‘अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के मौके पर दिग्गज अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने यह सलाह दी
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मुम्बई। ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस‘ के मौके पर एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा यानी हिमानी शिवपुरी ने बताया कि एक महिला होना क्या होता है। उन महिलाओं के बारे में बात की, जिन्हें वह मानती हैं और एक सशक्त महिला किरदार निभाने के बारे में भी बताया। उनसे हुई बातचीत के अंश यहां दिये गये हैंः
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के विषय ‘वीमन इन लीडरशिप: अचीविंग एन इक्वल फ्यूचर इन ए कोविड-19‘ ‘नेतृत्व में महिलाएंः कोविड-19 की दुनिया में समान भविष्य हासिल करना‘, आपके लिये क्या मायने रखता है?
जब इस महामारी का कहर पूरी दुनिया पर टूटा, अलग-अलग क्षेत्रों की महिलाएं लोगों की मदद के लिये आये आयीं। हेल्थकेयर वर्कर्स, साइंटिस्ट, केयरगिवर्स, पुलिस और कई सारे क्षेत्रों की महिलाओं ने लोगों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया। अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को वह अपने बलबूते पर संभाल रही थीं, लेकिन उन्हें हमेशा ही काम करते रहना पड़ रहा था। कोविड-19 की दुनिया में सही मायने में समान भविष्य की दिशा में बढ़ने वाला यही कदम है। आज के दौर में महानगरों में रहने वाली महिलाएं हों या फिर टियर 2 शहरों में रहने वाली महिलाएं। वे बोल्ड हैं, अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम हैं और उन्हें खुद पर भरोसा है। उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
आपके लिये सबसे प्रेरणादायी महिला कौन हैं और क्यों?
ऐसे तो काफी सारी महिलाएं हैं, जिन्होंने मेरे प्रोफेशनल और पर्सनल सफर में बहुत ही अहम भूमिका निभायी है, लेकिन उनमें मेरी मां का योगदान सबसे बड़ा है। वह हमेशा ही मेरी प्रेरणा का स्रोत रही हैं। मुझे सही समझ और संस्कार देने से लेकर, उन्होंने अपनी क्षमता से कहीं बढ़कर बेहतरीन किया। उन्होंने मुझे यह सिखाया, ‘कुछ भी हो जाये जिंदगी चलती रहनी चाहिये‘ और उन्होंने ही मुझे इसका सही मतलब भी समझाया था। इसलिये, जब वह बीमार पड़ीं और जिस दिन उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा, उस समय मैं एक नाटक कर रही थी और उसमें मैंने अपना सबसे बेहतर परफाॅर्म करने की कोशिश की। वह नाटक उनके लिये मेरी तरफ से उनके लिये भेंट थी।
पिछले साल से ही, हम देश में महामारी की स्थिति से लड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में आपने अपने काम को किस तरह संभाला, जब पूरी दुनिया पर छंटनी और आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे थे?
इसमें कोई शक नहीं कि इस महामारी की वजह से लोगों को काफी असुविधा और अस्थिरता का सामना करना पड़ा, लेकिन कई अन्य लोगों के साथ मैं भी उठकर दोबारा खड़ी हुई। इसलिये, जब पता चला कि मुझे वायरस का संक्रमण हो गया है और मुझे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, मैंने पाॅजिटिविटी के साथ लड़ने का फैसला किया। मैंने ठान लिया था कि अपनी नाॅर्मल जिंदगी में वापस लौटूंगी। मैंने अपनी मेंटल हेल्थ पर बहुत ध्यान दिया, मैंने मेडिटेशन किया और योगा किया। जब चीजें धीरे-धीरे खुलने लगीं, मैंने सुरक्षा के काफी सारे तरीके अपनाने की कोशिश की, क्योंकि मैं काम पर वापस लौट चुकी थी। मैंने अपनी और अपने आस-पास के लोगों की सुरक्षा के लिये ऐसा करने का प्रयास किया। लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि एक चीज थी जो मुझे वापस खींच रही थी और वह थी अपने शुभचिंतकों और प्रशंसकों से मिला ढेर सारा प्यार। मेरी तरह ही, दुनिया में कई सारी ऐसी महिलाएं होंगी, जिन्हें इसी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा या फिर इससे बुरा, लेकिन हमेशा एक बात याद रखनी चाहिये कि एक अच्छी जिंदगी के लिये पाॅजिटिविटी सबसे जरूरी होता है।
आपको क्या लगता है, आज के दौर की महिलाओं के सामने सबसे मुश्किल चुनौती कौन-सी है, खासकर कामकाजी महिलाओं को घर और बाहर के बीच संतुलन बनाने में क्या मुश्किल आती है?
हम महिलाएं अक्सर जरूरत से ज्यादा सहन कर लेती हैं, खासकर जब बात परिवार की आती है, लेकिन इस जद्दोजहद में हम अपने आपको पूरी तरह से भूल जाते हैं। हम अपने परिवार, बच्चों और काम के लिये समय निकालते हैं,लेकिन अपनी सेहत और तंदुरुस्ती के लिये कुछ नहीं करते। मुझे लगता है कि आज के समय में यही सबसे बड़ी समस्या है, जिसका महिलाओं को सामना करना पड़रहा है। वैसे कई सारे लोग हमें ऐसा बनाने के लिये समाज को दोषी ठहराते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हमें खुद का ध्यान रखने के लिये थोड़ा स्वार्थी होना चाहिये। आखिरकार एक स्वस्थ महिला से ही एक स्वस्थ परिवार बनता है!
आपका किरदार दर्शकों के दिलोदिमाग पर छाया हुआ है। आपके हिसाब से इस भूमिका/किरदार की खासियत क्या है?
कटोरी अम्मा बहुत जिद्दी, हठी किस्म की बूढ़ी महिला है, जिसका अपना ही रुतबा है। वह उन लोगों में से है जो जिंदगी को सही मायने में खुलकर जीने पर विश्वास करती है। उसका बिंदास अंदाज ही उसे उसकी उम्र के बाकी लोगों से अलग बनाता है। कटोरी अम्मा को एक सशक्त मां के रूप में दिखाया गया है, वह इरादों की पक्की है और उसे पता है कि उसे क्या करना है। अपने पोते-पोतियों के साथ वह खुलकर जीती है। वह जिद्दी होते हुए भी अपने बेटे हप्पू (योगेश त्रिपाठी) और बहू राजेश (कामना पाठक) को बहुत प्यार करती है। यह भूमिका बहुआयामी किस्म की है, जिसके साथ मां का एक सू़क्ष्म किरदार जुड़ा है।
आपके हिसाब से महिला होना क्या है?
यह सवाल मुझे एक जाने-माने गीतकार की याद दिलाता है, जो लिखते हैं- ‘जी हां, मैं बुद्धिमान हूं लेकिन यही बुद्धि कष्ट का कारण है। हां, मैंने कीमत चुकायी है लेकिन देखिये मुझे कितना मिला भी है। यदि मैं करना चाहूं तो कुछ भी कर सकती हूं। मैं हिम्मती हूं। मैं अजेय हूं। मैं एक महिला हूं!’’ मुझे लगता है महिला होने का मतलब है अपने लिये और अपने विचारों के प्रति ईमानदार होना। वैसे, कई लोग अपने विचार हम पर थोपते हैं या हमें मजबूर करते हैं, लेकिन एक महिला होने के नाते हमें ही यह तय करना चाहिये कि हमारे लिये क्या सही है।
आप सभी लड़कियों और महिलाओं से क्या कहना चाहेंगी?
बड़े सपने देखें और उसे पूरा करने और अपने सपनों को जीने की दिशा में काम करें। कभी भी खुद पर संदेह ना करें और अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा रखें।