नेहा पेंडसे और अकांशा शर्मा ने जीवन को अनुशासित बनाने के बारे में बात की

‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ के मौके पर 

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मुम्बई। प्रकृति हमारे घर की तरह है। हम प्रकृति की रक्षा करते हैं और प्रकृति हमारी। लेकिन हमारे रोजमर्रा के कामों जैसे खाना पकाने, साफ-सफाई, कपड़े धोने, सफर करने से कई रूपों में प्रकृति पर प्रभाव पड़ता है। अभी जबकि हम सबकी जिंदगी लगभग रूक सी गई है, प्रकृति फल-फूल रही है। इस वक्त ने हमें प्राकृतिक दुनिया को पोषित करने की सीख दी है। हम पुराने दौर में वापस नहीं लौट सकते और इसलिये जीवन अनुशासित  तरीका अपनाना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। अनुशासित जीवन का मतलब है अपनी जरूरतों के लिये प्राकृतिक संसाधनों की मांग को कम करना और पर्यावरण के अनुकूल जितना संभव हो सके सही आदतों को चुनना। इस साल ‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ का विषय है ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली‘ (इकोसिस्टम रेस्टोरेशन)। एण्डटीवी के कलाकार और आपला महाराष्ट्र की रहने वालीं, नेहा पेंडसे उर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनिता भाबी और अकांशा शर्मा उर्फ ‘और भई क्या चल रहा है?‘ की सकीना मिर्जा ने जीवन के अनुशासित तरीकों को अपनाने की अपनी छोटी-छोटी कोशिशों के बारे में बात की। 

नेहा पेंडसे उर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनिता भाबी कहती हैं,सरल शब्दों में कहें तो स्थायित्वपूर्ण या अनुशासित जीवन जीने का मतलब है कि हमारे जीने के तौर-तरीकों का कितना प्रभाव हमारे आस-पास की दुनिया पर पड़ा है। साथ ही हर कोई बेहतर और जिम्मेदारीपूर्वक जीने के तरीके ढूंढें। पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपनाना अपनी धरती की सुरक्षा और संरक्षण का ही तरीका है। जैसे कि मैंने सिंगल-यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कम कर दिया है। इसकी जगह पर मैं अपनी ग्राॅसरी तथा बाकी जरूरत की चीजों के लिये प्लाटिक फ्री विकल्प चुनती हूं। मैंने तय कर रखा है कि मैं अपने साथ काॅटन या जूट के थैले रखूंगी। मैं चमचमाती लाइटिंग की बजाय एलईडी या सीएफएल बल्ब का इस्तेमाल करती हूं, क्योंकि ये लंबे समय तक चलते हैं और बिजली बचाते हैं। इसके अलावा मैं नैचुरल लाइटिंग करना भी पसंद करती हूं, इससे ना केवल बिजली की बचत होती है, बल्कि आपको और ज्यादा धूप मिलती है। हमारे रोजमर्रा के जीवन में ये छोटे-छोटे बदलाव हमें पर्यावरण को लेकर ज्यादा जागरूक बनाते हैं और इससे बड़ा बदलाव आता है। 

अकांशा शर्मा उर्फ ‘और भई क्या चल रहा है?‘ की सकीना मिर्जा कहती हैं, पर्यावरण की रक्षा करना और ईकोसिस्टम को तबाह होने से रोकना बहुत जरूरी है। इस धरती के जीव होने के नाते पर्यावरण को प्रदूषण और बाकी उन चीजों से बचाना जोकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, हमारा नैतिक कर्तव्य है। हमारा ईकोसिस्टम हमें कई सारी प्राकृतिक चीजें जैसे साफ हवा, पानी, खाना और कई और चीजें देता है। हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा जरूर करनी चाहिये और उसके लिये कुछ करना चाहिये। गाड़ियों की वजह से होने वाले प्रदूषण की वजह से चिंताएं बढ़ती जा रही हैं, खासकर महानगरों में। इसलिये मैं अपनी गाड़ी का इस्तेमाल करने से बचती हूं। साथ ही मैं प्लास्टिक का इस्तेमाल करने और पानी तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी करने से बचती हूं। अपनी प्रकृति मां को वापस देने और उपहारस्वरूप हमने हर छह महीने एक पौधा लगाने का फैसला किया है। ऐसी कई सारी चीजें हैं जो हम हरे-भरे और स्वच्छ पर्यावरण के लिये कर सकते हैं। आइये हम सब साथ मिलकर ऐसे आसान तरीके निकालें जिससे हम पर्यावरण के लिये अपना थोड़ा योगदान दे सकें।