किरायेदार के फौत होने के महज दो माह में ही कार्यवाही से आहत हुये वारिसान
नेता प्रतिपक्ष अनिल कुमार गट्टानी ने बताया भेदभावपूर्ण कार्यवाही
सांभर में पालिका ने दुकान सीज करने के बाद ढहा दिया गया
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। नगरपालिका सांभर द्वारा वर्ष 1997 में पांच बत्ती चौराहे के नजदीक आवण्टित कर किराये पर दी गयी दुकान के मालिक हनुमंत सिंह राठौड जो कि शुरू से ही स्थानीय स्तर पर भाजपा मण्डल के पदाधिकारी भी रहे हैं के अचानक फौत होने के महज दो माह के भीतर ही अधिशाषी अधिकारी की ओर से सीधा ही अंतिम नोटिस क्रमांक-2006 दिनांक 28 जनवरी 2021 जारी कराने का आदेश थमाने के बाद पुन: इसी सन्दर्भ में 10 फरवरी को स्मरण कराते हुये राशि जमा नहीं कराने का हवाला देते हुये दुकान सीज करने की चेतावनी दी गयी थी और अगले दिन ही कुर्की आदेश जारी करते हुये दुकान को सीज करने के बाद सोमवार की शाम करीब पांच बजे के आसपास इस दुकान में मृतक का रखा सामान पालिका की ट्रेक्टर ट्राली में डालकर ले गये, इतना ही नहीं पालिका ने किसी भी कानूनी कार्यवाही बचने के लिये पक्की इस दुकान को यह कहते हुये पूरी तरह से तोड़कर ढहा दिया कि इसको और लम्बी चौडी बनाया जायेगा।
जय अम्बे प्रोपर्टीज एण्ड पीसीओ सेण्टर के नाम से संचालित दुकान संचालित करने वाले मृतक हनुमंत सिंह के पुत्र करणीसिंह से जब बात की गयी तो उनका कहना था कि यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित काम है, मैँ गांव से यहां आकर पालिका को जमा कराने के लिये बकाया राशि लेकर आया था तथा अपना अपने पिता की तरफ से पक्ष रखते हुये किराये जमा कराने का अनुरोध किया गया तो किराया जमा नहीं किया और न ही मेरे पक्ष को सुनने की जहमत उठायी।
दुकान खाली कर सामान लेकर जाता पालिका का ट्रेक्टर |
मैँने पालिका की इस कार्यवाही के विरोध में न्यायालय में एक वाद भी पेश कर स्टे चाहा था, लेकिन स्टे नहीं मिल सका, लेकिन मेरा मूल वाद लम्बित है। यह एक प्रकार की द्वेषतापूर्ण कार्यवाही इसलिये है कि सांभर में अन्य दुकानदारों की भी किराया राशि बकाया चल रही है, उनकों सीज या कुर्की की कार्यवाही क्यों नहीं की गयी। हमारे वकील के जरिये हम इस बात को भी रखेंगे। इधर पालिका प्रशासन का कहना है कि चूंकि मूल आवंटी की मृत्यु हो चुकी है, उसकी तरफ से किराया बाकी चल रहा था, हमने पूरी विधिक प्रकिया अपनाकर कार्यवाही को अंजाम दिया है। भाजपा के नेता प्रतिपक्ष अनिल कुमार गट्टानी का कहना है कि हमने पालिका की ओर से सीज की गयी दुकान का बोर्ड की मीटिग में जबरदस्त विरोध किया था। मृतक के बेटे की ओर से किराया जमा कराने के लिये भी तैयार था तो पालिका ने क्यों किराया जमा नहीं किया। यह भेदभावपूर्ण कार्यवाही है।