सांभर साल्ट झील में दो साल बाद आया साढ़े चार इंच पानी

देशी विदेशी परिंदों की तादाद भी बढ़ी, पर्यटकों का भी बढ़ा रूझान

सांभर लवणीय में बारिश के पानी की आवक होने से यहां का दृश्य पर्यटकों को लुभा रहा है

शैलेश माथुर 

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सांभरझील (जयपुर)। एशिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक क्षारीय सांभरझील में बारिश के पानी की लगातार आवक जारी है। पानी की कमी के कारण रेगिस्तान में तब्दील हुयी झील में दो साल बाद पानी की जबरदस्त बढ़ोतरी होने से इस छिछली झील के करीब 60 वर्गमील में साढे चार इंच तक पानी आने से अब यहां का दृश्य मनोरम हो गया है। लवणीय झील के देवयानी के पास सिटी बिकन एरिया, झपोक बांध, नया क्यार भैंरूखोड़ा में हजारों की तादाद में करीब पन्द्रह प्रजातियों के देशी विदेशी पक्षियों की जलक्रीड़ा व झील के दृश्य को निहारने के लिये पर्यटकों के लिये यह खास स्थल  बना हुआ है। 

अमूमन इन विदेशी पक्षियों का सांभरझील में शीतकालीन सत्र यानी नवम्बर के आसपास आना शुरू होता है जो पूरे शीतकालीन सत्र तक यहीं पर डेरा डाले रहते है और अपना खास पसंदीदा भोजन (शैवाल) तलाशते है, लेकिन अब यह लवणीय झील कुछ प्रजातियों के पक्षियों के लिये स्थायी रूप से पंसदीदा जगह बन गयी है। हिन्दुस्तान सांभर साल्ट के उपक्रम सांभर साल्ट्स लिमिटेड के अधीन इस झील के उन तमाम एरिया में बने करीब 80 से अधिक बोरवैलों में भी जल स्तर पिछले साल के मुकाबले तेजी से ऊंचा होने की जानकारी भी आयी है। 

बताया जा रहा है जिस हिसाब से झील में बारिश हो रही है उसको देखते हुये पानी की आवक और बढने की संभावना है। हिन्दुस्तान सांभर साल्ट के उपक्रम सांभर साल्ट्स लिमिटेड की ओर से किया जाने वाला नमक उत्पादन तो और बढेगा साथ ही पानी की पर्याप्त मात्रा होने से बनने वाले लवण की गुणवत्ता में और सुधार होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में इस लवणीय झील में करीब पांच साल पहले खुद विभाग ने 1300 अवैध बौरवेल होना स्वीकार किया था। इसके बाद सांभर साल्ट्स लिमिटेड की ओर से अभी तक कितने अवैध बौरवेल हटाये गये अथवा और अतिक्रमण कर लिये गये है कि जानकारी विभाग की ओर से सार्वजनिक नहीं की गयी है। 

बताया जा रहा है कि इन अवैध अतिक्रमण की वजह से झील के प्राकृतिक स्वरूप को खतरा उत्पन्न हो गया है, अवैध रूप से नमकीन पानी की चोरी कर नमक उत्पादन किया जा रहा है। हजारों की तादाद में झील में हजारों की तादाद में काफी गहरायी तक खोदे गये बौरवेल से खींचा जा रहे पानी की वजह से कई किलोमीटर तक पेयजल के स्रोतों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। लिखने योग्य है कि इसकी वजह से जलदाय विभाग के अनेक कुए नकारा हो चुके है और झील खोखली होती जा रही है। इन नमक माफियाओं, दबंगों व प्रभावशाली लोगों के आगे भारत सरकार भी पूरी तरह से घुटने टेक चुकी है।