फोटो : साभार
http//daylife.page
कंगना रानोत को वाइ प्लस की सुरक्षा देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद और कंगना को बधाई। अब शिव सेना को शायद समझ में आ जाएगा कि मुंबई या महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था बनाए रवखना उसी के घर की खेती नहीं है। ऊपर केन्द्र सरकार भी है। हो सकता है कि कंगना ने उतेजना में आकर कुछ ऐसा वैसा बोल दिया हो, मग़र उन्हें मुंबई में नहीं आने देने की धौंस तथा धमकी से एक सभ्य लोकतांत्रिक समाज किसी क़ीमत पर सहमत नहीं हो सकता। कंगना ने कुछ आपत्तिजनक बयान भी दिए हों तो उनके मामले को देखने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका है। अकेली शिव सेना उन्हें सबक की धमकी देने वाली कौन होती है? अब सफाई दी जा रही है कि हमने हरामखोर नहीं, नॉटी, यानी नटखट कहा था। वाह ! शाबास।
नारी शक्ति का सम्मान और प्रत्येक वर्ष महिला दिवस मनाने वाले देश में कुछ नेताओं की ऐसी ही दादागीरी चलती रही, तो किरण बेदी या कारगिल गर्ल बनना कौन युवती चाहेगी। रुडोल्फ हिटलर के एक सुरक्षा सलाहकार ने कहा था कि यदि मीडिया चुप हो जाए तो मैं मरे हुए सुअरों का बाड़ा दूंगा। सोशल मीडिया में लाख बुराइयां हैं, लेकिन कुछ यूजर्स ऐसे भी हैं, जो कंगना के हक में खड़े हैं। कंगना के मुबंई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर, पीओके और तालिबस्तान से करने से भी सहमति की कोई वजह नहीं है। मुझे नहीं मालूम कि कंगना की उम्र कितनी है, परन्तु वे मुंबई के मेट्रोपालिटन वजूद की जानकारी अधिकृत रूप से प्राप्त करें तो उन्हें पता लग सकता है कि रात की दुःखद घटनाओं को सुबह में ही भूल जाने को उत्सुक यह आर्थिक राजधानी दुनिया में लाजवाब है। (लेखक के अपने विचार हैं)
लेखक : नवीन जैन
इंदौर