जगह जगह से निकली पैदल यात्रा
शैलेश माथुर
सांभरझील। सांभर से करीब चौबीस किलोमीटर सुदूर पहाड़ी पर स्थित पृथ्वीराज चौहान शासकों की कुलदेवी मानी जाने वाली मां शाकम्भरी की जयन्ती के अवसर पर सांभर, फुलेरा, जोबनेर, किशनगढ रेनवाल व आसपास के अनेक गांवों से माता के दरबार में पहुंच कर सैंकड़ों श्रद्धालुओं में जिनमें महिलाये व बच्चे भी शामिल थे ने माता को धोक लगाकर परिवार की खुशहाली के लिये प्रार्थना की। इससे पहले सांभर के नकाशा मौहल्ला स्थित मां शाकम्भरी के पीठ के रूप में विख्यात माताजी के चौक पर पदयात्रियों का जत्था इकट्ठा हुआ, जहां अन्दर पूजा अर्चना के बाद नारियल अर्पित कर माताजी के निशान के झण्डे के साथ गौशाला के अध्यक्ष मुन्नालाल शर्मा ने पदयात्रियों के जत्थें को रवाना किया, जगह जगह लोगों ने भक्तों को जलपान भी कराया।
शाकम्भरी मंदिर के पुजारी गोरीशंकर व्यास के अलावा स्थानीय पंडित विजय व्यास व अनेक ने पूजा अर्चना की। माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर के इतिहास से जुड़ी अनेक चमत्कारिक घटनाओं की वजह से प्रदेश के दूर दराज क्षेत्रों से यहां लोग आकर अपनी मन्नतें मांगते हैं। मुगल शासक जहांगीर की ओर से माता के चमत्कार से अभिभूत होकर मंदिर के नजदीक ही एक छतरी बनवायी गयी थी, जो आज भी इतिहास की यादों को संजोये हुये है।