करवाचौथ पर विशेष
लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद, 9837028700
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सुहागि़न महिलाओं का विशेष पर्व ‘करवाचैथ’ दस्तक दे रहा, जब वो भूखी-प्यासी रहकर चन्द्र देवता (जहाँ मानव के कदम पड़ चुके) से पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। प्रश्न- कि पति-पत्नी जीवनरूपी गाड़ी के पहिये, तब एक के लिए ही प्रार्थना क्यों? बल्कि व्रत व कामना तब पूर्ण होते, जब दोनों एक दूजे के प्रति मान-सम्मान, विश्वास व समर्पण का भाव रखते माधुर्य से जीवन जिएं क्योंकि आज जैसा करोगे वैसा पाओगे वाली भावना प्रबल है। न कोई कृष्ण न राधा, इसलिए पर्व-त्योहार, व्रत, उपवास के साथ-साथ दोनों का स्वस्थ रहना भी उतना ही आवश्यक, जितना व्रत उपवास रखना। इसलिए आधुनिक दृष्टि से देखें तो व्रत अनुष्ठान के अर्थ बदले क्योंकि आज आस्था के साथ मनोरंजन व तर्क, जहाँ पति-पत्नी स्वतंत्र, अपने अनुसार जीवन व्यतीत करते और समाज इसे स्वीकारने लगा। इसलिए मेरा मानना कि पहले की भांति भय नहीं न किंवदन्तियों का और न समाज का, व्रत अनुष्ठान तभी पूर्ण होते जब उनमें श्रृद्धा व एक मत होता।