आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की फार्मा कॉन्क्लेव 2021 में विशेषज्ञों का मत

जीनोमिक्स, जीन एडिटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंडरस्टैंडिंग द बायोलॉजी ऑफ एजिंग आदि फार्मास्युटिकल उद्योग में अगले स्तर के नवाचार

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जयपुर। स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान देने वाले टैलेंट-पूल तैयार करने पर जोर देने वाले प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थान आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की ओर से ‘इनोवेशंस इन फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड मैनेजमेंट’ पर केंद्रित फार्मा कॉन्क्लेव 2021 का आयोजन किया गया। फार्मा कॉन्क्लेव 2021 उद्योग और शिक्षा जगत के बीच एक संवाद था, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. एस डी गुप्ता चेयरपर्सन एवं ट्रस्टी सचिव, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी थे, वहीं इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस के महासचिव व एबॉट हेल्थकेयर के पूर्व एमडी सुदर्शन जैन सहित आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के पे्रसीडेंट डॉ. पी आर सोडानी मुख्य वक्ता थे।

पैनल -1 की अध्यक्षता डॉ. सौरभ कुमार, डीन स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने की जो ‘कोविड युग में फार्मास्युटिकल उद्योग के लिए चुनौतियां और भविष्य की नई रणनीतियां’ पर केंद्रित था। पैनल-1 के पैनलिस्ट में गगन भारद्वाज, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट - सप्लाई चेन, इंटास फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, विवेक राठौड़, सीनियर मैनेजर, एवरसाना कंसल्टिंग, और डॉ तनवीर नावेद, जाॅइंट हेड, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा शामिल थे। पैनल-1 का संचालन सुश्री रुबीना खान, मार्केटिंग मैनेजर, हेमेटोलॉजी एशिया पैसिफिक, नोवार्टिस ने किया। पैनल-2 ‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मार्केट में वर्तमान रुझान’ पर केंद्रित था। इसके पैनलिस्ट में आनंद नामदेव, ब्रांड मैनेजर, बोहरिंगर इंगेलहाइम, दिनेश पांडे, हेड एनालिटिक्स, फार्मा ऐस, प्रियांक वी. ठक्कर, सह-संस्थापक, यूपी फार्मास्युटिकल्स, और सुश्री पारुल ठाकुर, मैनेजर ऑपरेशंस, एस्टर मेडसिटी शामिल थे। डॉ. प्रमोद कुमार राजपूत, वर्टिकल हेड और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, कैडिला फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने सत्र की अध्यक्षता की वहीं सुदीप प्रधान, मैनेजर, इमर्जिंग मार्केट्स एंड यूरोप, सिप्ला ने पैनल डिस्कशन-2 का संचालन किया।

डॉ. सौरभ कुमार, डीन स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने कहा, “पूरी दुनिया कोविड महामारी की एक अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रही है, और यह जरूरी हो गया है कि हमें भविष्य का रोड मैप विकसित करना चाहिए ताकि हम इस परिमाण की महामारी से निपटने के लिए तैयार हो सकें। इस कॉन्क्लेव को ध्यान में रखते हुए शिक्षा और उद्योग को एक साथ लाने की योजना बनाई गई है ताकि इस विचार पर विचार-विमर्श किया जा सके कि फार्मास्युटिकल साइंसेज के क्षेत्रों में नवाचार और अच्छे प्रबंधन प्रथाओं को कैसे लागू किया जा सकता है। कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले छात्रों को उद्योग के विशेषज्ञों, वरिष्ठ फार्मा पूर्व छात्रों के साथ बातचीत करने और फार्मास्युटिकल मार्केटिंग, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, ब्रांड मैनेजमेंट, फार्मास्युटिकल कंसल्टिंग और फार्मा रेगुलेशन के क्षेत्रों में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है।’

डॉ. पी. आर. सोडानी, अध्यक्ष, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने कहा, “फार्मा कॉन्क्लेव 2021 को फार्मास्युटिकल साइंसेज और प्रबंधन में नवाचार पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित किया गया है। हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 के समय में फार्मास्युटिकल एकमात्र ऐसा उद्योग है जिसने लोगों की जान बचाई। भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग ने इस महामारी के दौरान बहुत सारे नवाचारों के साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोविड-19 एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती होने के बावजूद, फार्मास्युटिकल उद्योग तकनीकी नवाचारों के संदर्भ में दवा नवाचारों जैसी बहुत सारी अंतर्दृष्टि और नवाचार प्रदान कर रहा है। यह कॉन्क्लेव उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी होगी जो फार्मास्युटिकल उद्योग में अपना करियर बनाना चाहते हैं।’

फार्मा कॉन्क्लेव 2021 में मुख्य अतिथि सुदर्शन जैन, महासचिव, इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस व एबॉट हेल्थकेयर के पूर्व एमडी ने एक दिलचस्प विषय का चयन करने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 ने हम सभी को प्रभावित किया है। दूसरी लहर एक बड़ी चुनौती रही है और मैं संकट के इस समय में फार्मास्युटिकल उद्योग के सभी सहयोगियों के उत्कृष्ट योगदान की सराहना करता हूं। महामारी के समय में भी, भारत दुनिया भर में फार्मास्यूटिकल्स की आपूर्ति को बनाए रखने में सक्षम रहा है। एक संकट अगला अवसर है और अगला दशक स्वास्थ्य सेवा का दशक होगा। कुल मिलाकर फार्मास्युटिकल और हेल्थकेयर उद्योग ने किसी व्यक्ति की औसत जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने में जबरदस्त योगदान दिया है। समग्र फार्मास्युटिकल उद्योग ने टीकों, एंटीबायोटिक दवाओं, स्वास्थ्य और स्वच्छता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी एक ऐसा संस्थान है जिसने स्वास्थ्य सेवा और नवाचार को अगले स्तर तक पहुंचाया है।’

जैन ने आगे कहा कि “फार्मास्युटिकल उद्योग ने कोविड-19 के लिए टीके लाने में प्रगति की है, हाल में अल्जाइमर और यहां तक कि मोटापे के लिए एक दवा की खोज की गई है। जीनोमिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीन एडिटिंग, बेटर डायग्नोस्टिक्स, बायोलॉजी ऑफ एजिंग और टेक्नोलॉजी में दुनिया भर में नवाचार हुए हैं। मैनेजमेंट इनोवेशन, आरएंडडी, ड्रग डेवलपमेंट, स्किल्स और बायोलॉजिकल के क्षेत्र में करियर के जबरदस्त अवसर पैदा होंगे।

डॉ. एसडी गुप्ता, चेयरपर्सन एवं ट्रस्टी सचिव, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘2020 से 2030 का दशक दरअसल सार्वजनिक स्वास्थ्य का दशक होगा, क्योंकि इस दौरान बीमारी के प्रकोप में वृद्धि, आयु संरचना में बदलाव और गैर-संचारी रोगों के लिए रोग पैटर्न में बदलाव होने की संभावनाएं हैं। सबसे महत्वपूर्ण चुनौती यह है कि लोगों तक कैसे पहुंचे और उन्हें किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं कैसे प्रदान की जाएं। एक और चुनौती कोविड की तीसरी लहर है जो प्रत्याशित है और इससे जानवरों के भी प्रभावित होने की आशंका है। ऐसी स्थिति में हमें स्वास्थ्य देखभाल के प्रभावी प्रबंधन और दवा और दवा आपूर्ति के प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता है और फार्मास्युटिकल उद्योग में मानव संसाधन को जुटाना महत्वपूर्ण है। आर एंड डी, उत्पाद के प्रभावी प्रबंधन और पूरी दुनिया में इसकी डिलीवरी में कई अवसर हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने परामर्श, अनुसंधान, फार्मा क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में दुनिया भर में 4000 से अधिक मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स तैयार किए हैं।’’

‘कोविड युग में फार्मास्युटिकल उद्योग के लिए चुनौतियों और भविष्य की नई रणनीतियां’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए पैनल 1 चर्चा में विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

गगन भारद्वाज, वरिष्ठ उपाध्यक्ष - सप्लाई चेन, इंटास फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने कहा “दुनिया भर में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती फार्मा क्षेत्र में कोविड-19 के बीच आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन करना था। टीकों की कोल्ड चेन भारत के लिए एक चुनौती रही है, चाहे इन्हें आयात किया जाए या देश के भीतर ले जाया जाए। वैक्सीन लगाने से पहले सबसे महत्वपूर्ण पहलू था कि किस तापमान पर इसे निर्माता से वितरक के पास और वितरण केंद्र से टीकाकरण केंद्र तक लाया जा रहा है। तापमान निगरानी प्रणालियों के आॅटोमेशन पर काम किया जा रहा है। भारत को टीकों की बर्बादी पर योजना बनाने और इन टीकों की मांग और आपूर्ति का प्रबंधन करने की जरूरत है।”

एवरसाना कंसल्टिंग के सीनियर मैनेजर, विवेक राठौड़ ने कहा, ‘कोविड-19 ने लोगों की मानसिकता में बदलाव लाकर परामर्श उद्योग के लोगों के लिए दूर से काम करने के लिए आशा की एक नई किरण की पेशकश की है। फार्मा कंसल्टिंग में बिजनेस एनालिस्ट, एनालिटिक्स में नॉलेज मैनेजमेंट एसोसिएट्स, फोरकास्टिंग और प्रतिस्पर्धी इंटेलिजेंस के रूप में जबरदस्त अवसर हैं।”

एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, एमिटी यूनिवर्सिटी के जाॅइंट हेड डॉ. तनवीर नावेद ने कहा, ‘शिक्षाविदों ने निरंतरता से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक आदर्श बदलाव किया है। एक क्षेत्र जिसे छात्र कॅरियर के रूप में देख सकते हैं, वह फार्माकोविजिलेंस हैं। एलोपैथिक उद्योग के समानांतर चलने वाले हर्बल उद्योग को भी छात्र अपना सकते हैं। छात्र ऑनलाइन फार्मेसी उद्योग में अवसरों को भी देख सकते हैं। छात्रों द्वारा फार्मास्युटिकल प्रबंधन किया जा सकता है जैसे एमबीए फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट, एमबीए हेल्थ एंड हॉस्पिटल मैनेजमेंट को छात्रों द्वारा खंगाला जाना चाहिए।’

पैनल -2 ‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल बाजार में वर्तमान रुझान’ पर केंद्रित रहा।

प्रमोद कुमार राजपूत, वर्टिकल हेड और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, कैडिला फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा, ‘छात्रों को लक्ष्य, रणनीति और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। छात्रों को एक खुला दृष्टिकोण रखना चाहिए और उन क्षेत्रों की तलाश करनी चाहिए जिन्हें खोजा नहीं गया है।’

दिनेश पांडे, हेड एनालिटिक्स, फार्मा ऐस ने कहा, ‘फार्मा वैल्यू चेन प्री-क्लिनिकल, क्लिनिकल ट्रायल और दवाओं को लॉन्च करने और दवाओं को विभिन्न चरणों में ले जाने के साथ शुरू होती है। फार्मा वैल्यू चेन में कई हितधारक हैं। कोविड-19 ने पूरे फार्मास्युटिकल उद्योग के काम करने के तरीके को गहराई से प्रभावित किया है। नैदानिक परीक्षणों में भाग लेने के इच्छुक लोगों के बारे में कई चुनौतियां थीं। इस मामले में अमरीका ने पूरी प्रक्रिया में बदलाव लाने के लिए इस तरह के परीक्षण की प्रक्रिया को आसान बना दिया था।‘

बोहरिंगर इंगेलहाइम के ब्रांड मैनेजर, आनंद नामदेव ने कहा, ‘मेगाब्रांड्स का प्रबंधन एक बहुत बड़ा काम है क्योंकि वे मूल्य, मात्रा और नुस्खे की शर्तों के मामले में बहुत सख्त होते हैं। ये ब्रांड बाजार में बड़ी ब्रांड इक्विटी रखते हैं। अपनी बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखने या मजबूत करने या आवाज के उच्च हिस्से को बनाए रखने के मामले में इन ब्रांडों को प्रबंधित करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। इसके लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, पैरामेडिक स्टाफ, रोगी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और चैनल भागीदारों से लेकर मूल्य श्रृंखला में कई हितधारकों की आवश्यकता होती है। बाजार की चुनौतियों को समझने की आवश्यकता होती है।

उद्यमी प्रियांक वी. ठक्कर, सह-संस्थापक, यूपी फार्मास्युटिकल्स ने चिकित्सा उपकरण उद्योग पर बोलते हुए कहा, ‘भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग सेमी-फिनिश्ड उत्पादों की प्रौद्योगिकी के लिए कोरिया और जापान पर निर्भर है जो एक बड़ी चुनौती है। अपने उत्पाद का निर्यात करने की कोशिश कर रही एक भारतीय कंपनी के रूप में सबसे बड़ी बाधा लागत पैरामीटर है क्योंकि हमें पर्याप्त प्रतिस्पर्धी होने की आवश्यकता है। सप्लाइ्र चेन प्रबंधन, योजना और देश के भीतर ही कच्चे माल की उपलब्धता की कमी जैसी विभिन्न चुनौतियां रही हैं। इस प्रकार समय प्रबंधन और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन स्टार्ट-अप के रूप में बाधा को कम करने में मदद करेगा।

सुश्री पारुल ठाकुर, प्रबंधक संचालन, एस्टर मेडसिटी ने आविष्कारों को लॉन्च करने और उन्हें पेटेंट कराने के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘पूरी प्रक्रिया को पेटेंट कराने की प्रक्रिया में समय लगता है। पूरी प्रक्रिया को सुचारू और छोटा किया जाना चाहिए ताकि उत्पाद के आविष्कारक को उसका हिस्सा मिल सके और इसे समय पर बाजार में लॉन्च भी किया जा सके।’

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में एमबीए फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट का एक प्रमुख कार्यक्रम है जो एक सलाहकार, डेटा विश्लेषक, विपणन रणनीतिकार, ब्रांड प्रबंधक, आदि भूमिकाओं में काम करने के लिए तैयार करता है। (प्रेसनोट)