कविता : मन की छुपी रुंध


अनुबन्ध लिखूं
प्रतिबन्ध  लिखूं
कुछ भीतर का तटबन्ध लिखूं


अन्तर्मन का द्वंद लिखूं
मूढ़ मति मति मन्दः  लिखूं
भावो का पाखण्ड लिखूं


आवेशों का भवद्वंद लिखूं
जीवन का छल छिद्र लिखूं
टुकड़े टुकड़े खण्ड लिखूं


दीपक के संग धुंध लिखूं
मन की छुपी रुंध लिखूं


आसक्ति लिखूं, विरक्ति लिखूं
मोह  ममता  संग  विरक्ति लिखूं


लेखिका : ममता सिंह राठौर