शहीद दिवस पर झलका शहीद बुनकर के परिवारवालों का दर्द

 8 साल से हक के लिए भटक रहे माता-पिता, 


शहीद बेटे का शौर्य वीरता पदक लौटाने का फैसला


जाफर खान की रिपोर्ट 

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मनोहरपुर (जयपुर) निकटवर्ती ग्राम रामपुरा के कोबरा बटालियन शौर्य पदक से सम्मानित शहीद मुकेश कुमार बुनकर के पिता रामसहाय बुनकर, माता कमलादेवी, वीरांगना बीना देवी, पुत्र ब्रजेश कुमार भाई विकास जेवरिया, बेटी मोनिका, ममता, ऋषिका, परिवारजनों व ग्रामीणों ने शहीद दिवस पर शहीद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर सरकार से शीध्र विभिन्न समस्याओं के वर्षों से निस्तारण नही पर होने कहा की जब सरकार से हमें कोई मदद ही नहीं मिली तो हम मेडल रख कर क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि मेडल को देख कर बेटे की याद आती रहती है, इसलिए हम मेडल वापस करना चाहते है। 


नक्सलियों से लोहा लेते वक्त शहीद हुए थे बुनकर

शहीद मुकेश कुमार बुनकर 2007 में सीआरपीएफ में चयन हुआ था।वर्ष 2009 में अरुणाचल प्रदेश में चुनावी ड्यूटी के दौरान बूथ केंद्र पर नक्सलीयों ने  हमला कर पेटियां ले जाने का प्रयास किया।इस पर शहीद मुकेश कुमार बुनकर ने अपने साथियों के साथ नक्सलियों के छक्के छुड़ा दिए। उनकी जाबांजी को देखते हुए सीधा कोबरा बटालियन में चयन कर लिया गया। वर्ष 2012 में झारखंड के रांची में 50 नक्सलियों ने बटालियन पर हमला कर दिया नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद मुकेश के 4 गोलियां लगी फिर भी शहीद मुकेश ने चार नक्सलियों को मार गिराया । 

घायल मुकेश दिल्ली उपचार दौरान 8 दिन बाद 24 सितंबर 2012 को अमर हो गये। वीरांगना बीना देवी को 9 अप्रैल 2015 को दिल्ली आयोजित शौर्य दिवस पर तात्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मरणोपरांत शौर्य वीरता मेडल से भी सम्मानित किया था।

जहां पूरे देश में शहीद हुए जवानों को कई तरह के की तमाम सुविधाएं सरकार देने की बात करती है,वहीं राजस्थान की राजधानी जयपुर जिले के रामपुरा गांव में रहने वाले शौर्य पदक विजेता शहीद मुकेश कुमार बुनकर का परिवार देश के हुक्मरानों से सपूत की शहादत के बदले मिलने वाले सम्मान के लिए 8 साल बाद भी जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और सरकारी विभागों के चक्कर काट रहा है. सरकारी सुस्ती से खफा शहीद के माता-पिता ने कहा कि हम बेटे का शौर्य पदक लौटाना चाहते हैं।



नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद मुकेश कुमार बुनकर की शहादत को राजनेता के साथ सरकारी हुक्मरान भी भूल चुके हैं. सरकार और प्रशासन द्वारा की गई सरकारी घोषणाएं भी 8 साल बाद खोखली साबित हो रही हैं।प्रशासन की लापरवाही शहीद होने के उपरांत, जहां सरकार जवानों को आर्थिक सहायता और कई अनुग्रहों के जरिए  सम्मानित करती है, पर इस जवान के शहीद होने के बाद भी सिर्फ सरकार की तरफ से घोषणाएं ही हुईं और कुछ नहीं हुआ। जिसके चलते आज शहीद हुए जवान के परिजनों ने गहलोत सरकार से मदद की आस लगाए रखी लेकिन हमेशा की तरह केवल आश्वासन ही मिलता है।

शहीद पिता पूर्व सरपंच रामसहाय बुनकर,सामाजिक कार्यकर्ता पूरणमल बुनकर ने बताया कि शहीद मुकेश कुमार बुनकर के नाम से विद्यालय नामांकरण,फर्जी सैनिक द्वारा हजारों रुपए व मूल दस्तावेजों को धोखाधड़ी कर ले जाने पर पुलिस कार्यवाही,निशुल्क रेल यात्रा पास जारी करने, राज्य परिवहन विभाग बस पास,स्मृति स्थल की चारदीवारी,कैंटीन सुविधाएं, राज्य सरकार की ओर से शौर्य वीरता सम्मान की अनुग्रह राशि, शहीद पार्क की घोषणा,शहीद स्मृति स्थल का पट्टा जारी करने आदि विभिन्न समस्याओं को लेकर सैनिक कल्याण बोर्ड,शिक्षा विभाग राजस्थान,डीआईजी सीआरपीएफ अजमेर, डीआईजी झारखंड, सीआरपीएफ मुख्यालय, जिला कलेक्टर, शाहपुरा,विराटनगर विधायक, प्रदेश सैनिक कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष, जनप्रतिनिधि व सामाजिक संगठनों को लिखित व मौखिक में अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से तंग होकर परिजनों ने नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए बुनकर को मरणोपरांत मिले शौर्य पदक और कई अन्य सम्मान सरकार को वापस लौटाना चाहते हैं।