डा. रक्षपालसिंह
(लेखक प्रख्यात शिक्षाविद एवं धर्म समाज कालेज अलीगढ़ के पूर्व विभागाध्यक्ष हैं)
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अलीगढ। डा. बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डा. रक्षपाल सिंह ने राज्यपाल व कुलाधिपति यूपी विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति डा. अशोक मित्तल को कार्य से विरत किये जाने के निर्णय को अनुचित बताते हुए राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे मांग की है कि वे अपने निर्णय को वापिस लेकर एक अत्यधिक कर्मठ, शालीन, सक्रिय एवं ईमानदार व्यक्तित्व के धनी डा. अशोक मित्तल को पुन: कुलपति का कार्यभार देने की कृपा करें।
डा. रक्षपाल सिंह ने कहा है कि वह इस विश्विद्यालय से 50 वर्ष से अधिक समय से जुड़े हुए हैं तथा दावे के साथ कहा जा सकता है कि 21 वीं सदी में डा. जी सी सक्सेना जी के बाद यहां एक ऐसे कुलपति की नियुक्ति हुई जिसने विश्वविद्यालय की चरमराती व्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु भगीरथ प्रयास किए हैं तथा विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता एवं अकर्मण्यता पर अंकुश लगाया है। विगत कई वर्षों से विश्वविद्यालय के लाखों परीक्षार्थियों की अंक तालिकायें एवं डिग्रियां उन्हें न मिलने के कारण विश्विद्यालय परिसर में आये दिन धरने, प्रदर्शन हुआ करते थे। कुलपति डा. मित्तल ने अपने अधीनस्थों के साथ दिन रात काम करके विगत डेढ़ वर्ष में विगत कई वर्षों से वितरित नहीं की गईं लगभग 5 लाख छात्रों की अंक तालिकाओं का वितरण कराया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व कुलपतियों के कार्यकालों में डिग्रियों को प्राप्त करने हेतु परीक्षार्थियों द्वारा दिये गये 65,000 आवेदन पत्र डा. मित्तल को अलमारियों में बन्द मिले थे जिनमें से लगभग 40,000 आवेदनों का निस्तारण कर डिग्रियां दिलवाई जा चुकी हैं और शेष के निस्तारण का कार्य चल रहा था।
डा. सिंह ने कहा है कि विश्विद्यालय की दुर्व्यवस्थाओं से चिंतित शिक्षाविदों को उम्मीद थी कि कुलपति डा. मित्तल को उनकी सक्रियता, परिश्रम एवं ईमानदारी के लिये प्रदेश शासन की ओर से शाबाशी, प्रोत्साहन एवं पुरस्कार मिलेगा, लेकिन अफसोस कि उसका हुआ उल्टा। विडम्बना है कि भ्रष्ट , बदनाम एवं स्वार्थी लोगों की झूठी शिकायतों पर डा. मित्तल के खिलाफ़ कार्य से विरत करने की आनन- फानन में कार्रवाई होने से डा. मित्तल द्वारा पटरी पर लाई जारही विश्वविद्यालय की व्यवस्था को पुन: अव्यवस्थाओं की ओर धकेल दिया गया है। कुलाधिपति एवं राज्यपाल महोदय से मांग की गई है कि विश्विद्यालय के व्यापक हित में डा.मित्तल के खिलाफ कार्य से विरत करने की कार्रवाई समाप्त की जाये जिससे डा .मित्तल द्वारा शुरू किये गये भगीरथ प्रयासों का लाभ विश्वविश्वविद्यालय के लाखों छात्रों को मिल सके।