माज़ी की बातें आज याद आती है

बुढ़ापा एक दौर

लेखिका : सीमा बानो जयपुर 

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अब बुढ़ापे में हुआ है सुकून का ये एहसास, 

जवानी तो कट गई जिम्मेदारियों के ही साथ

साथ खेल नाती पोतों से बचपन की आती है याद, 

याद आते हैं तब गुज़रे ज़माने किस्से हुए मेरे साथ! 

नहीं थमता बातों का दौर करते हैं दिल की बात, 

एक कप चाय की प्याली पीते हैं हम साथ साथ! 

याद आती है वो माज़ी की बातें बुढ़ापे में आज, 

वो मेलजोल सुख दुख के लम्हे अपनों के साथ! 

एक तमन्ना बस यही बची है सीमा की आज, 

आखिरत का अगला सफर करूँ तेरे ही साथ!