एण्डटीवी के एक महानायक डॉ बी. आर. आम्बेडकर की कहानी में आया लीप

 असमानता के मैदान में संघर्ष की नई उड़ान

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मुंबई। एण्डटीवी ऐसी कहानियां पेश करने की कोशिश करता है जो अपने दर्शकों को प्रेरित करने के साथ ही उनसे जुड़ाव बनाती हैं। इसी कोशिश में, चैनल ने पहली बार हिन्दी जनरल एंटरटेनमेंट चौनल में साल 2019 में अपने शो एक महानायक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर के साथ बाबासाहेब की जीवनगाथा की पेशकश की थी। यह शो बहुत सफल हुआ और अपनी बेजोड़ और दमदार कहानी तथा प्रतिभाशाली कलाकारों के कारण इसने तुरंत दर्शकों से जुड़ाव बना लिया। इस शो के प्रमुख कलाकार घर-घर में लोकप्रिय हो गए। आगामी 20 जुलाई से ‘एक महानायक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर‘ सभी नए कलाकारों के साथ एक नये चरण में कदम रखने वाला है। ये नये कलाकार हैं- अथर्व कार्वे, जो युवा डॉ भीमराव आम्बेडकर बनेंगे, रमाबाई भीमराव आम्बेडकर की भूमिका में होंगी नारायणी महेश वरणे, आनंद की भूमिका में कुँवर विक्रम सोनी और नट्टोराम की भूमिका में विक्रम द्विवेदी होंगे।  

युवा भीमराव कॉलेज की पढ़ाई के लिये मुंबई शहर जाएंगे, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहेगा और वे कई चुनौतियों का सामना करेंगे। एक ओर, आनंद (कुँवर विक्रम सोनी) की पत्नी लक्ष्मीबाई और जीजा बाई (स्नेहा मंगल) द्वारा रमाबाई (नारायणी महेश वरणे) को यह समझाया जाएगा कि भीम (अथर्व) को पढ़ाई छोड़ देनी चाहिये और अपने परिवार की मदद के लिये नौकरी ढूंढनी चाहिये। दूसरी ओर, भीम के सहपाठी और अध्यापक उनका शुद्धिकरण किये बिना उन्हें विज्ञान की कक्षा में आने नहीं देंगे। इतना ही नहीं, वे युवा भीमराव को भगाने पर तुल जाएंगे और अपनी जाति के कारण भीमराव को कई परेशानियों और अपमान का सामना करना पड़ेगा। कॉलेज के प्रिंसिपल की मदद से भीमराव इस भेदभाव के विरूद्ध खड़े होंगे, लेकिन ऊँची जातियों के स्टूडेंट्स उनकी आलोचना करेंगे।

इस ट्रैक के बारे में विस्तार से समझाते हुए, युवा बाबासाहब का रोल निभा रहे अथर्व ने कहा, जब भीमराव उच्च शिक्षा के लिये शहर जाएंगे, तब भी उन्हें शिक्षा में समानता के लिये अपनी लड़ाई में विभिन्न संघर्षों का सामना करना पड़ेगा। बाबासाहब ने हमेशा माना है कि शिक्षा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में पहला कदम है। और उन्होंने अपनी शिक्षा से न केवल अपना बल्कि अपने समुदाय के अन्य लोगों का भी जीवन बदला। शो युवा भीमराव की जिन्दगी के नये अध्याय में कदम रख रहा है, जिसके साथ ही उन्हें फिर से अपमान और निष्कासन का सामना करना पड़ता है। लेकिन अपने दृढ़ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति के कारण, वे शिक्षा पाने के रास्ते पर चलते रहते हैं और हर अन्याय के विरूद्ध खड़े होते हैं। लेकिन अब उनके कंधों पर रमाबाई और अपने समुदाय की देखभाल की अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ भी आ गई हैं। नई सदी, नया शहर, नया विचार, पर भेदभाव और असमानता का नहीं छूटा है साथ। भीमराव करेंगे असमानता के खिलाफ संघर्ष की शुरूआत, क्या आप इस न्याय की लड़ाई में देंगे भीमराव का साथ?