बीजेपी का दक्षिण में खुलता दूसरा दरवाज़ा तेलंगाना

लेखक : लोकपाल सेठी (वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक)

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हैदराबाद महानगर निगम के हालिया चुनावो में अच्छी खासी सीटें जीतने के बाद बीजेपी ने यहाँ 2023 में होने वाले विधान सभा चुनावों की अभी से तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी के नेताओं को विश्वास है कि निगम के चुनावों लगभग एक तिहाई सीटें जीतने के बाद पार्टी अगर पूरे जोर से विधान सभा चुनावों में  उतरे तो चुनावों में पार्टी बहुत सीटें जीत सकती है। वे मानते है कि संभवत पार्टी सत्ता में तो आ सके लेकिन सत्ता के नज़दीक जरूर पहुँच जायेगी। इसके बाद एक और धक्का देकर पार्टी दक्षिण के इस राज्य में भी सत्ता में आ सकती है। अगर ऐसा होता है दक्षिण में कर्नाटक के बाद तेलंगाना ऐसा दूसरा राज्य होगा जहाँ बीजेपी अपनी जड़ें जमा लेगी। 

ये चुनाव कहने को तो केवल एक स्थानीय नगर निगम के चुनाव थे, लेकिन इस पर देश के राजनीतिक दलों की निगाहें ऐसे टिकी हुयी थी जैसे ये कोई  राष्ट्रीय स्तर के चुनाव हो। स्थानीय स्तर के चुनावों में विभिन्न पार्टियो के राष्ट्रीय नेता इनसे अलग रहते है। वे मानते है कि पार्टी के स्थानीय अथवा राज्य  के नेता इनके लिए काफी है। लेकिन बीजेपी ने अपने बड़े-बड़े नेताओं, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी शामिल है, को यहाँ चुनाव प्रचार में झोक दिया। पार्टी येन केन प्रकारेण यहाँ कुछ करके दिखाना चाहती थी। हालांकि प्रचार के दौरान वे दावे करते रहे कि बीजेपी को पूर्णमत  मिलेगा लेकिन चुनावी विश्लेषक मानते थे कि ऐसा नहीं होगा। हाँ, निगम में बीजेपी एक बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आयेगी। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार में उतार कर हिन्दू कार्ड खेलने से भी गुरेज नहीं किया। उन्होंने घोषणा की कि अगर निगम में बीजेपी सत्ता में आती है तो हैदराबाद शहर का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जायेगा। 

निगम का पिछला चुनाव बीजेपी ने सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ मिलकर लड़ा था और इसे मात्र 4 सीटें मिली थी। जबकि 150 वाले सदन में तेलंगाना राष्ट्र समिति को 99 सीटें मिली थी। ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएम आईएम को 44 सीटें मिली थी। निगम के पिछले चुनावों के दो साल बाद   राज्य विधानसभा के चुनाव बीजेपी ने अपने बल पर लड़े और इसे एक सीट मिली थी। समिति कुल 119 सीटों में सौ के करीब सीटें जीतने में सफल रही। इन चुनावों में बीजेपी मात्र 7 प्रतिशत वोट ही ले पाई। लेकिन 2019 लोकसभा चुनावों में सब कुछ बदल गया। इन चुनावों में पार्टी राज्य में चार सीटें जीती और इसे कुल वोटों के 20 प्रतिशत वोट मिले। बीजेपी के नेताओ की सोच है कि अगर उनकी पार्टी किसी राज्य में 20 प्रतिशत के आस पास वोट पाती है तो इसे उस पर केन्द्रित कर सत्ता में आने की रणनीति बनानी चाहिए। कुछ सप्ताह पूर्व मुख्यमंत्री के. सी. राव के गृह जिले में विधान सभा क्षेत्र दुब्बाक में एक उप चुनाव  हुआ था। 

सामन्यतः ऐसे उप चुनावों में सत्तारूढ़ दल ही विजयी रहता है। फिर यह उप चुनाव तो के. सी. राव के घर में था इसलिए तेलंगाना राष्ट्र समिति की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी। लेकिन बीजेपी ने यह सीट जीत कर यह राजनीतिक सन्देश दे दिया कि निकट भविष्य में के. सी. राव की पार्टी चुनाव हार  सकती है। इस जीत से उत्साहित होकर बीजेपी के राज्य नेताओं ने यह तय कर लिया कि पार्टी हैदराबाद महानगर में कुछ बड़ा करके दिखायेगी और उसने करके दिखा भी दिया। पिछली 4 सीटों के स्थान पर पार्टी 48 सीटें जीतने में सफल रही। तेलंगाना राष्ट्र समिति को 56 सीटें मिली और वह पूर्ण बहुमत पाने में असफल रही। यह लगभग तय है कि 52 पदेन सदस्यों के समर्थन से पार्टी अपना मेयर तो बना लेगी लेकिन इस धारणा को दूर नहीं कर पायेगी की सत्तारूढ़ दल अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है। बीजेपी और समिति के लगभग 35-35 प्रतिशत वोट मिले। वास्तव में दोनों दलों के उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों का अंतर मात्र 8500 था। यह संकेत करता है कि सब सीटों पर कड़ा मुकाबला था और उम्मीदवारों की जीत का अंतर बहुत ही कम था। 

अपनी रणनीति के अनुसार ओवैसी ने केवल मुस्लिम बहुल 51 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे और उनकी पार्टी 44 सीटें जीतने में सफल रही। पिछली बार भी पार्टी को इतनी सीटें मिली थी। लेकिन इसका मत प्रतिशत पहले की तुलना में कुछ कम रहा और इसे 18 प्रतिशत वोट ही मिले। एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि सभी हारी हुयी सीटों पर बीजेपी का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा। कांगेस को मात्र 2 सीटें ही मिली। हैदराबाद महानगर निगम के चुनाव कई कारणों से  महत्वपूर्ण माने जाते है। इस महानगर में राज्य की कुल 17 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें आती है। इसी प्रकार विधानसभा की कुल 119  सीटों में से 24 इसी महानगर में आती है। राज्य के कुल मतदाताओं के लगभग एक तिहाई मतदाता इसी महानगर के निवासी है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)