डाॅ. लक्षमण सिंह ओला, डायरेक्टर, आरसीएच ने कहा कि, यह राजस्थान के लिए तेजी से किया गया और उपयोगी सर्वेक्षण है। उन्होंने कहा कि, प्रौद्योगिकी का उपयोग और इस प्रकार के डिजिटल प्लेटफार्म, गुणवत्ता स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा देंगे।
राजस्थान में प्रजनन के आयुवर्ग वाली विवाहित महिलाओं में गर्भ निरोध के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। 2016 में यह 52 प्रतिशत था जो 2020 में बढ़कर 59 प्रतिशत हो गया है। पीएमए के अध्ययन में यह भी सामने आया है कि जब विवाहित महिलाएं गर्भ निरोधक का इस्तेमाल शुरू करती हैं तो ग्रामीण महिलाओं में औसतन 2.4 और शहरी महिलाओं की औसतन 1.9 संतानें होती हैं। यह भी सामने आया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पिछले वर्षो में इंजेक्टेबल्स की उपलब्धता में काफी सुधार आया है। अध्ययन यह भी बताता है कि लम्बे समय से महिला नसबंदी सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला साधन रहा है। एक प्रमुख यह बात भी सामने आई कि कुछ समय के लिए गर्भ रोकने वाले साधनों का इस्तेमाल बंद हो जाता है। ऐसे 40 प्रतिशत साधनों का इस्तेमाल 12 माह में बंद हो जाता है। वहीं 31 प्रतिशत के बंद होने का कोई अन्य कारण रहता है, वहीं नौ प्रतिशत ने गर्भधारण के लिए इन्हें बंद किया, वहीं 14 प्रतिशत ने कोई अन्य साधन इस्तेमाल करने के लिए इन्हें बंद किया।
गर्भ निरोधक का इस्तेमाल करने वाली 76 प्रतिशत महिलाओं और इनका इस्तेमाल नहीं करने वाली 31 प्रतिषत महिलाओं ने कहा कि गर्भनिरोधक केे इस्तेमाल का निर्णय उनके और उनके साथी की आपसी सहमति से हुआ है। जो महिलाएं घर से बाहर निकल कर काम कर रही हैं, वे घर में रहने वाली महिलाओं के मुकाबले आधुनिक साधनों का इस्तेमाल ज्यादा कर रही हैं। जितनी भी महिलाओं का सर्वे किया गया, उनमें से ग्रामीण महिलााओं की यौन गतिविधियां, शादी और बच्चे शहरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा जल्दी हुए। हालांकि इन्होंने गर्भनिरोधक का इस्तेमाल देर से शुरू किया। युवा महिलाओं में से लगभग 20 प्रतिशत की षादी 18 वर्ष की उम्र तक हो गई थी, 4 प्रतिषत ने इस उम्र तक बच्चे को जन्म दे दिया था और सिर्फ तीन प्रतिशत ने गर्भ निरोधक का इस्तेमाल किया था।
परिवार नियोजन के अलावा सर्वे में कोविड-19 के असर बारे में भी उन्हीं परिवारों से बात की गई। करीब 84 प्रतिशत परिवारों ने आय में पूरी या कुछ कमी की बात कही, वहीं 39 प्रतिशत ने पूरी आय के नुकसान की बात कही। स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो कोविड- 19 के प्रतिबंधों के दौरान 32 प्रतिशत स्वास्थ्य केन्द्र बंद थे। इनमें से भी 69 प्रतिशत एक माह से अधिक अवधि के लिए बंद रहे। वहीं 48 प्रतिषत महिलाएं जिन्हें कोविड के दौरान स्वास्थ्य केन्द्र जाने की जरूरत थी, उन्होंने कोविड के डर के कारण वहां जाने से परहेज किया। 96 प्रतिषत महिलाओं में कोविड- 19 के प्रति कुछ चिंता थी, वहीं 69 प्रतिशत इसे लेकर बहुत चिंतित थी। कोविड 19 के दौरान स्वास्थ्य केन्द्र जाने की जरूरत वाली 35 प्रतिशत महिलाओं को वहां स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलीं। कोविड- 19 के कारण 15 प्रतिषत महिलाओं को अपना मौजूदा समुदाय छोड़ना पड़ा, वहीं 83 प्रतिशत महिलाएं ऐसे परिवारों में थीं, जिनकी आय का काफी, कुछ कम या कम नुकसान हुआ है। 63 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीे, जो कोविड-19 से पहले अपने पति या साथी की आय पर ज्यादा निर्भर नहीं थीं, लेकिन इस दौरान उन्हें उन पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ा। कोविड-19 के कारण परिवार के भविष्य की आय को लेकर 83 प्रतिशत महिलाओं ने चिंता जाहिर की।
राजस्थान में डाटा संग्रहण का काम इंडियन इंस्टीट्यूट आफ हैल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (आईआईएचएमआर) यूनिवर्सिटी जयपुर ने किया। मास्टर सेम्पलिंग फ्रेम में से इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फाॅर पाॅप्युलेशन साइंसेज ने 134 गणना क्षेत्र चिन्हित किए थे। हर क्षेत्र में परिवारों और निजी स्वास्थ्य सेवाओं की सूची बना कर मैपिंग की गई। हर क्षेत्र से 35 परिवार चुने गए। परिवारों का सर्वे किया गया और उनमें रहने वालो की गणना की गई। 15 से 49 वर्ष की सभी पात्र महिलाओं से सम्पर्क किया गया इंटरव्यू के लिए सहमति ली गई। अंतिम सैम्पल में 4577 परिवार (98.8 प्रतिशत ने जवाब दिया), 5405 महिलाएं (98.1 प्रतिषत ने जवाब दिया) और 575 स्वास्थ्य केन्द्र (98.5 प्रतिशत पूरे किए गए) षामिल थे। पहले चरण का डाटा संग्रहण अगसत से अक्टूबर 2020 के बीच किया गया।