सैय्यद दानिश करते हैं मिसाइल मेन पर गर्व। हमे भी कुछ ऐसा करने का होना चाहिए जज्बा
जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। मैं एक हैंडसम इंसान नहीं हूँ लेकिन मैं अपना हैंड उस किसी भी व्यक्ति को दे सकता हूँ जिसको की मदद की जरूरत है। क्योंकि सुंदरता हृदय में होती है चेहरे में नहीं। यदि आप अपनी कर्तव्यों को सलाम करोगे तो आपको किसी भी व्यक्ति को सलाम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन यदि आप अपनी कर्तव्यों को दूषित करेंगे तो आपको हर किसी को सलाम करना पडेगा।
यदि हम सवतंत्र नहीं है तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा। कभी कभी कक्षा से बंक मारकर दोस्तों के साथ मस्ती करना अच्छा होता है क्योंकि आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो ये सिर्फ हंसाता ही नहीं है बल्कि अच्छी यादे भी देता है। अखबार बांटने से लेकर अखबारों की हेडिंग तक। पहुंचने का मुश्किल भरा सफर जिसने शान से तय किया दो दिन पहले उस महान शख्सियत का जन्मदिन था। जिसे दुनियां "मिसाइल मैन" ओर भारत रत्न "ए पी जे अब्दुल कलाम" के नाम से जानती है। जो 15 अक्टूबर 1931 के दिन तमिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे में पैदा हुए थे।
भारत के इस रत्न ने बतौर वैज्ञानिक हमारे देश को विश्वस्तरीय मिसाइल टेक्नोलॉजी से लैस बना दिया। वहीं एक राष्ट्रपति के रूप में करोडों हिन्दुस्तानियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा भी दी। कलाम साहब कहते थे कि "एक मुर्ख जीनियस बन सकता है यदि वो समझता है की वो मुर्ख है" लेकिन "एक जीनियस मुर्ख बन सकता है यदि वो समझता है की वो जीनियस है" सफलता पर उनके विचार थे सफलता की कहानियां मत पढ़ो उससे आपको केवल एक सन्देश मिलेगा। असफलता की कहानियां पढ़ो उससे आपको सफल होने के कुछ आइडियाज (विचार) मिलेंगे। नकली सुख की बजाय ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये।
अपने मिशन में कामयाब होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त ओर निष्ठावान होना पड़ेगा। युवाओं को प्रेरित करने के लिए कलाम साहब कहते थे। मेरा यह सन्देश विशेष रूप से युवाओ के लिए है उनमे अलग सोच रखने का साहस, नए रास्तो पर चलने का साहस होना चाहिए। जीवन की कठिनाइयों पर कलाम साहब के विचार थे। जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है। कलाम साहब का दर्शन सबसे अनोखा है वे कहते थे सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार रहूं कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता। लेकिन जो लोग आधे अधूरे मन से कोई काम करते है उन्हें आधी अधूरी, खोकली सफलता मिलती है जो चारो और कड़वाहट भर देती है।
इसलिए हमे प्रयत्न करना नहीं छोड़ना चाहिए। मेरे जैसे कमज़ोर ओर पिछड़े लोगो को प्रेरित करने के लिए कलाम साहब के इस विचार से बेहतर कुछ नही हो सकता कि "देश का सबसे अच्छा दिमाग, क्लास रूम की आखिरी बेंचो पर मिल सकता है" ओर मैं क्लास रूम की आखरी बेंच पर बैठने वाला ही विद्यार्थी हूँ। भले मैं जीवन मे उनकी तरह 'सफल न हो पाऊं लेकिन उनकी तरह 'सरल' बनने के लिए हमेशा प्रयासरत रहूंगा।