पिगीबैंक में कितने पैसे हैं?


http//daylife.page

मुम्बई। यदि किसी में आपके जितना ही पागलपन हो और आपकी हर शरारत में आपके परिवार का कोई आपका साथी होगा तो वह आपके भाई के अलावा कोई और नहीं हो सकता। कैंडीज के लिये लड़ने-झगड़ने से लेकर एक-दूसरे पर प्रैंक करने तक और इस बात का ध्यान रखना कि एक की वजह से दूसरा डांट खाये, बचपन के ऐसे ही मजेदार किस्से हम सबके पास ही सुनाने के लिये हैं। 24 मई को ‘नेशनल ब्रदर्स डे‘ मनाया जाता है। इस मौके पर एण्डटीवी की दबंग राजेश उर्फ कामना पाठक ने ‘बचपन के दिन‘ की कुछ मजेदार घटनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा, आलोक और मैं हमेशा ही अपनी मां के लिये सिरदर्द बने रहते थे। और जब हमें अकेला छोड़ा जाता था तो हमारे अंदर का साइंटिस्ट जिंदा हो जाया करता था। 

इससे हमारे पेरेंट्स की मुसीबतें डबल हो जाती थीं! एक शाकाहारी परिवार होने की वजह से, हमें अंडों के बारे में बहुत पता नहीं था, बस इतना कि यह नमक वाले पानी के ऊपर तैरते हैं। एक बार उस एक्सपेरिमेंट के लिये मैं अंडे लेकर आयी और उनमें से कुछ टूट गये, जिससे पूरे कमरे में बदबू फैल गयी। फिर क्या? हम दोनों को उतनी ही डांट पड़ी जबकि उसकी कोई गलती भी नहीं थी, लेकिन मुझ पर इल्जाम लगाने की उसकी कभी हिम्मत नहीं हुई। उस एक घटना को याद करके आज भी हंसते-हंसते मेरा पेट दर्द होने लगता है। हमें बचत करने के बारे में बताने के लिये हमारे पेरेंट्स ने हमें पिगी बैंक दिये। उनमें थोड़े पैसे भी डाल दिये थे और मैंने उन सारे पैसों को गोलगप्पे में उड़ा दिये। 

इतना ही नहीं, जब मेरे पैसे खत्म हो गये तो मैंने आलोक के पिगी बैंक से पैसे बनाना शुरू कर दिये। पकड़े जाने पर मैंने किसी तरह उसे भी अपना गोलगप्पा पार्टनर बना लिया जब तक कि उसके भी पिगी बैंक के पैसे खत्म नहीं हो गये। वह बहुत ही गुस्सा हो गया और मुझसे पागलों की तरह लड़ने लगा कि उसे अब पूरी जिंदगी दूसरा पिगी बैंक नहीं मिलेगा। अब वह बड़ा हो गया है, उसकी शादी हो गयी है, लेकिन आज भी जब हम मिलते हैं मैं उसे चिढ़ाने के लिये पूछती हूं, ‘पिगी बैंक में कितने पैसे हैं‘ और जोर-जोर से हंसती हूं। मेरे पागलपन की बराबरी उसके अलावा कोई और नहीं कर सकता।