लवणीय झील, ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों को निहारने पहुंच रहे सैलानी
एक अरब खर्च करने के बाद भी सुविधाओं का टोटा
शैलेश माथुर की रिपोर्टwww.daylife.page
सांभरझील (जयपुर)। विश्व नम भूमि का दर्जा प्राप्त एशिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक क्षारीय सांभरझील देशी विदेशी सैलानियों की खास पंसदीदा जगह बनती जा रही है। पर्यटन नगरी घोषित किये जाने के बाद पर्यटकों की संख्या में लगातार बेतहाशा वृद्धि भी हो रही है। इस प्राचीन नगरी के प्रति आकर्षित होने का जो प्रमुख कारण माना जा रहा है उसमें प्रमुखता से नलियासर स्थित खुदाई में मिले भवन, अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी, मुगल सम्राट जहांगीर का ननिहाल, सम्राट अकबर की ओर से देवयानी तीर्थ स्थल पर बनवाया गया शीशमहल, चौहान शासकों की कु़लदेवी मां शाकम्भरी का अतिप्राचीन मंदिर तथा इसी मंदिर के नजदीक मां शाकम्भरी के चमत्कार से अभिभूत होकर पहाड़ी पर जहांगीर की ओर से बनवायी गयी छतरी, रेलवे स्टेशन के पार नमक उत्पादन के भण्डारण व लदान के लिये अंग्रेजी हुकूमत की ओर से बनवायी गयी बंजारों की छतरियां, झील के मध्य स्थित संत दादू दयाल की छतरी, हिन्दुस्तान सांभर साल्ट के उपक्रम सांभर सांभर साल्ट परिसर में स्थित एवर्डन पार्क, प्राचीन पद्धित से बना हुआ सर्किट हाउस, झपोक बांध तो शुमार है ही साथ ही प्रतिवर्ष शीतकालीन सत्र में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर अनेक देशी व विदेशी पक्षियों का छिछली झील में ठहराव होने के बाद उनकी जलक्रीड़ा को निहारने के शौकिन सैंकड़ों पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों के लिये सुकून भरा भी साबित हो रहा है।
यह भी बता दें कि इन तमाम जगहों के अलावा दैत्य गुरू शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के नाम से प्रसिद्ध तीर्थ स्थल व इसके घाट पर बने अनेक देवी देवताओं के मंदिर, जैन घाट, सरजूदास बाबा की बगीची, अश्वत्थामा का घाट एवं अजमेर ख्वाजा साहब अजमेर के सगे लाडले पाेते ख्वाजा हुसामुद्दीन चिश्ती जिगर सोख्ता रहमतुल्लाह अलेह की दरगाह, भारत की एक मात्र मुख्य पीठ साध पुरसनाराम साहिब का दरबार सभी धर्म के लोगों के लिये आस्था केन्द्र है, इन सभी स्थलांे पर एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक लोगोें का आना जाना रहता है।
सरकार की ओर से सुविधाओं का टोटा : यद्धपि विगत वर्षों में केन्द्र व निवर्तमान प्रदेश सरकार की ओर से सांभर को पर्यटन के अनुरूप विकसित किये जाने के लिये अकेले सांभर पर 100 करोड़ रूपये से अधिक का काम पर्यटन व पुरातत्व विभाग की ओर से करवाया जा चुका है, लेकिन उसी अनुरूप यहां पर रत्ति भर भी इस बात की सुविधा नहीं है जो आने वाले पर्यटकों को सरकारी स्तर पर गाईड कर सके, उनको इतिहास व अन्य जानकारी से रूबरू करा सके। यह मालूम हुआ है कि सांभर साल्ट की ओर से एक ग्रुप से एमओयू कर रखा है, जिसकी ओर से निजी स्तर से झील में आर्टिफिशल झौपडि़या खडी कर रखी है, जो आने वाले पर्यटकों से शुल्क वसूलता है, झील की फोटो खींचने पर चन्द्रा ग्रुप के आदमियों की ओर से रोक दिया जाता है। लोगों का मानना है कि यदि सरकार सांभर में ही पर्यटन व पुरातत्व विभाग की शाखायें खोल दे और आने वाले पयर्टकों को अपने स्तर से सुविधा मुहैय्या करवाये तो सरकार के राजस्व में बढौतरी होगी।
यह भी लिखने योग्य है कि इन तमाम प्राचीन इमारतों की देखरेख करने का जिम्मा यहां पर किसी के पास नहीं है, झील में अनेक दफा गुपचुप तरीके से परिंदों का शिकार होने की भी बात सामने आ चुकी है। दुख की बात है कि तमाम खूबियों के बावजूद आज तक किसी भी सांसद व विधायक ने इस दिशा में कोई प्रयास ही नहीं किया अन्यथा जिस हिसाब से पर्यटक यहां पर आ रहे है उनकी संख्या में और इजाफा हो सकता था, स्थानीय लोगों के पास रोजगार के संसाधन पैदा होते, हजारों लोगों को यहां से पलायन और हजारों लोगों को पेट पालने के लिये जयपुर व आसपास क्षेत्रों के लिये अप डाउन नहीं करना पड़ता।