झील में पानी की कमी से देशी-विदेशी पक्षियों की संख्या में भारी कमी

पर्याप्त बारिश का अभाव और अत्यधिक जल दोहन से छिछली झील पर पड़ रहा है असर

फ्लेमिंगोज व कलहंस पक्षियों का झुण्ड आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। 


सांभरझील से शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

http//daylife.page


एशिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक क्षारीय सांभरझील में बारिश की कमी और अत्यधिक जल दोहन की वजह यहां आने वाले लाखों की तादाद में देशी विदेशी पक्षियों की संख्या में भारी कमी आयी है, जिसका प्रमुख कारण झील में बारिश की कमी और अत्यधिक जल दोहन बताया जा रहा है। हर वर्ष शीतकालीन सत्र शुरू होने के साथ ही माह नवम्बर में मध्य पश्चिम एशिया एवं सुदूर देशों से यहां झील में आकर अनेक प्रजातियों के पक्षियों का डेरा झील में खास आकर्षण का केन्द्र होते है जो फरवरी या मार्च के अंत तक इस छिछली में रहकर अपना भोजन तलाशते है, यहीं प्रजनन क्रिया भी करते हैं, लेकिन इस बार बारिश की कमी की वजह से छिछली झील में आने वाले पक्षियों की करीब अस्सी प्रतिशत तक संख्या घट गयी है तो दूसरी और जितना भी पानी झील में है उसके आसपास जितने भी बोरवेल है उनके नमकीन पानी खींचने से इसका असर इधर भी पड़ रहा है, लेकिन नमक उत्पादन करने वालों की ओर से कितनी गइराई तक जाकर बौरवेल के जरिये पानी निकालकर नमक बनाया जायेगा इसके लिये मापदण्ड तो है लेकिन हालात को देखते हुये साफ पता चलता है कि शायद ही इसकी पालना हो रही हो। 

सांभरझील में एक तरफ पक्षियों की कमी को देखकर पक्षी प्रेमियों का भी मन आहत है तो दूसरी ओर सांभर साल्ट्स लिमिटेड की ओर चन्द्रा गुप को झील का एरिया रेण्ट पर देने के कारण यहां आने वाले सैलानियों को झील के दृश्य व पक्षियों के मनोरम दृश्य को मोबाइल में कैद करने की पाबंदी व उनसे शुल्क लिये जाने के चलते भी पर्यटकों की संख्या में कमी की मुख्य वजह सामने आ रही है, यहां तक स्थानीय लोगों की ओर से भी जब झील में फोटोग्राफी की जाती है तो उन्हें भी रोक दिया जाता है। यह लिखने योग्य है कि इस झील के मुख्य आकर्षण दो प्रजातियों के हंसावरों यानी फ्लेमिंगोज पक्षियों को देखने के लिये ही खास जगह माना जाता है।


 ये इतने संवदेनशील होते है कि एक तो ये झुण्ड में रहना पसंद करते हैं तथा इनको अन्य किसी की दखलदांजी बिल्कुल पंसद नहीं होती है। फ्लेमिंगोज पानी के बीच में रहते है जहां पर वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करते है। गुलाबी पंख, लम्बी चौंच व सारस जैसी बेहद खूबसूरत आकृति होने के कारण हर कोई इन्हें देखना पसंद करता है।  वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर गौरव दाधीच से बात करने पर संवाददाता को बताया कि यहां पर गतवर्ष के मुकाबले देशी विदेशी पक्षियों की संख्या में जिस प्रकार से पहली बार गिरावट देखने को मिली है, इसकी वजह भी उन्होंने पानी की कमी ही मुख्य रूप से बताया है, बताया यह भी जा रहा है कि यहां पर आज भी गुपचुप तरीके से इन पक्षियों का शिकार हो रहा है, इस पर भी पूरी तरह से लगाम लगाये जाने की जरूरत है।  

सांभरझील के जिस हिस्से में पक्षियों का जमावडा रहता है उनमें प्रमुख रूप से झपोक बांध, नलियासर, रतनतालाब, दादू दयाल की छतरी के आसपास करीब बीस किलोमीटर से अधिक का परिक्षेत्र इनकी पसंदीदा जगहज मानी जाती है। इस लवणीय झील में यूं तो पचास से अधिक प्रजातियों के पक्षियों के आने का रिकॉर्ड भी रहा है, लेकिन फिलहाल यहां पर फ्लेमिंगोज के अलावा आसानी से कालौक, बडी बतख, बड़ी क्राज, ग्रेयिंग गूस, टिटहरी, शाउलर, जममुर्गी भी देखी जा सकती है। इस मामले में सांभर साल्टस के महाप्रबन्धक रामकुंवार से बात करने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी देशी या विदेशी सैलानी जो यहां घूमने आते है, यदि उनका कैमरा कामर्शियल नही है तो झील के दृश्य, पक्षियों के फोटो खींचने की कोई पाबंदी नहीं है। कोई आम आदमी झील में खुद के मोबाइल कैमरे से भी फोटो ले सकता है, इस प्रकार की रोक का कोई अनुबंध हमारी ओर से नहीं किया गया है।