भारत जैसे देश मे जँहा आधी आबादी भूखी सोती हो लगभग हजार करोड़ रुपये का नया संसद भवन क्यों बनाया जा रहा है। जनता फुटपाथ पर रहने को विवश हे जब रोटी कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी सुविधाओं का ही अभाव है। युवा पीढ़ी रोजगार के अभाव के कारण अवसाद से ग्रसित है, आत्म हत्या कर रहे हैं, अन्नदाता आत्महत्या करने के लिए के लिये विवशहै। कोरोना ने भारतीय अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। सरकारी कर्मचारी के अलावा सभी आर्थिक रुप से बर्बाद हो चुके हैं। शिक्षण संस्थान बन्द पड़ें हैं ओर सरकार कोरोना जेसी महामारी के चलते जनता को दो समय की रोटी की बजाय अपनी विलासिता के लिये नया संसद बनने जा रही हैं? लोग तो सड़क व झोंपड़ी में रहने के लिये विवश है तो क्या हमारे नेता को देश की जनता की खून पसीने की कमाई को पानी की तरह बहाने का कोई हक नहीं इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है।
आधी आबादी भूखी सोती है...!
लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)