एहसास के समंदर में अब आग हो गयी

क वि ता 


लेखिका : ममता सिंह राठौर

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भाव और  ताव से जिंदगी लबालब हो गयी

अपनेपन की बात पुरानी बात हो गयी...!


जरूरत के हिसाब से रिस्तेदारिया हो गयीं

बड़े बड़े बोल और ऐठे ऐठे लोगों की दुनिया हो गयी...!


बाकी जो बचे वो घास फूस की कहानियाँ हो गयीं

एहसास के समंदर में अब आग हो गयी...!