(तीसरी क़िस्त)
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सदी के नायक शायर डॉ. राहत इंदौरी ने एक मर्तबा मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू से पूछा, बापू यह राम कौन हैं? मोरारी बापू ने मुस्कुराकर जवाब दिया, जो राहत दे, वही राम है। आपको ज्ञात ही होगा कि मोरारी बापू ने राम मंदिर फंड में पांच करोड़ रुपए का दान दिया है। राहत साहब की पोती का नाम गीता है। इसी खुशगवार मिज़ाज की दूसरी खबरें भी मीडिया में बड़ी स्पेस पा रही हैं। हैदराबाद स्थित मौलान आज़ाद ऊर्दू राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलधापति फ़िरोज़ बख़्त अहमद ने इस तरह के समाचारों में नई खुशबू बिखेरी है। अहमद साहब ने तमाम मुस्लिम तबके के नाम अपील जारी की है कि वह राम मंदिर के निर्माण में पूरा सहयोग करें। इस रोशन दिल विद्वान ने अगस्त 05 को अयोध्या आ रहे पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर उक्त भूमि पूजन के मांगलिक मुहुर्त पर खुद के शामिल होने की ख्वाहिश बताई है। उन्होंने मोदी को मुबारकबाद भी दी है।
फ़िरोज़ साहब ने सुप्रसिद्ध शायर डॉ. सर मोहमद इकबाल के हवाले से बयान जारी किया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हिंदुओ के साथ मुसलमानों के भी इमाम हैं। उन्होंने इस चिर अभिलाषित शुभ अवसर पर स्वयं अयोध्या आने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। उक्त विद्वान ने बड़ी चमकीली बात कही है कि गत तकरीबन पाँच सौ सालों में कई राजा महाराजाओं, जिनमें मुस्लिम, हिंदू एवं अंग्रेज थे, ने कोशिशें की मगर अंततः सुप्रीम कोर्ट ने समस्या का निराकरण कर दिया। राम मंदिर निर्माण में मुस्लिम पक्ष रखने वाले अयोध्यावासी मोहम्मद इक़बाल अंसारी ने वैसे तो राजी खुशी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सिर माथे पर बैठा लिया था, किन्तु वे भी भूमि पूजन के लम्हों को अयोध्या जाकर ही अपनी आँखों में हरदम के लिए सुरक्षित करने लेना चाहते है। उनका दिल बुलावे की उतावली में है।
मतलब यह ही निकलत है इन सभी जज़्बों का कि एक अरब तीस करोड़ की जनसंख्या वाले लोग का एक ही प्यारा वतन है। जिसे हिंदुस्तान कह लो, भारत नाम दे दो या मान जाओ कि इंडिया है। फर्क क्या पड़ेगा। यहीं तो सभी को जीना है। यहीं पर सभी को मरना है और यहां की माटी को खून पसीने से इस कदर सींचना है कि एक दिन यह नाज़ से कहे कि हम ही तो जगत गुरू हैं। राम लला की पोशाक के भी क्या कहने। रत्नों से जड़ित हरी मखमली पोशाक उनकी सुंदरता को चार चांद लगाएँगी।
भूमि पूजन के दिन बुधवार पड़ रहा है, इसलिए पोशाक का रंग हरा रखा गया है। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न एवं वीर हनुमान के लिए भी पोशाके सिली जा रही हैं। आज जानकारी यह कि वास्तुकार आशीष सोमपुरा के अनुसार यह कि उक्त मंदिर इसलिए तना रहेगा, क्योंकि इसकी नीव में बहुत जान डाली गईं है। आशीष बताते हैं कि बेहद मजबूत नीव के कारण ही मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर आठ सौ साल से टीके हुए हैं तथा कम्बोडिया के अंकोरवाट जैसे मंदिर तो खजुराहो के मंदिरों से भी पुराने हैं। वजह नीव ही है। वैसे भी माना जाता है कमज़ोर नीव वाली मीनारें तो कभी भी ज़मींदोज़ हो सकती हैं। मंदिर की कुल लागत का अभी तय फिगर नहीं है, लेकिन भारत में ऐसे कार्यों के लिए पैसा आड़े नहीँ आता ।कल फिर दिखाऊंगा पुण्य नगरी अयोध्या के इस मंदिर के चंद और नज़ारे। इज़ाज़त दें। (लेखक के अपने विचार हैं) क्रमशः
लेखक : नवीन जैन
वरिष्ठ पत्रकार, इंदौर