विश्व जल दिवस पर नेशनल सेमीनार का आयोजन

 21वी सदी में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के विचारों की प्रासांगिकता 


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ग्वालियर। 21वी सदी में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के विचारों की प्रासांगिकता विश्व जल दिवस पर एक दिवसीय सेमीनार  का आयोजन गोपाल किरन समाज सेवी संस्था दारा किया जाना सुनिश्चय किया है। डॉ. अम्बेडकर को भारतीय संविधान निर्माता के रूप मैं पहचाना जाता है जब कि वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। बाबा साहेब  डॉ.अम्बेडकर की नीतियों का ही परिणाम है कि "भाखड़ा नांगल डेम" आज भी लोगों को जल संकट से बचाये हुए है। जिसकी संकल्पना डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने की थी और उन्हीं के व्दारा इसे अमलीजामा पहनाया गया। आज बाबा साहेब के विचारों की राष्ट्रीय या वैश्विक जल संकट पर 21वी सदी में प्रासांगिकता नीति एवं योजना विषय पर शोध-पत्र, आलेख प्रस्तुत  करे, सर्वश्रेष्ठ लेख होने पर उसको पुरस्कार भी दिया जायेगा जो भी प्रतिभागी भाग लेना चाहते हैं वह अपना लेख या कोई रिसर्च पेपर निम्न विषयों में से किसी एक बिषय पर भेजे।

जो भी इस पर लेख देना चाहते है ओर सर्वश्रेष्ठ लेखन प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं उन्हे पंजीयन कराना होगा पंजीकरण शुल्क रखा गया है।

"जल" जीवन के लिए एक अत्यावश्यक प्राकृतिक सम्पदा है 

जल की महत्ता और जन जीवन में उपयोगिता

बाबासाहब का जल संरक्षण पर विचार एवं जल नीति 

जल पर सभी मानव व जीव जंतु का समान रूप से मूल भूत अधिकार 

जल नीति का बाबासाहेब द्वारा संविधान में प्रावधान तथा राष्ट्र की प्रगति में योगदान  

पर रखे है। सभी चयनित आलेख, रिसर्च पेपरों को संस्था की बार्षिक पत्रिका में "गुंणावगुण" के आधार पर प्रकाशित किया जाएगा। यदि कोई लेखक साथी अपने आलेख को प्रकाशित कराना चाहेंगे तो उन्हें प्रकाशक मंडल व्दारा निर्धारित चार्ज देय होगा।

समस्त कार्यक्रम और प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए एक हाई पावर कमैटी का गठन किया गया है जिसमें शिवचरण मंडराई भोपाल, एस.एल. अटेरिया, डॉ. सुलेखा, डॉ. ए.के. बिसदिया आदि को शामिल किया गया है। यह आयोजन गोपाल किरन समाजसेवी संस्था आयोजित कर रही है। इस अवसर पर "जल संरक्षण" में जिन लोगों ने प्रयास किये है या उनके कोई योगदान हैं तो उनको संस्था द्वारा प्रमाण पत्र, मेडल एंव शील्ड देकर सम्मानित किया जायेगा। पुरस्कार अवार्ड प्राप्त करने के लिए सम्भागियों को अलग से सूचित किया जायेगा।

प्रबुध्द समाज सेवी, समाज को नई दिशा दे रहे बुद्धिजीवी बंधुओं से अपील से अनुरोध किया है कि देश मैं पहली बार इस को लेकर होने वाले सेमिनार में ज्यादा से ज्यादा संख्या में कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्ररित करे एंव स्वंय भी पहुँचकर महापुरुषोँ की विचारधारा को समाज में स्थापित करने तथा समाज ऋण के महत्व को समझते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का प्रयास करें। (प्रेस विज्ञप्ति)