नजीबाबाद, 9837028700
आज नारी मुक्ति का संघर्ष दिग्भ्रमित है क्योंकि जिस वर्ग की वास्तविक मदद होनी चाहिए, वहाँ तक पहुँच नहीं पाती और मध्य वर्ग की महिलाएँ नारी मुक्ति के नाम पर स्वयं के दायित्वों से मुक्त या सामाजिक आकर्षण की ओर स्वयं को सिद्ध करने में, पुरुषों के साथ ऐसी दौड़ लगा रही हैं, जहाँ एक दूसरे को स्वीकार ने के भाव नहीं बल्कि पछाड़ने के भाव होते हैं। ‘हाँ मैं स्त्री हूँ’ फिर क्यों बनूँ पुरुष? क्योंकि एक पुरुष को जन्म देने की शक्ति सिर्फ मुझे ही सौंपी गयी है।