मंथन करें ऐसा क्यों?
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कुछ लोग ‘काॅकटेल’ भाषा के नाम पर ‘हिंगरेजी’ या ‘हिंग्लिश’ से हिन्दी और अंग्रेजी दोनों को क्षति पहुँचा रहे हैं। जबकि हिन्दी भाषा के स्वर व व्यंजन का समावेश प्रत्येक नवजात शिशु के रूदन में सुनाई पड़ता है। हिन्दी भाषा के प्रति राजनेताओं में हिन्दी का सम्मान मात्र दिखावा न होकर, एहसास हो ऐसा क्यों? कि भारत के संविधान में देश को ‘इंडिया दैट इज भारत’ रूप में परिभाषित किया गया। जबकि भारत को छोड़कर, दुनिया में कोई अन्य देश नहीं होगा, जिसके नाम को परिभाषित करने की आवश्यकता पड़ती है। मंथन करें ऐसा क्यों? (लेखिका के अपने विचार हैं)
लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद, 9837028700