नव वर्ष में कोरोना नामक महामारी से बचाव की दिशा में
गाजियाबाद। भारत में कोरोना वैक्सीन का उतारा जाना न केवल बहुत बडी़ उपलब्धि है बल्कि कोरोना से पीडि़त लाखों लोगों के लिए संजीवनी से कम नहीं है। इस कटु सत्य को ब्राजील के राष्ट्रपति ने धन्यवाद भारत के संदेश के साथ दुनिया के समक्ष कहकर प्रमाणित कर दिया है। दरअसल औषधि कोई भी हो वह उस बीमारी के निदान में संजीवनी होती है। उसे किसी धर्म या संप्रदाय विशेष या उसकी भावनाओं से जोडा़ जाना नितांत अनुचित है। ऐसा करने के पीछे उनके निहित स्वार्थ हैं, जिसे नकारा नहीं जा सकता। यह उनकी कुत्सित एवं घृणित सांप्रदायिक मानसिकता का जीवंत प्रमाण है।इसकी जितनी भी निंदा की जाये वह कम है। यह ऐसे समय किया जा रहा है जबकि कोरोना वैक्सीन और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ खडे़ होना देश के संकट के निदान की घडी़ में हर भारतीय का पहला धर्म होना चाहिए। यही समय की मांग है और यही सही मायने में राष्ट्रभक्ति है।