संविधान में दिए अधिकार व कर्तव्यों की जानकारी बच्चों को देना ज़रूरी : ए.आर. खान

 समर्पण संस्था द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर “सामाजिक समानता व न्याय“ विषयक विचार गोष्ठी


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जयपुर। संविधान में दिये अधिकार व कर्तव्यों की जानकारी बच्चों को देना बहुत ज़रूरी है तथा आम आदमी के विकास से जुड़े क़ानूनों की जानकारी भी जनता को देना ज़रूरी है। इसके लिए सामाजिक संस्थाओं को काम करना चाहिए“ यह बात समर्पण संस्था द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित “सामाजिक समानता व न्याय“ विषयक विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए सेवानिवृत्त आई.ए.एस. ए.आर. खान ने कही।

उन्होंने कहा कि “सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही है लेकिन हम भी समाज के प्रति हमारे कर्तव्यों को निभायें”। इससे पूर्व संस्था कार्यालय के सामने मुख्य अतिथिए.आर. खान ने अन्य अतिथि व पदाधिकारियों के साथ ध्वजारोहण किया। तत्पश्चात विचार गोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ समर्पण प्रार्थना से की गई जिसे कवि राम लाल रोशन ने प्रस्तुत किया।

संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आर्किटेक्ट डॉ. दौलत राम माल्या ने अपने स्वागत भाषण में संस्था के सिद्धांत व कार्यक्रमों की विस्तृत व्याख्या करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। डॉ. माल्या ने अपने उद्बोधन में कहा कि “समर्पण संस्था अपने शेष जीवन को श्रेष्ठ बनाने का प्लेटफ़ार्म है। आज के परिप्रेक्ष्य में संविधान हमारा पवित्र ग्रंथ है जिससे हमारा देश व जीवन चल रहा है। दूसरी तरफ़ हमारे पवित्र धार्मिक ग्रंथ है जो हमारी जीवन शैली को सुन्दर बनाते है लेकिन धार्मिक ग्रंथों में दी गई वर्ण व्यवस्था को आज परिप्रेक्ष्य में समीक्षा कर लिखा जाना ज़रूरी है। क्योंकि लोग उन्हें ज़्यादा पढ़ते हैं।

इस अवसर पर रमेश कुमार बैरवा व नेतराम राजस्थानी ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किये। मुख्य वक्ता व संस्था के मुख्य संरक्षक सेवानिवृत्त कर्नल एस. एस. शेखावत ने कहा कि पाँचों अंगुलियाँ जब एक साथ जुड़ती है तब ही मुठ्ठी बनती है। पूरे मानव समाज में एकजुटता का होना बहुत ज़रूरी है। आपसी ऊँच नीच का भेदभाव केवल शिक्षा से ही ख़त्म हो सकता है। व्यवसायिक शिक्षा के साथ मनुष्यता की शिक्षा का होना भी ज़रूरी है। विशिष्ट अतिथि सी.ए. विजय गोयल ने कहा कि स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है लेकिन उसे बनाये रखना भी बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण है। नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य व संसाधनों में समानता मिले यह उनका मूलभूत अधिकार है और इसे प्राप्त करने का तरीक़ा शिक्षा व संवाद ही है।

मुख्य वक्ता संस्था के मुख्य सलाहकार व पूर्व ज़िला न्यायाधीश उदय चंद बारूपाल ने कहा कि सामाजिक समानता का संदेश सबसे पहले गौतम बुद्ध ने दिया और उसके बाद डॉ. अम्बेडकर ने दिया। हमारे संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा हैप्रत्येक व्यक्ति को संविधान पढ़ना चाहिए तथा उसकी पालना करनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि सहकारिता विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त रजिस्ट्रार बंशी लाल चोमिया ने अपने शैक्षिक संस्थान में दो निर्धन बालिकाओं को नि:शुल्क पढ़ाने की घोषणा करते हुए कहा कि समानता के लिए हमें निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए। मुख्य वक्ता संस्था के प्रधान मुख्य संरक्षक जनाब अब्दुल सलाम जौहर ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि न्याय व संविधान के अधिकारो की पैरवी के लिए नियमित काम करना ज़रूरी है ।नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए। कार्यक्रम में रक्तदाता प्रेरको, एज्युकेशनल एम्बेसेडर व संस्था में नये जुड़े मुख्य संरक्षक व संरक्षक सदस्यों को सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। गोष्ठी में संस्था सदस्यों के अलावा अनेक गणमान्य व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों  ने प्रमुखता से भाग लिया। मंच संचालन आर.जे. व वॉयस आवर आर्टिस्ट नवदीप सिंह ने किया। (प्रेस विज्ञप्ति)