http//daylife.page
एक नाम है, जो हवाओं के साथ कभी इधर तो कभी उधऱ डोल रहा है, मग़र उसका गन्तव्य तय है। आप बेशक कह सकते हैं कि 89 वर्ष कोई उम्र होती है व्यक्तित्व एवं कृतित्व को नया परिधान पहनाने की? घर में बैठे रहें जनाब, भगवान का नाम लीजिए योग करते में कोई बुराई नहीं क्योंकि सियासी दाँव पेंच के झँझवातों में उलझना इस उम्र में बेहद रिस्की है। पर जैसे इश्क करने की कोई उम्र नहीं होती वैसे ही राजनीति में इतना एक चुम्बक होता है की वो, जो अच्छे अच्छे को कभी तो अपनी ओर खींच ही लेता है। देस परदेस में मेट्रो ट्रैन मेन के रूप में विख्यात ई.श्रीधरन केरल से भाजपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए वार्म अप कर रहे। वे कहते है पीएम नरेंद्र मोदी से बात हो गई है मेरी इस बारे में।
ई.श्रीधरन ने बाकायदा भाजपा की सदस्यता स्वीकार कर ली है। ई.श्रीधरन के बारे में कई जुमले गढ़े गए हैं। जैसे वे न सिर्फ़ मेट्रो ट्रेन मैन हैं बल्कि जग प्रसिद्ध मैंग्जिन टाइम द्वारा सन 2003 में ही एशिया का हीरो घोषित किया जा चुका था। पद्मविभूषण एवं जापान सरकार द्वारा भी एक पुरस्कार से सम्मानित केरल के पलक्कड़ गाँव में जून 12 सन 1932 में जन्मे श्रीधरन की सफलता का सख्त पुल तब तैयार होना प्रारम्भ हुआ। जब दक्षिण भारत में एक पुल अकस्मात टूट गया था। तय हुआ कि ई.श्रीधरन की अगुवाई में उक्त पुल का पुननिर्माण बहुत से बहुत छह माह में हो जाना चाहिए। अचानक समय सीमा तीन महीने कर दी गई। बजाय भवें तानें श्रीधरन ने पैंतालीस दिन में ही पुल बनवा दिया। कहा तो यह भी जाता है कि भारत में छुक-छुक गाड़ी को अति आधुनिक पटरियों पर चलाने की सभी उम्मीदें इन ट्रेन, मेट्रो या पटरी पुरूष पर ही टिकी हुई हैं।
नई सोच, नई ऊर्जा, नई कल्पना, मेधा, काम प्रणाली, एक निष्ठुर बैचेनी और समय की पाबंदी ई.श्रीधरन को किसी घुमंतू ट्रेन की तरह कभी थकने या रुकने नहीं देती। कोंकण रेल्वज़ के अंतर्गत भारत की अति सर्व सुविधायुक्त रेलवे सेवा के पीछे उनकी कल्पना शक्ति ही सफ़र करती है। भारत मे पहली मेंट्रो ट्रेन सेवा इसी मेट्रो ट्रेन मैंन के निर्देशन मे कोलकाता मे प्रारम्भ हुई। फिर नई दिल्ली और अब अन्य शहर। ई.श्रीधरन ने बी.ई. हैं सिविल इंजीनियरिंग में।अब यह ई.श्रीधरन जाने कि वे मेट्रो ट्रेन, पटरी पुरूष और सियासत की रेलगाड़ियों में ताल मेल कैसे बैठा पाते है।
लेखक : नवीन जैन
वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर, 9893518228