आत्मिक आनंद की अनुभूति करवाती है पेंटिंग्स

आर्ट को संरक्षित करने के लिए इसे बनाना होगा फाइनेंशियल वायबल

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जयपुर। आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने कहा कि पेंटिंग्स व्यक्ति को आत्मिक आनंद की अनुभूति करवाती हैं। उन्होंने कहा कि भौतिक वस्तुएं जहां क्षणिक सुख प्रदान करती हैं, वहीं पेंटिंग्स आपको हर रोज आत्मिक और मानसिक सुख प्रदान करती हैं। 

अरोेड़ा जवाहर कला केन्द्र में आयोजित पांच दिवसीय 5 वें जयपुर कला महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि इस कला महोत्सव का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के विज्यूल आर्टस विभाग और प्रतिभा एज्यूकेशनल डवलपमेंट रिसर्च सोसायटी द्वारा करवाया गया था। 

आयुक्त ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि आर्ट को संरक्षित करने के लिए हमें इसे फाइनेंशियल वायबल बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आर्टिस्ट भी अपना 100 फीसदी तभी दे पाएंगे जबकि उनके द्वारा बनाई जाने वाले पेंटिंग्स को कद्रदान मिलेंगे और यह विधा फाइनेंशियल वाइबल होगी। जब तक कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स को सही मंच नहीं मिलेगा, वह अधिक से अधिक लोगों तक नहीं पहुचेंगी, तब तक आर्ट का उद्देश्य भी पूरा नहीं होगा। इसलिए कलाकारों द्वारा बनाई जाने वाले पेंटिंग्स को  अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के प्रयास होने चाहिए। 

अरोड़ा ने कहा कि पेंटिंग्स हमेशा से मुझे प्रिय रही हैं। इन्हें देखकर बहुत सुकून और खुशी मिलती है और सकारात्मकता का अहसास होता हैं। उन्होंने कहा कि इस महोत्वस में विविध तरह की पेंटिंग्स देखने को मिली हैं। कलाकारों द्वारा अपनी कूची से कैनवास पर जो उकेरा है, वह अद्भुत है। 

अरोड़ा ने इस कला महोत्सव में आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अरोड़ा ने महोत्सव में लगी सभी स्टॉल्स पर जाकर पेंटिंग्स को देखा और उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की। अरोड़ा ने खुद भी कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कई पेंटिंग्स क्रय की। इस महोत्सव में देश के कई विश्वविद्यालयों के छात्रों सहित ख्यातनाम और उभरते हुए कलाकारों ने भाग लिया था। इस अवसर पर उनके साथ प्रसिद्ध कलाकार चिन्मय मेहता, समाजसेवी बीके दत्ता, सर्वेश भट्ट और कला महोत्सव के संयोजक राकेश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में कलाकार उपस्थित थे।