लखनऊ की महिलाएं उद्यमशीलता की विरासत का निर्माण कर रही हैं

अमेज़न इंडिया के ऑपरेशंस में तेजी लाते हुए लखनऊ की ये महिलाएं उद्यमशीलता की विरासत का निर्माण कर रही हैं

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नई दिल्ली। जीवन में कठिन समय आने पर, कुछ महिलाएं आगे बढ़कर स्थिति को संभालती हैं और इसे बदलने का काम करती हैं। ये महिलाएं हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखना पसंद करती हैं और अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगी दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन जाती हैं। ऐसी ही कुछ महिलाओं में लखनऊ की पारुल शुक्ला और रेणु पांडे भी शामिल हैं।

अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाली, जिन्दगी के अलग-अलग अनुभव से गुजरने वाली, और अपने-अपने  हिस्से की कठिनाइयों को झेलने के बावजूद, पारुल और रेणु में एक बात समान है कि वे आर्थिक रूप से सशक्त होनाचाहती हैं और अपनी पहचान बनाना चाहती हैं। उनकी कहानियां प्रेरणादायक हैं और अमेज़न इंडिया की उद्यमी विरासत के शानदार उदाहरण हैं।

अमेज़न इंडिया के आई हैव स्पेस (आईएचएस) प्रोग्राम में शामिल होने के बाद, पारुल और रेणु दोनों ही अपने कॅरियर की राह बनाने और अपने सपनों को साकार करने में सफल रही हैं। आईएचएस प्रोग्राम एक अद्वितीय पहल है जो स्थानीय स्टोर मालिकों को अमेज़न के साथ साझेदारी करने में सक्षम बनाता है और उनकी नियमित आय में अतिरिक्त कमाई जोड़ता है, और इसके साथ ही, उनकी स्थानीय दुकानों के लिए ग्राहकों की संख्या में भी वृद्धि करता है। कई अन्य स्टोर मालिकों की तरह, पारुल और रेणु, अपने स्टोर के 2-4 किलोमीटर के दायरे में ग्राहकों को पिकअप और डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती हैं। हालांकि दोनों ने अपने जीवन में कठिन समय में अमेज़न के साथ काम करना शुरू किया, दोनों महिलाओं ने आईएसएस प्रोग्राम को बेहतर भविष्य के प्रवेश द्वार के रूप में देखा, और आजवे खुश हैं।

आईएचएस पार्टनर बनने से पहले, पारुल अपनी खुद की कूरियर कंपनी चला रही थीं, लेकिन कूरियर का काम धीमा होने से उन्हें दूसरी आय के रास्ते तलाशने पर मजबूर होना पड़ा। अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतों और बच्चों की शिक्षा की ज़िम्मेदारियों के लिए, उन्होंने अवसरों की तलाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसने उनकी उद्यमशीलता के सपनों को साकार करने में उनको सक्षम बनाया। जब उन्होंने आईएचएस प्रोग्राम के जरिये मिलने वाले व्यवसाय के लचीलेपन, आमदनी और अवसर के बारे में सुना, तो पारुल तुरंत तैयार हो गयीं। काम शुरू किये हुए उन्हें 5 साल हो गये हैं और अब वह इससे अधिक लाभदायक अनुभव के बारे में सोच भी नहीं सकतीं।

अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, पारुल कहती हैंकि प्रोग्राम में शामिल होने के एक महीने के भीतर, मेरी आमदनी काफी बढ़ गयी और बहुत जल्द, मेरा जीवन और काम पटरी पर आ गया। व्यस्त समय के दौरान, अधिक कमाने का अवसर भी मिलता है और यह वास्तव में अचानक मिला सौभाग्य ही है। अब न केवल मैं अपने परिवार की देखभाल करने, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने और अपने खर्चों को पूरा करने में सक्षम हूं, बल्कि मैं अपने भविष्य के लिए बचत करने में भी सक्षम हूं। सबसे बड़ी जीत वह सम्मान और मान्यता है जो मुझे समाज में मिलती है और जब दूसरे लोग मुझे एक मददगार के रूप में देखते हैं।

लचीलेपन के बारे में पारुल की कहानी रेणु सहित कई अन्य महिलाओं के अनुभवों की भी कहानी है, जो 2020 में आईएचएस प्रोग्राम में शामिल हुईं।

रेणु के जनरल स्टोर ने उन्हें अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने में सक्षम बनाया। लेकिन कई अन्य व्यवसायों की तरह, पिछले साल लॉकडाउन के प्रतिबंधों ने उनकी आय को काफी कम कर दिया, जिससे उसे अन्य अवसरों की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह ऐसा काम तलाश रही थीं, जो उनके स्टोर चलाने में रुकावट न पैदा करें और कुछ अतिरिक्त आमदनी भी दे। जब रेणु ने सुना कि आईएचएस प्रोग्राम उन्हें दोनों कामों के लिए सशक्त बनायेगा, तो वे प्रोग्राम में शामिल हो गयीं।

उनकी स्वामित्व की भावना और जवाबदेही ने रेणु को सफलता प्रदान की और उनके ग्राहक-केंद्रित नजरिये के लिए उनकी सराहना की गयी। आज वह आसानी से अपनी निजी और व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं का देखभाल करने में सक्षम हैं और अपनी वित्तीय स्थिति में काफी सुधार किया है। अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए, रेणु कहती हैंकि “इन भूमिकाओं से मिले लचीलेपन और विकास के अवसरों ने मुझे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में सक्षम बनाया है। अब न केवल मैं अपने माता-पिता की चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने और उन्हें आवश्यक चीजें उपलब्ध कराने में सक्षम हूं, बल्कि खुद के लिए भी कुछ बचत कर सकती हूं।

अपने काम और परिवार के प्रति समर्पण के कारण, रेणु को उनके समुदाय में पहचान मिली है और अब कई अन्य लड़कियां उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार हैं। 

अमेज़न इंडिया ने ऐसी महिला स्टोर मालिकों की उद्यमशीलता की क्षमता को सफलतापूर्वक उजागर किया है, जिससे वे अपनी नियमित आय को बढ़ा सकती हैं और अपने स्टोर में और अधिक ग्राहकों को सेवाएं प्रदान कर सकती हैं। यह प्रोग्राम उन सभी स्टोर मालिकों के लिए उपलब्ध है जो पैदल या दोपहिया वाहन से सेवाएं दे सकते हैं। ‘आई हैव स्पेस’ पार्टनर बनने के लिए एकमात्र आवश्यकता स्टोर मालिक के पासअपने ऑफ-पीक घंटों के दौरान स्थानीय डिलीवरी करने के लिए पर्याप्त समय, और पैकेज रखने के लिए जगह होना है।

उद्यमशीलता की ये कहानियां सिर्फ दो महिलाओं की ही नहीं, बल्कि ऐसी हजारों महिलाएं की हैं जो सफल कॅरियर महिला होने की अपनी संभावनाओं की तलाश करना चाहती हैं, अपनी आजीविका कमाना चाहती हैं और इस प्रक्रिया में दूसरों का उत्थान करना चाहती हैं। यह उत्साह उस प्रगति का भी संकेत है, जो महिलाएं अपने स्वयं का व्यवसाय निर्माण करने में कर रही हैं और जो बड़े पैमाने पर देश को मजबूत बनाने और सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्रिय रूप से भागीदारी करते हुए हासिल कर रही हैं।