दलित दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर ऐतराज
जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। देश आज चाहे कितना भी डिजिटल हो गया हो, लेकिन गांवों में जाति-पाति और छुआछूत जैसी परंपरा चली आ रही हैं। ऐसे समय में आज भी दलितों को शादी में घोड़ी पर बैठने पर ऐतराज किया जाता है। भय के साये में दलित परिवार पहुंचा था एसड़ीएम आमेर के पास गुहार लगाने, इस बीच पुलिस चौकसी में निकली दलित की बारात। ऐसा ही मामला चंदवाजी थाने के पुठ का बास गाँव में देखने को मिला। जहां पुठ का बास में देवन निवासी मनोज पुत्र मूलचंद बधाला की बारात पुलिस प्रशासन की देखरेख में निकाली गई।
विवाह से पूर्व वधु पक्ष की ओर से उपखण्ड अधिकारी एव पुलिस प्रसाशन को ज्ञापन देकर सुरक्षा की मांग की थी। उनका आरोप था कि गांव में दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने एव माता के मंदिर के सामने से घोड़ी पर नही ले जाने से दबंगों को ऐतराज है। गांव में कुछ दबंग लोगों से भयभीत होकर दलित समाज के ग्रामीणों ने एसडीएम से पुलिस सुरक्षा की गुहार लगाई थी। बाद में प्रशासन ने ग्रामीणों और अन्य समाज के लोगों को समझाया। उसके बाद भी प्रशासन अलर्ट रहा। शुक्रवार देर रात तक पुठ का बास गांव में जमवारामगढ़ सीओ लाखन सिंह और चंदवाजी थानाधिकारी जितेंद गंगवानी मय जाप्ता मौजूद रहे।
उन्होंने लोगों के साथ बैठक कर शांति और भाईचारा बनाए रखने की अपील की थी। बेंड-बाजे के साथ दूल्हे के आगे बाराती नाच रहे थे और पुलिस की गाड़ी बारात के पीछे चलती नजर आई। इसके बाद रात में पुलिस देखरेख में बारात निकली इसके बाद में बारात में किसी तरह का खलल नहीं पड़ा। यह जानकारी देते हुए पूरण मल बुनकर ने बताया कि इस मौके पर गजानंद बधाला, नरेश भदलिया, कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार, राकेश भदालिया, राकेश कुमार बुनकर, ललित कुमार सिरोही, मनीन्द्र वर्मा, प्रवीण वर्मा, प्रदीप कुमार सहित कई लोग मोजूद रहे।
2016 में भी हुआ था विवाद
पुठ का बास गाँव मे लालासर से आई बारात में दलित दूल्हे रोहित एवं अमित के घोड़ी पर बैठने को लेकर गाँव वालो का बरातियों से विवाद हो गया था इसके बाद पुलिस प्रशासन मोके पर पहुँचा था।