फादर्स डे पर
मुम्बई। माँ की तरह, पिता भी बच्चों के भावनात्मक विकास में मजबूत स्तंभ की तरह होते हैं। पिता और बच्चे जैसा कोई और रिश्ता नहीं होता। पिता की यह भूमिका बच्चे पर गहरा प्रभाव डालती है और भविष्य में एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती है। इस फादर्स डे पर, आइये हम पिता के किरदार को परदे पर जीने वाले एण्डटीवी के कलाकारों से मिलें और जानें कैसा है बच्चों संग उनका रिश्ता परदे पर और परदे के पीछे भी। उनमें शामिल हैं ‘एक महानायक डॉ बी. आर आम्बेडकर‘ के रामजी (जगन्नाथ निवांगुने), ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के हप्पू सिंह (योगेश त्रिपाठी), ‘और भाई क्या चल रहा है?‘ के रमेश प्रसाद मिश्रा (अंबरीश बॉबी) और जफर अली मिर्जा (पवन सिंह)।
‘एक महानायक डॉ बी.आर आम्बेडकर‘ से जगन्नाथ निवांगुने उर्फ़ रामजी सकपाल, कहते हैं, बाबासाहेब के पिता, रामजी सकपाल, का अपने बेटे के जीवन पर गहरा प्रभाव था। हर मुश्किल में बाबा साहेब के लिए उनके साथ और फिक्र में कभी कोई बदलाव नहीं आया। वे अपने बच्चों की बेहतरी के लिए दृढ़ और समर्पित थे। रामजी अपने सिद्धांतों और मान्यताओं में भले ही बेहद सख्त थे लेकिन हमेशा अपने मूल्यों और विचारों पर अडिग रहे। उन्होंने अपने सभी बच्चों को सपने देखने और उनको सच करने की पूरी आजादी दी थी। रामजी और भीमराव इस बात के बेहतरीन उदाहरण हैं कि बाप-बेटे का रिश्ता कैसा होना चाहिये, यह वाकई प्रेरणादायक है।
ऑफ-स्क्रीन, मेरा और आयुध का रिश्ता बहुत ही मजबूत और गहरा है। मेरा मानना है कि हमारी बाॅन्डिंग की वजह से ही बाबासाहेब और उनके पिता के बीच के खूबसूरत रिश्ते को ऑनस्क्रीन दिखाने में काफी मदद मिली। अक्सर, खाली समय में हम रिहर्सल करते हैं, खेलते, पढ़ते और गप्पें मारते हैं। शूटिंग के पहले दिन से ही हमारी एक आदत बन गई है, आयुध सेट पर पहुंचते ही मेरे गाल पर एक प्यारी-सी पप्पी देते हैं। डेढ़ साल से अधिक समय हो गया है हमें शूटिंग करते हुए और ऐसा कोई दिन नहीं है जब मुझे उसकी प्यारी-सी पप्पी ना मिली हो। वह मेरे लिए बेटे की तरह हं और मैं हमेशा उनके साथ वक्त बिताने की कोशिश करता हूं।
‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के योगेश त्रिपाठी, ऊर्फ दरोगा हप्पू सिंह कहते हैं, “हप्पू नौ बच्चों का पिता है और सब एक-दूसरे से अलग हैं। इतने सारे बच्चों का पिता होना और उनकी जरूरतों को पूरा करना आसान नहीं है। यह हर किसी के वश की बात भी नहीं है। हप्पू एक सख्त लेकिन प्यार और हिफाज़त करने वाला पिता है, जो हर दिन कड़ी मेहनत करता है ताकि उसके बच्चों का जीवन बेहतर हो सके। हर बच्चे की अपनी इच्छायें होती हैं और एक पिता होने के नाते उन इच्छाओं को समझना हप्पू को एक अद्भुत पिता बनाता है। भले ही मैं ऑन-स्क्रीन बच्चों पर चिल्लाता रहता हूं, लेकिन जब कैमरे बंद हो जाते हैं, तो हम साथ में बहुत मस्ती करते हैं। सेट पर गेम खेलने और प्रैंक करने से लेकर हम काफी धमाल मचाते हैं। हर वक़्त हम एक-दूसरे के लिए मौजूद रहते हैं। उनके रूप में ना केवल मुझे एक परिवार मिला, बल्कि मुझे बहुत अच्छे दोस्त भी मिले। उनके साथ सेट पर कभी भी उदासी वाला पल नहीं होता। हमने हर पल को पूरी तरह से जिया है।
‘और भाई क्या चल रहा है?‘ के अंबरीश बॉबी उर्फ रमेश प्रसाद मिश्रा कहते हैं, बच्चों के साथ काम करना बहुत मजेदार है और बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। हमारे बीच बहुत ही कम समय में एक करीबी रिश्ता बन गया है। ऑन-स्क्रीन, मैं उनका पिता हूं लेकिन ऑफ-स्क्रीन, मैं उनका सबसे अच्छा दोस्त हूँ ! हम लॉक और की से लेकर लुका-छिपी तक कई खेल खेलते हैं। बच्चों के साथ लुका-छिपी खेलने के लिए हवेली सबसे अच्छी जगह है। जब भी डायरेक्टर ’कट’ कहते हैं, हमें पहले से ही मालूम होता है कि हम क्या खेलने जा रहे हैं। बच्चे बहुत टैलेंटेड हैं और हमेशा सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं। वे मुझसे एक्टिं, डायलॉग डिलिवरी और कैमरा फेसिंग के टिप्स पूछते रहते हैं, वहीं मैं उनकी एक्टिंग में ताजगी और नयेपन से बहुत कुछ सीखता हूं।
हम सब एक शानदार टीम की तरह हैं। ‘और भाई क्या चल रहा है?‘ के पवन सिंह उर्फ जफर अली मिर्जा बताते हैं,सबसे गहरा लेकिन मजेदार रिश्ता हमेशा हमारे पिता के साथ होता है। उसी तरह मिर्जा का ऑन-स्क्रीन अपने बच्चों के साथ बहुत ही गहरा और सुन्दर रिश्ता है वहीं दूसरी ओर, मैं ऑफ-स्क्रीन बच्चों के साथ बहुत मस्ती करता हूं। मुझे उनके साथ अपने बचपन के दिन फिर से जीने का मौका मिल जाता हैं। बहुत ही कम समय में, हमने गहरा रिश्ता बना लिया हैं - जो मज़ेदार और भावनात्मक दोनों हैं। हम साथ डांस करते हैं, मजेदार रील बनाते हैं, ढेर सेल्फी क्लिक करते हैं, डम्ब सेराड, क्विज़ और यहां तक कि मोबाइल गेम भी एक साथ खेलते हैं। उनके होने से मेरा व्यस्त दिन भी आसान हो जाता है।