‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ के मौके
मुंबई। स्वच्छ भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के क्रम में मध्यप्रदेश पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर कई कदम उठा रहा है। सात करोड़ से भी ज्यादा जनसंख्या के साथ उनके प्रयासों की वजह से उनके ईकोसिस्टम में काफी बदलाव आये है। इंदौर और भोपाल के रहवासी और एण्डटीवी के कलाकारों ने अपने होमटाउन द्वारा अपनाये गये उन उन्नत ईको-फ्रेंडली तरीकों के बारे में बात की। शुभांगी अत्रे उर्फ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की शुभांगी अत्रे, एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कामना पाठक उर्फ दबंग राजेश और एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथायें‘ की सारा खान उर्फ देवी पौलोमी ने बताया कि किस तरह छोटे-छोटे प्रयासों और कोशिशों से इकोसिस्टम को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
शुभांगी अत्रे उर्फ अंगूरी भाभी ने कहा, ‘‘इंदौर का गीला और सूखा कचरा वाला माॅडल ऐसा है जिसे दूसरे शहर भी अपना रहे हैं। साथ ही यही वजह है कि भारत के सबसे स्वच्छ शहर होने का ताज अभी भी इंदौर के सिर पर ही है। ऐसे शहर से रिश्ता होने पर बहुत अच्छा महसूस होता है जोकि पर्यावरण को लेकर इतने जिम्मेदार हैं। इस खिताब को ताउम्र अपने पास रखना अपने ही हाथों में है। मैं एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हूं जो प्रकृति मां को वापस देने में विश्वास करता है और बचपन से ही मैंने कचरे का सही इस्तेमाल करना सीखा है। वह सीख आज भी मेरे साथ है और तब से मैंने बचे हुए खाने से खाद बनाना शुरू कर दिया और मैं अपने किचन गार्डन की मिट्टी की क्वालिटी को सुधारने के लिये उनका इस्तेमाल कर रही हूं। एक कम्पोस्ट पिट गार्डन में पौधों को जरूरी पोषण देते हैं और उसके बदले में हमें कुछ बेहद स्वादिष्ट खाने-पीने की चीजें मिलती हैं। मैं सभी लोगों से गुजारिश करना चाहूंगी कि धरती को बेहतर बनाने की हर संभव कोशिश करें। छोटी-छोटी चीजों से शुरूआत करें जैसे कचरों को अलग-अलग करना और उनका इस्तेमाल करना।‘‘
कामना पाठक उर्फ दबंग राजेश कहती हैं, ‘‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ के संरक्षण के विषय को देखते हुए, हमें लोगों को इस बात के लिये जागरूक करने पर ध्यान देना चाहिये कि वो ऐसे तरीके अपनायें जो ना केवल उनके लिये फायदेमंद हों बल्कि धरती के लिये भी। प्राकृतिक संसाधनों को तैयार होने में सालों लग जाते हैं और इस ग्रह के समझदार नागरिक होने के नाते हमें इसकी भलाई और आगे आने वाली पीढ़ी के लिये अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करनी चाहिये। इंदौर शहर से होने के कारण बेहद खुशी का अनुभव होता है। यह जानते हुए कि इस शहर ने इस तरह के कदम उठाकर इस काम को पूरा किया है। भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने चार साल तक इस खिताब को बरकरार रखने की दिशा में काम किया है। छोटी-छोटी चीजों से शुरूआत करते हुए बड़े लक्ष्य को पाना ही मकसद है। लोगों को घर में तैयार हो रहे कचरों को सोच-समझकर अलग करना चाहिये और जीने के ज्यादा से ज्यादा आॅर्गेनिक तरीकों की तरफ मुड़ना चाहिये। कचरों को अलग करने के इंदौरी माॅडल का पालन कई दूसरे शहर भी कर रहे हैं और यही वजह है कि यह देश के सबसे साफ शहरों में से एक है।‘‘
‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के मौके पर भोपाली, सारा खान उर्फ एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ की पाॅलोमी देवी ने धरती और उसके ईको-सिस्टम को बनाये रखने में अपने योगदान के बारे में बात की। उन्होंने बताया, ‘‘तकनीकी रूप से एडवांस होने की इस दौड़ में हम अनजाने में पर्यावरण के संतुलन को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं और उसमें गड़बड़ी पैदा कर देते हैं; इसलिये हमें एकजुट होकर इस नुकसान को ठीक करना होगा। इसके लिये हमें साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपनाना होगा और उसका प्रचार-प्रसार करना होगा। भोपाल मेरा होमटाउन है और इसे देश के सबसे हरे-भरे शहर के रूप में जाना जाता है। यह शहर कई सारी झीलों की धरती है और यहां क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल की वजह से इसे भारत की बायो-वैली का नाम दिया गया है।
मुझे ऐसा लगता है कि एक नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि हम पर्यावरण के लिये कुछ करें। मैं और मेरा परिवार ऊर्जा बचाने के लिये लाइट्स और पंखे को बंद कर देते हैं जब उनकी जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा हम ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की कोशिश करते हैं ताकि पर्यावरण को और हरा-भरा करने में अपना योगदान दे सकें। इसके अलावा, मुझे ऐसा लगता है कि हमें नदियों को साफ रखने, पानी बचाने और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में अपना योगदान देने पर ध्यान देने की जरूरत है। हमारी धरती इंसानों के साथ-साथ जानवरों और अन्य प्रजातियों तथा जीव-जंतुओं के लिये है। इस ‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ पर आइये हम सब पर्यावरण के प्रति थोड़े और जागरूक बनें और पर्यावरण के अनुकूल और भी अच्छी आदतों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनायें।’’