विशेष आलेख
चुनाव आयुक्त पीएस मेहरा
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जयपुर। चुनाव आयुक्त पीएस मेहरा ने कोरोना काल में ‘सुरक्षित चुनाव‘ की चुनौती को स्वीकार कर कोरोना संबंधी सभी प्रोटोकॉल को अपनाते हुए चुनाव करवाकर देश और दुनिया के सामने नजीर भी पेश की।
बात यह है कि जब प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने शेष रही पंचायतों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। हर कोई संशय में था कि जब प्रदेश में कोरोना का प्रसार तेजी से हो रहा है ऎसे में पंचायत चुनाव कैसे हो सकेंगे? पंचायत चुनाव के संपादन का दारोमदार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तजुर्बेकार चुनाव आयुक्त श्री पीएस मेहरा पर था। कोविड-19 महामारी के बाद देश के किसी राज्य में पहली बार व्यापक स्तर पर चुनाव होना था। अब तक देश की कोई भी एजेंसी या संस्था चुनाव संबंधी गाइडलाइन नहीं बना सकी थी। यहां तक कि भारत निर्वाचन आयोग भी इस बारे में वैश्विक वेबिनार कर दुनिया के अन्य देशों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों से चुनाव के दौरान आने वाली चुनौती और संभावनाओं पर चर्चा कर रहा था।
ऎसे माहौल में मेहरा पर ‘सुरक्षित चुनाव‘ करवाते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने की दोहरी जिम्मेदारी थी। धीर-गंभीर स्वभाव के मेहरा ने इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को न केवल बखूबी निभाया बल्कि प्रदेश भर में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, मेडिकल विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी कोरोना संबंधी दिशा-निर्देशों को आयोग द्वारा निर्वाचन के लिए जारी की गई गाइडलाइन में शामिल करते हुए ‘सुरक्षित-शांतिपूर्ण और सफल‘ चुनाव करवाया।
पंचायत चुनाव के पहले सफल चरण के बाद राजस्थान देश में पहला ऎसा प्रदेश बन गया है, जहां पहली बार कोरोना संक्रमित मतदाता और उम्मीदवारों ने सभी प्रोटोकॉल की पालना के साथ निर्वाचन प्रणाली में सक्रिय भागीदारी निभाई है। यह मेहरा की दूरदर्शिता और परिपक्व सोच का ही नतीजा रहा है कि उन्होंने सभी तरह के प्रोटोकॉल की पालना करवाते हुए न केवल कोरोना संक्रमित मरीजों से पूरी सावधानी के साथ मतदान करवाया बल्कि उम्मीदवारों के लिए भी पहली बार विशेष गाइडलाइन तय की गई।
पहले चरण के चुनाव में रिकॉर्ड 83.50 फीसद मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर यह भी साबित कर दिया कि यदि कोई संस्था उनकी सुरक्षा के प्रति संवदेनशीलता दिखाए तो वे भी किसी मामले में पीछे नहीं रहेंगे। इसकी बानगी प्रदेश में हुए चुनाव में देखने को मिली, जहां मतदान के दौरान मतदाता मास्क लगाकर, सामाजिक दूरी बनाकर और सभी तरह के प्रोटोकॉल की पालना करते हुए निर्वाचन में सहभागिता निभाई।
पल-पल की रखते हैं नजर
चुनाव आयुक्त मेहरा की सुरक्षित चुनाव के प्रति सजगता और सतर्कता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे मतदान दिवस सहित अन्य दिनों में भी जिला निर्वाचन अधिकारियों, पर्यवेक्षकों और संबंधित अधिकारियों से वाट्सअप और फोन के जरिए सीधे संपर्क में रहे। मतदान और मतगणना दिवस पर तो अगले दिन सुबह 3-4 बजे तक सभी परिणाम घोषित होने पर ही ऑफलाइन नजर आए। उन्होंने अधिकारियों को कोई भी परेशानी होने पर सीधे स्वयं से संपर्क करने के भी निर्देश दिए, ताकि किसी भी तरह का कम्यूनिकेशन गैप ना रह सके।
कोरोना से बचाव के लिए बनाई विशेष रणनीति
चुनाव आयुक्त मेहरा ने अपनी सूझबूझ से न केवल लोकतंत्र को सुदृढ़ करने का काम किया बल्कि मतदाताओं को मतदान संबंधी विधिक अधिकारों का भी संरक्षण किया। उन्हें पता था कि ना तो कोरोना की वैक्सीन आई है और ना ही दवा ईजाद की जा सकी है। ऎसे में उन्होंने सभी मतदान केंद्रों के लिए ‘नो मास्क-नो एंट्री‘ (बिना मास्क-प्रवेश नहीं‘) को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और व्यक्तिगत संवाद कर सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों से चुनाव से पूर्व बातचीत कर मतदान केंद्रों पर आने वाले हर मतदाता के हाथ सेनेटाइज करने और अंतिम घंटों में कोरोना संक्रमितों से मतदान कराने की व्यवस्था दी।
जागरूकता पर दिया पूरा ध्यान
चुनाव आयुक्त मेहरा ने चुनाव के दौरान आमजन को कोरोना संबंधी जागरूकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने प्रदेश के सभी मतदान केंद्रों पर कोरोना की रोकथाम, बचाव और सावधानी संबंधी पोस्टर जारी कर उन्हें अनिवार्य रूप से चस्पा करने के निर्देश दिए। साथ ही सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को भी स्थानीय स्तर पर कोरोना संबंधी जागरूकता लाने पर जोर दिया। श्री मेहरा ने राज्य स्तर पर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर क्षेतर््ीय समाचार पत्रें में विज्ञापन प्रकाशित करवाए। चुनाव के प्रति लोगों के अति उत्साह के चलते हालांकि कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग की पूर्ण पालना नहीं हो सकी लेकिन प्रत्येक मतदान केंद्र पर मास्क लगे मतदाताओं की फोटो कोरोना के दौर में सुकून देती है।
फैसले जो बने मिसाल की नींव
देश में यह पहला मौका था, जब कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार दिया और कोरोना संक्रमित व्यक्ति को भी सशर्त मतदान कराया गया हो। मेहरा ने सुरक्षित चुनाव के लिए हर वह कदम उठाए जो इस दौरान बेहद जरूरी थे। चुनाव आयुक्त ने प्रचार के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के लिए उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को डोर टू डोर 5 व्यक्ति से ज्यादा नहीं जाने, प्रचार के दौरान मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए 2 गज की दूरी बनाने, प्रचार के समय उम्मीदवारों व समर्थकों द्वारा निश्चित समय के अंतराल में हाथों को सेनेटाइज करने और प्रचार के दौरान मतदाताओं एवं अन्य व्यक्तियों से हाथ ना मिलाने, गले ना लगने और ना ही पैर छूने के निर्देश दिए।