सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने प्रदेश को केन्द्र व राज्य वित्त आयोग द्वारा आवण्टित राशि का ब्यौरा पूछा
कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने बताया : राजस्थान को केन्द्र तथा राज्य वित्त आयोग द्वारा 7198.7 करोड़ का आवण्टन एवं 6405.23 करोड़ रूपये जारी किये गये
शैलेश माथुर
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सांभरझील, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने लोकसभा में ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई निधियां, सरपंचों द्वारा उनके उपयोग के बारे में वित्तिय प्राधिकार, विगत दो वर्षों के दौरान केंद्रीय तथा राज्य वित्त आयोगों के माध्यम से आबंटित तथा जारी की गई निधियों की कुल राशि का राज्य-वार ब्यौरा, राज्यों के विरुद्ध की-गई-कार्रवाई का ब्यौरा जिनमें निधियों का संवितरण समयबद्ध तरीके से नहीं किया गया व पंचायतों के स्वायतशासी आर्थिक विकास के पूरा होने तथा सामाजिक न्याय लक्ष्यों के पूरा होने को सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के सम्बंध में प्रश्न पूछे।
सांसद कर्नल राज्यवर्धन द्वारा पूछे गए सवालों का पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जवाब दिया कि राजस्थान को गत दो वर्षों मे केन्द्र तथा राज्य वित्त आयोगो के माध्यम से 7198.7 करोड़ रूपये का आवंटन व 6405.23 करोड़ रूपये जारी किए गए। राज्यों को वित्त मंत्रालय से प्राप्त एफएफसी अनुदान को 15 दिनों के भीतर ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करना अपेक्षित होता है। विलंब के मामले में, आरबीआई की लागू बैंक दर पर दंडात्मक ब्याज का भुगतान ग्राम पंचायतों को,अनुमन्य सीमा से परे विलंब की अवधि के लिए, किया जाता है।
केन्द्रीय मंत्री ने पंचायतों के आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उठाए गये कदमों की जानकारी देते हुए कहा एफएफसी अवार्ड ने ग्राम पंचायतों के अत्याधुनिक संस्थागत स्तर पर उत्तरदायी स्थानीय शासन के लिए बहुत बड़ा अवसर पैदा किया। एफएफसी अवार्ड के तहत व्यय करने से पूर्व, राज्य के कानूनों के तहत सौंपे गए कार्यों के अंतर्गत बुनियादी सुविधाओं के लिए ग्राम पंचायतों दवारा उचित योजनाएं तैयार की जानी है।
पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के लिए मॉडल दिशानिर्देश तैयार किए और इसे 2015 के दौरान सभी राज्यों के साथ साझा किए। इसके अलावा, ग्रामीण स्थानीय सरकारों के लिए प्रभावी अभिसरण और भागीदारी योजना के माध्यम से ग्रामीण लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उभरती संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियों का समाधान करने के लिए मंत्रालय ने वर्ष 2018 में दिशानिर्देशों को संशोधित किया है और सम्बंधित दिशानिर्देशों को विस्तारित करने के लिए राज्यों के साथ साझा किया है। संशोधित दिशानिर्देश सुनिश्चित करते हैं कि ये योजनाएँ बुनियादी ढाँचे से आगे बढ़कर, गरीबी में कमी, सामाजिक मुद्दों के समाधान और कमजोर समूहों की जरूरतों को पूरा करेंगी और इस तरह पंचायतों दवारा सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को हासिल करेंगी।
जीपीडीपी को साक्ष्य आधारित और संरचित तरीके से तैयार करने के लिए ग्राम पंचायतों को सक्षम करने के लिए, जन योजना अभियान (पीपीसी) को वर्ष 2018 में 2 अक्टूबर से 31 दिसंबर के दौरान ष्सबकी योजना सबका विकासष् के रूप में शुरू किया गया था। इस अभियान को 2019 और 2020 के दौरान भी जारी रखा गया था। पीपीसी के क्रियान्वयन हेतु, संबंधित वित्तीय वर्षों के लिए जीपीडीपी तैयार करने के लिए संरचित ग्राम सभाएँ आयोजित की गईं। जीपीडीपी तैयार करने की पूरी प्रक्रिया को सहभागी और अभिसारी बनाने के लिए ग्राम पंचायतों/ग्राम सभाओं को सक्षम बनाकर, अन्य बातों के साथ-साथ, राज्य और स्थानीय सरकारों की साइझेदारी से इस अभियान को प्रभावी ढंग से लागू किया गया था।