सांभर में खण्डहर हो चुकी सैंकड़ों वर्ष पुरानी हवेलियां गिरने के कगार पर

सांभर में खण्डहर में बदल चुकी अनेक हवेलियां के कारण कभी कोई हादसा हो सकता है 

नगरपालिका कई सालों से नोटिस देकर कर रही है खानापूर्ति

करीब चालीस से अधिक हवेलियां है गिरने के कगार पर 

शैलेश माथुर की खास रिपोर्ट 

http//www.daylife.page

सांभरझील (जयपुर )। सांभर के अनेक मौहल्लों में कई सालों से जर्जर अवस्था में खड़ी पुरानी हवेलियां कभी भी बड़े हादसे को न्यौता दे सकती है, यह सब जानते हुये भी पालिका प्रशासन खुद की आंखों पर पट्टी बांधकर मूक दर्शक बनी हुयी है, इनमे से कुछ हवेलियां ऐसी बतायी जा रही है जिनके मालिक का कोई अता पता नहीं है, और जिनके मालिक का पता चल चुका है उनको नोटिस देकर अपना कानूनी बचाव करने में पालिका कोई कसर नहीं छोड़ रही है। बताया जा रहा है जिन हवेलियों को लोगों की जानमाल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये तत्काल ही ध्वस्त करवा देना चाहिये उनको भी गिराने में पालिका की ओर से टालमटोल नीति अपनायी जा रही है। 

खास बात यह है कि वार्ड पार्षद श्रीमती ज्योति कुमावत ने निवर्तमान व वर्तमान अधिशाषी अधिकारी, सहायक अभियन्ता को भी पत्र लिखकर इस बारे में बताया जा चुका है, अनेक बार ईओ खुद स्टाफ के साथ मौका देखकर आ चुके है। इन हवलेलियों को कब गिरायेंगे तो रटा रटाया एक ही जवाब पार्षद को दिया जाता है कि आज-कल में गिरवा देंगे, कभी बताया जाता है कि इन तंग रास्तों में जेसीबी नहीं जा सकती है। 

इन हवेलियों की कंडिशन ज्यादा खराब है उनमें प्रमुख रूप से रामवआर सैन के मकान के पीछे व आगे हवेली पूरी तरह से जीर्णशीर्ण हो चुकी है, मालती पारीक के पास रास्ते के नजदीक खड़ी जर्जर दीवार, गुड्डू माथुर घर के सामने पुरानी हवेली, गिरिराज शर्मा के मकान के पास खण्डर हवेली, आलोक माथुर के घर के पीछे गिरने की कगार पर खड़ी हवेली, लक्ष्मीनारायण शर्मा के मकान के सामने टूटी फूटी हवेली, हंसराज खटीक के प्लॉट की तरफ हवेली का आधे से अधिक गिर चुका हिस्सा, भोजनशाला के पास पूरी तरह से कमजोर हो चुकी भारी भरकम दीवार, समुन्दर वाले बालाजी के पास आंगनबाडी केन्द्र के नजदीक पुरानी हवेली, विद्याधर नागला के घर के पास पुराना खण्डहर कभी भी कोई बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है। लिखने योग्य है कि पालिका की ओर से अनेक दफा नोटिस मिलने के बाद भी ऐसे हवेलियों के मालिकों की ओर से खर्चे से बचने के लिये इन्हें गिराने के लिये कोई उत्तर नहीं दिया जा रहा है, वहीं नगरपालिका खुद का खर्चा बचाने के चक्कर में अपने कदम नहीं बढा रही है।