कमला हैरिस के गाँव (भारत) में पूजा, पाठ और जश्न

लेखक : लोकपाल सेठी (वरिष्ठ पत्रकार)

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अमरीका की नव निर्वाचित उप राष्ट्रपति महिला और भारतीय मूल की कमला हैरिस के तमिलनाडु राज्य के एक सुदूर गाँव तालिसंद्रपुरम में जश्न रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। सारा गाँव, अपनी की बेटी कमला के पोस्टरों से अटा पड़ा। दक्षिण में देश के पूर्वी राज्यों की भांति दिवाली, घरों को सजा कर, दिये  जलाकर, मिठाइयां बाँटकर और पटाखे जलाकर नहीं मनाई जाती। इस दिन दक्षिण में नर्का चतुर्दर्शी के रूप में मनाया जाता है। लेकिन यह पहला मौका था जब दक्षिण का यह छोटा सा गाँव देश के पूर्वी हिस्से की भांति दिवाली मनाने में डूबा रहा। वास्तव इस गाँव के लोगों के लिए दिवाली एक हफ्ते पहले ही आ गयी थी। जिस दिन कमला हैरिस के जीत जाने की घोषण हुई, उसी दिन से इस गाँव में दिवाली का माहौल बन गया था।

यह गाँव कमला हैरिस ननिहाल है। उसके नाना पी. वी. गोपालन, जो भारतीय विदेश सेवा में थे, के परिवार के सदस्य इस गाँव और आसपास के गाँव में ही रहते है। बचपन में कमला अपनी माँ  श्यामला हैरिस के साथ यहाँ आती रहती थी। उनके बचपन की तस्वीरें यहाँ उनके परिवार के सदस्यों ने अब भी संजो कर रखी हुई है। अमरीका में पैदा और वहीं बड़ी हुई कमला हैरिस को आज भी दक्षिण भारतीय व्यंजन अच्छे लगते है। इडली, सांभर उनका सबसे पंसदीदा  नाश्ता है। उसे अब तमिल भाषा के बहुत कम शब्द आते है। चिट्टी (चाची) शब्द वह हमेश याद रखती रखती है।

उनकी माँ श्यामला हैरिस महज़ 19 वर्ष की उम्र में पढाई के लिए अमरीका चली गयी थी। पढ़ाई के बाद उन्हें वहीँ एक उच्च शिक्षा संस्थान में पढ़ाने का नौकरी मिल गयी। वहीँ उनकी मित्रता डोनाल्ड हैरिस, जो मूल रूप से अफ्रीकन देश जमैका के रहने वाले थे, हो गयी। जल्दी ही यह मित्रता प्यार और फिर शादी  में बदल  गई। वे जल्द ही कमला नामक एक बेटी के माता-पिता बन गए। लेकिन दोनों की शादी लम्बी नहीं चली और दस वर्ष बाद उन दोनों का तलाक हो गया। उसे बाद श्यामला का भारत में तथा अपने पिता के गाँव में आना जाना अधिक हो गया। एक बच्ची रूप में कमला परिवार के कुल देवता के स्थानीय मदिर  में जाती  थी। यदयपि बड़ी होकर कमला ने डगलस एम्होफ्फ़ से शादी कर पूरी तरह से ईसाई बन गई। लेकिन उनका अभी भी मंदिर में जाना बदस्तूर जारी है।  यह 2014 बात है जब उनके कुल देवता के मदिर की मरम्मत  तथा विस्तार के काम शुरू हुआ। भगतों ने इसके लिए दिल खोल कर पैसा दिया। परिवार के लोगों का कहना है कि कमला हैरिस के कहने पर उनकी मौसी सरला गोपालन, जो अभी भी वहीं रहती है, ने उसकी ओर से धन का योगदान किया था। धन का दान करने वालों के जो पट्टिका मंदिर में लगी हुई है उसमें कमला हैरिस का नाम भी लिखा हुआ है। 

इस तथा आस-पास के गाँव के निवासियों का कमला हैरिस से कितना लगाव है इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि अमरीका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान से एक दिन पूर्व इस स्थानीय मंदिर बड़े स्तर पर पूजा पाठ और हवन का आयोजन किया गया था। इसके बाद वहां आये लोगों को प्रसाद के रूप में भोजन करवाया गया था। इसी प्रकार मतगणना से एक दिन पूर्व लोगों ने अपने घरों के आगे सुंदर रंगोलियां बनाई थी। उन्हें  पूरा विश्वास था कि अमरीका में इस गाँव की बेटी की जीत सुनिश्चित है। लोग अपने घरों में  टीवी पर अमरीका में हो रही मतो की गणना को लगातार देख रहे थे। जैसे ही उनकी जीत की घोषणा हुई लोग सडकों पर उतर आये और जीत का जश्न शुरू हो गया। अमरीका के कुछ टीवी चैनलों ने ये दृश्य दिखाए थे।   

कमला हैरिस शुरू से ही तेज तरार लडकी हैं और उन्हें पता था कि उसने अपने जिन्दगी में क्या बनना है। वह बहुत छोटी उमर में वहा कि डिस्ट्रिक्ट अटोरनी  बन गयी थी। यही से वे राजनीति में सक्रिय गयी और कुछ समय बाद अपनी लोकप्रियता के बलबूते पर सीनेट की सदस्य चुन ली गयी। तभी उनकी डेमोक्रेट पार्टी में यह कहा जाने लगा कि पार्टी के यह नेत्री आने वाले दिनों में बहुत आगे बढ़ेगी तथा ऊँचे पदों पर पर पहुचेंगी। जब पार्टी में राष्ट्रपति के उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया शुरू हुयी तो संभावित उम्मीदवारों में कमला हैरिस का नाम भी था। वहां राष्ट्रपति चुनाव के लिए धन जुटाने की क्षमता को बड़ी प्राथमिकता मिलती है लेकिन इस मामले में कमला पिछड़ गयी और जो बिडेन आगे निकल गए। तभी से इस बात की संभावना व्यक्त की जाने लगी थी कि एशियाई मूल की इस ब्लैक को बिडेन उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बना सकते है। अमरीका में रह रहे भारतीयों में रिपब्लिकल पार्टी के लोग अधिक है। लेकिन इस बार इन भारतीयों के ज्यादा वोट डेमोक्रेट पार्टी को गए है। इसका एक बड़ा कारण पार्टी द्वारा भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना था। उनकी इस जीत के बाद अभी से यह कहा जाने लगा है कि वे आने वाले समय में वहां राष्ट्रपति पद के लिए एक बड़े मज़बूत दावेदार का रूप में सामने आ सकती है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं विचार हैं)