http//daylife.page
मुम्बई। टीवी, टेली, द ट्यूब, टीवी सेट, छोटा पर्दा, गूगल बॉक्स ये कुछ ऐसे मशहूर नाम हैं जिनसे टेलीविजन को जाना जाता है। भले ही ओटीटी मनोरंजन के मुख्य माध्यमों में से एक के रूप में उभरा है, लेकिन मनोरंजन के लिए आज भी टीवी सबकी पहली पसंद है। वर्ल्ड टेलीविजन डे के अवसर पर, एण्ड टीवी के कलाकारों जैसे ‘भाबी जी घर पर है‘ के विभूति नारायण मिश्रा (आसिफ शेख), ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी‘ से गुड़िया (सारिका बहरोलिया) और ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ से संतोषी मां ने टेलीविजन से जुड़ने की अपनी यादों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनके लिए जन संचार का माध्यम आज भी कितना उपयुक्त है।
‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी‘ की सारिका बहरोलिया ने कहा, एक समय था जब मेरी जिन्दगी टेलीविजन और मेरे पसंदीदा शो के आस-पास घूमती थी। मैं अपना पूरा काम खत्म कर लेती थी, घर पर हर किसी से खुद को एकदम अलग कर देती थी और घंटो तक टीवी के सामने चिपक के बैठी रहती थी। बड़े होते हुए मैं जो शो रोज देखने की आदी थी उसके अलावा भी मुझे यह एहसास हुआ कि सभी उम्र के लोगांे के लिए टेलीविजन पर दिन के किसी भी समय में कुछ न कुछ दिलचस्प चल रहा है। बच्चों के लिए कार्टून, हर समय खुद को अपडेट रखना पसंद करने वाले लोगो के लिए खबरें, मनोरंजन के रूप में दोगुना डेली सोप और अपनी व्यस्त जिन्दगी से कभी कभी ब्रेक लेने वालों के लिए म्यूजिक और जबरदस्त प्रशंसक के लिए पिक्चर्स, रूचि से जुड़े हुए चैनल्स, टेलीविजन एक ऐसा माध्यम है जो लोगों तक पहुंच सकता है और उनसे जुड़ सकता है। यहां तक कि ओटीटी या स्मार्टफोन पर आसानी से कंटेंट उपलब्ध होने पर भी, मैं अभी भी टीवी पर ही फिल्म या शो देखने का विकल्प चुनूंगी, खासकर अगर मेरा परिवार आसपास है तो
‘भाबी जी घर पर हैं‘ के आसिफ शेख ने टिपण्णी करते हुए कहा, मुझे लगता है टेलीविजन आज तक ऑडियो-विजुअल के साथ संचार करने का सबसे प्रसिद्ध माध्यम है। और मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि इस विकसित होती हुई चुनौती पूर्ण इंडस्ट्री का मैं एक हिस्सा हूं। जब मैं जवान था, मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं एक अभिनेता बनूंगा, लेकिन फिल्में देखना और शो ने मुझे उत्साहित किया क्योंकि मुझे यह एहसास हुआ कि एक व्यक्ति के पास ऑन-स्क्रीन अलग अलग किरदारों को जीने का अवसर था। जब मुझे राजा अजय सिंह के रूप में पहली भूमिका मिली, उस समय मुझे पता था कि इसे कभी नहीं भुलाया जा सकता लेकिन जिस बात का एहसास मुझे बहुत बाद में हुआ वो था कि यह भारत का पहला टीवी सीरियल था। उसके बाद, मैंने थिएटर और फिल्मों में भी काम किया, लेकिन जिस बात का मुझे एहसास हुआ- वो था कि जो बात टीवी में हैं, वो किसी और में नहीं है। टेलीविजन के साथ मेरे रिश्ता किसी भी तुलना से बिलकुल परे है और अधिक से अधिक करने का उत्साह और उत्सुकता दोनों हर बीतते हुए दिन के साथ सिर्फ बढ़ रही हैं। आज तक, जबसे मैंने विभूति नारायण मिश्रा के रूप में शूटिंग की है, तबसे मुझे गॉडफादर द्वारा प्रेरित करने वाले, जोकर और भी कई अलग किरदारों के साथ अपने प्रशंसकों का मनोरंजन करने का मौका मिला है।
‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ की ग्रेसी सिंह ने अंत में कहा, मैंने जब पहली बार खुद को टेलीविजन पर देखा था, तो मेरे अंदर कई मिले-जुले भाव थे। मैं चिंतित थी, खुश थी उत्साहित थी और यह देखकर सबसे ज्यादा घबराई हुई थी कि मेरे परिवार और दोस्तों की प्रतिक्रिया कैसी होगी। भले ही मैंने अब तक कई भूमिकाएं निभाई हैं और तब से अब तक कई अलग-अलग किरदारा किए हैं, लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि डिंकी ने मुझे घर-घर में प्रख्यात किया। यह मेरे कॅरियर का उद्भव था और इसमें कोई दोराय नहीं है कि मेरे पास कई ऐसी फिल्में थी जिन्होंने लोकप्रियता हासिल करने में मेरी मदद की, लेकिन टेलीविजन हमेशा मुझे सबसे ज्यादा पसंद है और उसने हमेशा मुझे मेरी विनम्र शुरुआत की याद दिलाई है। मुझे पता है कि नई पीढ़ी शायद टेलीविजन के ऊपर उनके स्मार्टफोन को चुने, लेकिन दूसरी तरफ वो भी लोग हैं जो आज भी उनकी शिक्षा, जानकारी, मनोरंजन और विश्राम के लिए टेलीविजन पर ही निर्भर हैं। और क्योंकि मैं लगातार ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ की शूटिंग कर रही हूं जो टेलीविजन पर आता है, मैं वर्ल्ड टेलीविजन डे पर, कड़ी मेहनत करने और टेलीविजन के जरिए अपने फैंस तक पहुंचने का वादा करती हूं।