए आर्थिक रूप से समृद्ध होने का प्रावधान और जीवन के साथ की जटिलताओं पर ध्यान दें। ईश्वर का उपहार जीवन इसमें कंजूसी नहीं बचत करें, कर्ज से डरें, साथ-साथ इन बातों को रूढ़िवादी मानकर न चलें क्योंकि समय बहुत बलवान होता, कभी भी आपत्ति आ सकती और ऐसी स्थिति में छोटा खर्च बड़ा लगता है। इसलिए निवेश की प्रक्रिया को बुद्धिमानी से पूर्ण करते चलें व आपके बच्चे कितने आज्ञाकारी व समृद्ध हों, उन पर आधारित न होकर स्वयं के निवेश पर विश्वास करें क्योंकि जीवन में धन के बल पर अपनों की चाह व राह दोनों मिलती रहती हैं।


साथ-साथ ये ध्यान रखें कि पति-पत्नी दोनों न साथ आएं और न ही जाएगें इसलिए अकेले जीवन व्यतीत करने के लिए आर्थिक योजना मिलजुलकर बनाएं क्योंकि अकेले व्यक्ति को आर्थिक आत्मनिर्भरता अति आवश्यक, वरना वृद्ध शरीर अकेलापन व धन का अभाव जीवन को बोझ बना देता है। कहने का आशय है कि युवावस्था के दर्पण में वृद्धावस्था को देखते, आर्थिक योजनाएं बनाएं ताकि आपके जीवन की संध्या सुखपूर्वक व्यतीत हो। (लेख में लेखिका का अपना अध्ययन और अपने विचार हैं)



लेखिका : रश्मि अग्रवाल
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