सवाल मानव बालों से करोड़ों की इनकम और बालों की तस्करी का !

लेखक : लोकपाल सेठी

(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक मामलों के विश्लेषक हैं)

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पूर्वी भारत के मंदिरों में जहाँ श्रद्धालु पैसे का चढ़ावा करते हैं, वहां दक्षिण भारत में  पैसे, सोने और चांदी के अलावा अधिकांश मदिरों श्रद्धालु अपने सिर का मुंडन  करवा  अपने बाल भगवान को अर्पित करते है। वे बालों के चढ़ावे को धन के चढ़ावे से अधिक महत्व देते हैं। पुरुष तो अपने  सिर का मुंडन करवाते ही है, महिलाएं भी बालों के अर्पण  में उनसे भी पीछे नहीं रहती। लगभग दक्षिण के सभी मंदिरों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। कोरोना फैलने से पूर्व   तिरूपति बालाजी मंदिर में हर महीने लगभग 10 लाख श्रद्धालु अपने बालों का अर्पण करते थे। 

अन्य मंदिरों की तरह तिरूपति मंदिर में बाल काटने का एक अलग स्थान बना हुआ है जिसे कल्याण कट्टु कहा जाता है। यहाँ लगभग 24 घंटे श्रद्धालु अपने कटवाते है। चूँकि भारी मात्रा में  रोज़ बाल एकत्रित हो जाते हैं  इसलिए मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट ने दशकों पूर्व इन बालों को बेच कर ट्रस्ट के लिए अतिरिक्त धन जुटाने की व्यवस्था की थी। अब इस मद से मंदिर  हर साल एक सौ करोड़ रूपये से अधिक की आय हो  रही है। यहाँ एक विभाग इन बालों की   छंटाई कर लम्बाई के अनुसार पांच श्रेणियों में बाँट कर उनकी हर तीसरे महीने खुली नीलामी करता है। इस नीलामी  में कोई भी भाग ले सकता है। पिछले साल   यहाँ बालों की नीलामी से ट्रस्ट को लगभग 125 करोड़ रुपए मिले थे। चालू वर्ष में यह राशि 140 करोड़ रूपये होने का अनुमान है। 

लेकिन हाल में इन बालों की विदेशों में बड़े स्तर पर तस्करी का मामला सामने आया हैं। यह माना जा रहा है की इस तस्करी  के पीछे एक संगठित माफिया काम कर रहा है। इस तस्करी का मामला तब समाने आया जब मिजोरम–म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स के एक दल ने बालों से लादे तीन ट्रक पकडे। प्रत्येक ट्रक  में 120 बोरे थे। पकडे गए ट्रकों के ड्राईवरों ने शुरुआती पूछताछ में बताया की वे तिरूपति  से ये ट्रक ले कर चले थे। इन ट्रकों में क्या है यह उन्हें नहीं बताया गया। सीमा के पास एक ठिकाने पर ट्रक पर लादे बोरों को उतारा जाने था। बाद में पकडे गए बोरे तथा ड्राईवर आबकारी विभाग के अधिकारियों को सौंप दिए गए। 

आबकारी विभाग ने जब इस मामले की जाँच आगे बढाई एक से एक खुलासे होते चले गए। इन बालों के अंतराष्ट्रीय बाज़ार में कीमत लगभग 2 करोड़ के आसपास आती है। पकडे गए तीनों ड्राईवरों ने बताया की इससे पहले भी उनके साथी तिरूपति से ऐसे माल के ट्रक यहाँ लेकर आते रहे है। इन बालों को पहले  मिजोरम से थाईलैंड भेजा जाना था तथा इसके बाद ये चीन के एक स्थान पर जाने थे। इन बालों का उपयोग विग बनाने के लिए किया जाता है। मानव बालों से बनी  विग की विश्व में बड़ी मांग है तथा  विश्व की कुल विग उत्पादन में से 70 प्रतिशत विगों की आपूर्ति चीन ही करता है। चूँकि पुरुषो से अधिक महिलाएं विग का उपयोग करती है इसलिए बड़े बालों वाली विग की कीमत अधिक होती है। इसलिए बड़े मानव बालों की कीमत भी अधिक होती है। 

हालाँकि आँध्रप्रदेश में इन बालों से तस्करी को लेकर कोई मामला दर्ज नहीं है लेकिन फिर भी पुलिस अनौपचारिक रूप से मामले की गहराई से जाँच कर रही है। पुलिस अधिकारिओ का कहना है कि इस तस्करी के पीछे एक संगठित  माफिया है जो नीलामी में बाल खरीदने  वालों से औने पौने दामों पर बाल खरीद और फिर उनकी तस्करी से अच्छा खासा धन कमा रहा है। बालों की यह तस्करी केवल तिरूपति मंदिर तक ही सीमित नहीं है बल्कि दक्षिण के अन्य मदिरों से नीलामी में खरीदे बाल भी चीन को अवैध रूप से  भेजे जाते है। यह तस्करी, जो बरसों से चल रही है, किसी की नज़र ही नहीं पडी। 

तिरूपति ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि उनकी भूमिका बस बालों के नीलामी तक ही सीमित है। नीलामी में कौन लोग भाग लेते है और नीलामी खरीदे गए बालों को किस काम में लेते हैं यह उनकी जानकारी में नहीं है। लेकिन पुलिस का मानना है ट्रस्ट से जुड़े कुछ लोगों को इस बात की पूरी जानकारी थी कि बालों की तस्करी से कुछ लोग बड़ा धन कमा रहैं है, लेकिन ट्रस्ट ने जान बूझ कर अपनी ऑंखें बंद रखी। उनका  उद्देश्य बालों की नीलामी से अधिक से अधिक पैसे कमाना मात्र  ही है। ट्रस्ट को नीलामी में भाग लेने वालों के लिए कुछ नियम बनाने चाहिए थे। मसलन क्या उनके पास इन बालों के निर्यात कीअनुमति है या नहीं। इस बात की उम्मीद की जा रहे है की आबकारी विभाग इस मामले में पकडे गए तीन लोगों को जल्द ही आंध्रप्रदेश लायेगा तथा इस बात की निशान देही करेगा की ये बाल किससे ख़रीदे गए  तथा किन लोंगों ने ट्रक किराये पर लेकर इन बालों को तस्करी के उद्देश्य से मिज़ोरम भेजा था। आंध्रप्रदेश में विपक्षी तेलगु देशम पार्टी और बीजेपी  के नेताओ का कहना है इस तस्करी के पीछे सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं का हाथ है। (लेखक का  अध्ययन एवं अपने विचार हैं)