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भीलवाड़ा। खेती में की जाने वाली तकरीबन 40 फीसदी मृदा में ज़िंक की कमी होती है, इस समस्या के समाधान के लिए इंटरनेशनल ज़िंक एसोसिएशन और हिंदुस्तान ज़िंक ने फसल उत्पादकता और मिट्टी के स्वास्थ्य पर ज़िंक के प्रभावों के अध्ययन के लिए उदयपुर में महाराणा प्रताप युनिवर्सिटी के साथ एमओयू किया हैं। इस पायलट परियोजना के द्वारा किसानों को ज़िंक उर्वरक के फायदों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस अवसर पर हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूण मिश्रा, आईज़ैडए के एक्ज़क्टिव डायरेक्टर, डाॅ एंड्रयु ग्रीन, डाॅ एनएस राठौड़, वाईस-चांसलर, एमपीयूएटी, उदयपुर, अमृता सिंह, चीफ़ मार्केटिंग आफिसर, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, डाॅ एस.के. शर्मा, डायरेक्टर रीसर्च, एमपीयूएटी, उदयपुर, डाॅ देवेन्द्र जैन, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, डाॅ गजानन्द जाट, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, आरसीए, उदयपुर की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।